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EDMC की बैठक में भाजपा पार्षदों ने की दिल्ली सरकार की निंदा - निगम फंड कटौती को लेकर दिल्ली में मीटिंग

दिल्ली सरकार निगम के फंड में लगातार कटौती कर रही है. जिसे लेकर सदन की बैठक में आज चर्चा हुई. बैठक में सत्ता पक्ष के पार्षदों ने दिल्ली सरकार की निंदा की.

BJP councilors condemned Delhi government in mcd meeting
BJP councilors condemned Delhi government in mcd meeting
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Published : Jan 19, 2022, 3:38 PM IST

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली नगर निगम (East Delhi Municipal Corporation) की आम बैठक में निगम में फंड की कमी को लेकर चर्चा हुई. सत्ता पक्ष के पार्षदों ने निगम (mcd councilors) की हालत के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया. विपक्षी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के पार्षदों ने भारतीय जनता पार्टी को निगम चलाने में और सफल बताया.

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार निगम के फंड में लगातार कटौती कर रही है. इसी को लेकर सदन की बैठक में चर्चा हुई बैठक में सत्ता पक्ष के पार्षदों ने दिल्ली सरकार की निंदा की.

बैठक में सदस्यों ने रखे इस प्रकार से अपने विचार -


निर्मल जैन- आज निगम कर्मचारियों को लगभग 4 माह से वेतन नहीं मिला है. दिल्ली सरकार निगम को बकाया फण्ड नहीं दे रही है जबकि यह दिल्ली सरकार का कर्तव्य है. यह एक संवैधानिक व्यवस्था है. दिल्ली सरकार ने अपने बजट में पूर्वी दिल्ली नगर निगम के लिए जो बजट व्यवस्था की है उसे निगम को दे देना चाहिए. इस मामले में राजनीति नहीं की जानी चाहिए.

निगम की बैठक में भाजपा पार्षदों ने की दिल्ली सरकार की निंदा
संजय गोयल- निगम का कामकाज काफी हद तक फंड की कमी पर निर्भर करता है जबकि दिल्ली सरकार निगमों के पैसे को दबाकर बैठी हुई है।संदीप कपूर- जो कर्मचारी निगम की सेवा में लगे हुए हैं, पूर्वी दिल्ली के 48 लाख नागरिकों की सेवा में लगे हुए हैं, उनको चार-चार माह से वेतन न मिलना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. हम काफी कार्य दिल्ली सरकार के बिहाफ पर करते हैं. इसलिए यह सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष का भी कर्तव्य है कि उनके वेतन की चिन्ता करें. निगम के विभाजन के समय दिल्ली सरकार ने वादा किया था कि निगमों का पूरी तरह ख्याल रखा जाएगा, जबकि दिल्ली सरकार निगम का ख्याल रख पाने में विफल रही है.

इन्होंने चौथा वित आयोग क्यों नहीं लागू किया? सीधे पांचवा वित आयोग लागू कर दिया लेकिन उसके हिसाब से भी दिल्ली सरकार नहीं दे रही है. इस तरह भी 12.5 प्रतिशत हिस्सा निगम को मिलना चाहिए जोकि दिल्ली सरकार नहीं दे रही है. दिल्ली सरकार निगमों पर केवल चोरी का इल्जाम लगाती है जबकि सारा काम टेण्डर प्रक्रिया से होता है और आवंटित राशि का 90 प्रतिशत केवल वेतन देने पर ही खर्च हो जाता है.

गीता रावत- मेरे वार्ड में अनधिकृत कॉलोनी होने के बावजूद संपत्ति कर की पूरी वसूली हो रही है. आज पूरे दिल्ली में दिल्ली से ज्यादा उत्त्र प्रदेष का प्रचार हो रहा है. भाजपा के लोगों की नीयत साफ नहीं है जबकि दिल्ली सरकार इमानदारी से अपना राजस्व बढ़ा रही है और इमानदारी से अपना काम और उसका प्रचार कर रही है.


