नई दिल्ली: पूर्व भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी के निधन के बाद उनसे जुड़े रहे लोग उनके समय के किस्सों को याद कर रहे हैं. उनका कहना है कि बेदी जी अपनी बात पूरी बेबाकी के साथ रखते थे. बेदी की कप्तानी में दिल्ली की टीम में खेलने वाले पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर विनय लांबा ने बताया कि बेदी मेरे दूसरे कप्तान थे. वह 1969 में दिल्ली आए थे. उसके बाद में दिल्ली की टीम के कप्तान बने. उनकी कप्तानी में मैंने दूसरा मैच खेला.
वह अपने पूरे जीवन क्रिकेट और क्रिकेटरों के लिए समर्पित रहे. हमेशा क्रिकेट की ही बात करते थे. नए क्रिकेटरों को बहुत प्रोत्साहित करते थे. साथ ही वह हमेशा इस बात पर जोर देते थे कि अगर टीम जीतती रहेगी तो इसका फायदा निजी तौर पर प्रत्येक खिलाड़ी को मिलेगा. खिलाड़ी को मैच खेलने के और ज्यादा मौके मिलेंगे जो उनके करियर के लिए भी फायदेमंद होगा. इसलिए टीम की जीत के लिए वह व्यक्तिगत तौर पर भी हर खिलाड़ी से मेहनत करने के लिए कहते थे.
लांबा ने बताया कि बेदी बहुत ही डाउन टू अर्थ और सहनशील व्यक्ति थे. बहुत ही सहजता से हर किसी से बात करते थे. दिल्ली क्रिकेट और उत्तर क्षेत्र के क्रिकेट को उभारने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा. बेदी के डीडीसीए में आने से पहले जो खिलाड़ी एक मैच में प्रदर्शन नहीं कर पाता था उसको टीम से बाहर कर दिया जाता था. उन्होंने ही खिलाड़ियों को दूसरा और तीसरा मौका चौथा मौका देने की परंपरा शुरू की, जिसका टीम और खिलाड़ियों को भी फायदा मिला.
इससे दिल्ली की एक मजबूत टीम तैयार हुई. सभी खिलाड़ियों के साथ उनका समान व्यवहार होता था. वह मैच के दौरान खिलाड़ियों के साथ ही ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर भी करते थे. खाने के समय भी अधिकतर बातें क्रिकेट से जुड़ी हुई होती थीं. हमेशा खिलाड़ियों का मार्गदर्शन करते रहते थे. उनके नेतृत्व में दो बार दिल्ली की टीम रणजी ट्रॉफी की विजेता बनी. वह डीडीसीए के किसी निर्णय से असहमत होते थे तो बड़ी बेबाकी के साथ अपनी बात रखते थे.
फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलने पर जताई थी असहमति: दिसंबर 2020 में फिरोजशाह कोटला स्टेडियम का नाम बदलकर अरुण जेटली स्टेडियम रखने के डीडीसीए के फैसले से भी उन्होंने असहमति जताई थी. उनका कहना था कि क्रिकेट स्टेडियम का नाम किसी क्रिकेटर के नाम पर ही होना चाहिए. वह स्टेडियम में अरुण जेटली की प्रतिमा लगाने से भी सहमत नहीं थे.
इसको लेकर उन्होंने डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली को पत्र लिखकर स्टेडियम में अपने नाम से पैवेलियन में बने स्टैंड से अपना नाम हटाने के लिए पत्र भी लिख दिया था. साथ ही अपनी डीडीसीए की सदस्यता छोड़ने की भी जानकारी पत्र में दी थी. हालांकि, स्टेडियम में उनके नाम का स्टैंड मौजूद है.