नई दिल्ली: दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि लॉकडाउन में सब्सिडी व फिक्स चार्ज के नाम पर दिल्ली सरकार ने बिजली कंपनियों के साथ मिलकर एक 1131 करोड़ रुपया का घोटाला किया है. उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को लगभग 94 दिनों की बिजली बिल भेजे जा रहे हैं जिसमें सब्सिडी भी नहीं दी गई है.
महामारी काल में लोगों को नहीं मिली सब्सिडी
इस महामारी के दौर में हर नागरिक मंदी और आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. दिल्ली के लोग केजरीवाल सरकार से बिजली बिलों में राहत की गुहार लगा रहे हैं. वहीं केजरीवाल सरकार बिजली कंपनियों को डीईआरसी के साथ मिलकर घोटाले को अंजाम देने में लगी हुई है.
आम लोगों की शिकायतों से लगा पता
उन्होंने बताया कि दिल्ली की आरडब्ल्यूए से मिले बिलों के डाटा और नागरिकों से मिली शिकायतों से पता लगा कि लॉकडाउन के दौरान जब बिजली कंपनियां मीटर रीडिंग नहीं ले पा रही थी तो उपभोक्ताओं को लगभग 94 दिनों का बिल भेजा है. इन बिजली बिलों में प्रतिमाह के अनुसार खपत भी दिखाई गई है. लेकिन जिस महीने में खपत 200 -400 यूनिट से भी कम है. वहां भी उपभोक्ता को सब्सिडी उपलब्ध नहीं कराई गई. उन्होंने बताया कि बजट 2020-21 में दिल्ली सरकार ने 12 महीने के लिए 2820 करोड़ रुपये सब्सिडी का प्रावधान किया है. लेकिन लॉकडाउन में उपभोक्ताओं को सब्सिडी ना देकर केजरीवाल सरकार ने बिजली कंपनी और डीआरसी के साथ मिलकर 726 करोड़ रुपये का घोटाला किया है.
लॉकडाउन के दौरान उद्योग धंधे बंद
उन्होंने कहा कि दिल्ली में लगभग दो लाख छोटी-बड़ी इंडस्ट्रीज काम करती है. लॉकडाउन के दौरान इंडस्ट्री पूरी तरह बंद थी. किसी भी तरह का काम नहीं किया गया. जबकि वर्तमान में भी यह इंडस्ट्री महज 25 फीसद क्षमता के साथ काम कर रही है. लेकिन बिजली कंपनियों ने फिक्स चार्ज और एवरेज बिल के नाम पर भारी-भरकम बिल भेज दिया है. ऐसे में जहां केजरीवाल सरकार को राहत देनी चाहिए थी लेकिन वह सिर्फ बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के बारे में सोच रही है. दिल्ली में लगभग 4 लाख दुकानें शॉपिंग मार्केट में है. लगभग दो लाख ऑफिस ट्रेड एवं कंपलेक्स सेंटर में है. लगभग एक लाख दुकानें होलसेल मार्केट में है. लॉकडाउन के दौरान यह पूरी तरह बंद थे केजरीवाल सरकार ने इस वर्ग को भी राहत देना जरूरी नहीं समझा. फिक्सड चार्ज, एवरेज बिल के रूप में हजारों रुपये का बिल भेज दिया है. इस हिसाब से प्रति माह 135 करोड़ रुपये फिक्स चार्ज के नाम पर वसूले जा रहे हैं. यानि 3 महीने के वाणिज्यिक श्रेणी के उपभोक्ताओं से 405 करोड़ रुपये जबरन फिक्स चार्ज के रूप में बिजली कंपनियां दिल्ली सरकार की मिलीभगत से वसूल रही है. जबकि सर्विस का उपभोक्ताओं ने इस्तेमाल ही नहीं किया है.
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मांग की है कि उपभोक्ताओं को सब्सिडी का लाभ दिया जाए. लॉकडाउन में बंद पड़े व्यवसायिक संस्थानों के बिजली बिलों से फिक्स चार्ज तुरंत प्रभाव से हटाया जाए. इसके साथ सही बिल बनाकर भेजे जाएं और किस्तों में भुगतान करने की सुविधा दी जाए. अन्यथा दिल्ली बीजेपी आंदोलन करेगी.