प्रवेश शर्मा- दिल्ली सरकार ने आज तक न तो पूरा फंड दिया है न ही अपने वादे के अनुसार कोई नया अस्पताल, विद्यालय, पार्क आदि बनवाया है. निगमों को उनका शेयर और बकाया फंड मिलना ही चाहिए. हमने समय-समय पर अपने कर्मचारियों की आवाज दिल्ली सरकार के समक्ष उठाई है जबकि दिल्ली सरकार ने कदम-कदम पर दिल्ली की जनता से धोखा किया है.

रमेश चन्द गुप्ता- हमारे सभी सदस्यों ने निगम को मिलने वाले फंड के बारे में सही तरीके से आंकड़े प्रस्तुत किये हैं. गीता रावत जी ने कहा कि पहले दिल्ली में सभी शराब के ठेके भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के थे जिसे आम आदमी पार्टी ने समाप्त करके अपने स्तर पर ठेके खोले हैं. दिल्ली सरकार निगम कर्मचारियों और दिल्ली की जनता पर अत्याचार कर रही है. जिसका आने वाले चुनावों में जनता हिसाब करेगी.


बी.एस. पंवार- निगम के पास सीमित संसाधन हैं, जब सब कुछ टेण्डर प्रक्रिया द्वारा होता है तो इसमें भ्रष्टाचार का सवाल ही नहीं होता. उल्टा दिल्ली सरकार ने जो भ्रष्टाचार किया है वह जगजाहिर है. सदन में विपक्ष के सदस्यों को अपनी बात मर्यादा में रहकर रखनी चाहिए. निगम में चाहे किसी की भी सरकार हो, जितने संसाधन हैं उन्हीं सीमित संसाधनों में ही कार्य करना पड़ेगा इसलिए आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा.

पढ़ें- दिल्ली के कई इलाकों में आज बाधित हो सकती है पानी की सप्लाई



हिमांशी पांडेय- कोविड-19 के दौरान विपक्ष के पार्शद गुम हो जाते हैं लेकिन भाजपा कार्यकर्ता ही जमीनी स्तर पर काम करता है. आज बिजली, पानी, स्वास्थ्य सभी मुद्दों पर दिल्ली सरकार फेल हो गई है. विपक्ष के पार्षदों का एकमात्र काम निगम को गाली देना रह गया है जबकि विपक्ष को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. सभी पार्षद निगम के ही सदस्य हैं इसलिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने से काम नहीं चलेगा. सदन में आकर आप एक तरह से जनता का भी समय नष्ट कर रहे हैं. विपक्ष को सत्ता पक्ष के साथ आकर दिल्ली सरकार से फंड लेने के लिए मांग करनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्ष को कर्मचारियों की समस्या से कुछ लेना-देना नहीं है.

मनोज त्यागी- मुख्यमंत्री किसी पार्टी का नहीं होता वह एक संवैधानिक पद है इसलिए गरिमा बनी रहनी चाहिए. पिछले पांच वर्षों से वेतन न देने के लिए सत्ता पक्ष लगातार दिल्ली सरकार पर आरोप लगाता रही है, जोकि डोर-टू डोर, पार्किंग, विज्ञापन, संपत्ति कर आदि सभी मुद्दों पर भाजपा असफल साबित हुई है. निगम के राजस्व में कमी का बहुत बड़ा कारण है. सत्ता पक्ष हर मुद्दे पर अपनी भूमिका निभाने में असफल रही है और नाकामयाब साबित हुई है. स्वामी दयानन्द अस्पताल में हर महीने करोड़ों रूपये मेन्टेनेन्स के नाम पर खर्च कर दिया जाता है. आज हर जगह शौचालय हमेशा गन्दे दिखायी देते हैं उनकी सफाई नहीं की जाती. सत्ता पक्ष ने प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाने का काम किया है. दिल्ली की जनता के हिस्से का 24000 करोड़ रूपये पहले केन्द्र सरकार जारी करें ताकि दिल्ली सरकार भी निगमों को पैसा जारी कर सके.

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली नगर निगम (East Delhi Municipal Corporation) की आम बैठक में निगम में फंड की कमी को लेकर चर्चा हुई. सत्ता पक्ष के पार्षदों ने निगम (mcd councilors) की हालत के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया. विपक्षी आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के पार्षदों ने भारतीय जनता पार्टी को निगम चलाने में और सफल बताया.

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार निगम के फंड में लगातार कटौती कर रही है. इसी को लेकर सदन की बैठक में चर्चा हुई बैठक में सत्ता पक्ष के पार्षदों ने दिल्ली सरकार की निंदा की.

बैठक में सदस्यों ने रखे इस प्रकार से अपने विचार -


निर्मल जैन- आज निगम कर्मचारियों को लगभग 4 माह से वेतन नहीं मिला है. दिल्ली सरकार निगम को बकाया फण्ड नहीं दे रही है जबकि यह दिल्ली सरकार का कर्तव्य है. यह एक संवैधानिक व्यवस्था है. दिल्ली सरकार ने अपने बजट में पूर्वी दिल्ली नगर निगम के लिए जो बजट व्यवस्था की है उसे निगम को दे देना चाहिए. इस मामले में राजनीति नहीं की जानी चाहिए.

निगम की बैठक में भाजपा पार्षदों ने की दिल्ली सरकार की निंदा
संजय गोयल- निगम का कामकाज काफी हद तक फंड की कमी पर निर्भर करता है जबकि दिल्ली सरकार निगमों के पैसे को दबाकर बैठी हुई है।संदीप कपूर- जो कर्मचारी निगम की सेवा में लगे हुए हैं, पूर्वी दिल्ली के 48 लाख नागरिकों की सेवा में लगे हुए हैं, उनको चार-चार माह से वेतन न मिलना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. हम काफी कार्य दिल्ली सरकार के बिहाफ पर करते हैं. इसलिए यह सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्ष का भी कर्तव्य है कि उनके वेतन की चिन्ता करें. निगम के विभाजन के समय दिल्ली सरकार ने वादा किया था कि निगमों का पूरी तरह ख्याल रखा जाएगा, जबकि दिल्ली सरकार निगम का ख्याल रख पाने में विफल रही है.

इन्होंने चौथा वित आयोग क्यों नहीं लागू किया? सीधे पांचवा वित आयोग लागू कर दिया लेकिन उसके हिसाब से भी दिल्ली सरकार नहीं दे रही है. इस तरह भी 12.5 प्रतिशत हिस्सा निगम को मिलना चाहिए जोकि दिल्ली सरकार नहीं दे रही है. दिल्ली सरकार निगमों पर केवल चोरी का इल्जाम लगाती है जबकि सारा काम टेण्डर प्रक्रिया से होता है और आवंटित राशि का 90 प्रतिशत केवल वेतन देने पर ही खर्च हो जाता है.

गीता रावत- मेरे वार्ड में अनधिकृत कॉलोनी होने के बावजूद संपत्ति कर की पूरी वसूली हो रही है. आज पूरे दिल्ली में दिल्ली से ज्यादा उत्त्र प्रदेष का प्रचार हो रहा है. भाजपा के लोगों की नीयत साफ नहीं है जबकि दिल्ली सरकार इमानदारी से अपना राजस्व बढ़ा रही है और इमानदारी से अपना काम और उसका प्रचार कर रही है.


प्रवेश शर्मा- दिल्ली सरकार ने आज तक न तो पूरा फंड दिया है न ही अपने वादे के अनुसार कोई नया अस्पताल, विद्यालय, पार्क आदि बनवाया है. निगमों को उनका शेयर और बकाया फंड मिलना ही चाहिए. हमने समय-समय पर अपने कर्मचारियों की आवाज दिल्ली सरकार के समक्ष उठाई है जबकि दिल्ली सरकार ने कदम-कदम पर दिल्ली की जनता से धोखा किया है.

रमेश चन्द गुप्ता- हमारे सभी सदस्यों ने निगम को मिलने वाले फंड के बारे में सही तरीके से आंकड़े प्रस्तुत किये हैं. गीता रावत जी ने कहा कि पहले दिल्ली में सभी शराब के ठेके भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के थे जिसे आम आदमी पार्टी ने समाप्त करके अपने स्तर पर ठेके खोले हैं. दिल्ली सरकार निगम कर्मचारियों और दिल्ली की जनता पर अत्याचार कर रही है. जिसका आने वाले चुनावों में जनता हिसाब करेगी.


बी.एस. पंवार- निगम के पास सीमित संसाधन हैं, जब सब कुछ टेण्डर प्रक्रिया द्वारा होता है तो इसमें भ्रष्टाचार का सवाल ही नहीं होता. उल्टा दिल्ली सरकार ने जो भ्रष्टाचार किया है वह जगजाहिर है. सदन में विपक्ष के सदस्यों को अपनी बात मर्यादा में रहकर रखनी चाहिए. निगम में चाहे किसी की भी सरकार हो, जितने संसाधन हैं उन्हीं सीमित संसाधनों में ही कार्य करना पड़ेगा इसलिए आरोप-प्रत्यारोप से कुछ नहीं होगा.

पढ़ें- दिल्ली के कई इलाकों में आज बाधित हो सकती है पानी की सप्लाई



हिमांशी पांडेय- कोविड-19 के दौरान विपक्ष के पार्शद गुम हो जाते हैं लेकिन भाजपा कार्यकर्ता ही जमीनी स्तर पर काम करता है. आज बिजली, पानी, स्वास्थ्य सभी मुद्दों पर दिल्ली सरकार फेल हो गई है. विपक्ष के पार्षदों का एकमात्र काम निगम को गाली देना रह गया है जबकि विपक्ष को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए. सभी पार्षद निगम के ही सदस्य हैं इसलिए एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने से काम नहीं चलेगा. सदन में आकर आप एक तरह से जनता का भी समय नष्ट कर रहे हैं. विपक्ष को सत्ता पक्ष के साथ आकर दिल्ली सरकार से फंड लेने के लिए मांग करनी चाहिए थी. लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्ष को कर्मचारियों की समस्या से कुछ लेना-देना नहीं है.

मनोज त्यागी- मुख्यमंत्री किसी पार्टी का नहीं होता वह एक संवैधानिक पद है इसलिए गरिमा बनी रहनी चाहिए. पिछले पांच वर्षों से वेतन न देने के लिए सत्ता पक्ष लगातार दिल्ली सरकार पर आरोप लगाता रही है, जोकि डोर-टू डोर, पार्किंग, विज्ञापन, संपत्ति कर आदि सभी मुद्दों पर भाजपा असफल साबित हुई है. निगम के राजस्व में कमी का बहुत बड़ा कारण है. सत्ता पक्ष हर मुद्दे पर अपनी भूमिका निभाने में असफल रही है और नाकामयाब साबित हुई है. स्वामी दयानन्द अस्पताल में हर महीने करोड़ों रूपये मेन्टेनेन्स के नाम पर खर्च कर दिया जाता है. आज हर जगह शौचालय हमेशा गन्दे दिखायी देते हैं उनकी सफाई नहीं की जाती. सत्ता पक्ष ने प्रधानमंत्री जी के स्वच्छ भारत अभियान को पलीता लगाने का काम किया है. दिल्ली की जनता के हिस्से का 24000 करोड़ रूपये पहले केन्द्र सरकार जारी करें ताकि दिल्ली सरकार भी निगमों को पैसा जारी कर सके.

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