नई दिल्ली: लॉकडाउन खत्म होने की स्थिति में कोर्ट के सुचारु कामकाज के लिए बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने हाईकोर्ट को कुछ सुझावों के साथ एक पत्र लिखा है. बीसीडी के चेयरमैन केसी मित्तल ने हाईकोर्ट को पत्र लिखकर कोर्ट की ओर से बनाए जा रहे ग्रेडेड एक्शन प्लान का स्वागत किया है.
काफी वकील कोर्ट नहीं आ पाए
पत्र में कहा गया है कि देश एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहा है. लॉकडाउन के दौरान स्थितियां उत्साहजनक नहीं रही हैं. अधिकतर वकील जो कंप्युटर से रुबरु नहीं हैं और वीडियो कांफ्रेंसिंग में शामिल नहीं हो सकते हैं, वे कोर्ट नहीं आ पाए. पत्र में कहा गया है कि बीसीडी हमेशा ये कहती रही है सामान्य सुनवाई संभव नहीं है, लेकिन सुरक्षित मानदंडों को अपनाकर कुछ कोर्ट में कामकाज किया जा सकता है. कोर्ट में वकीलों के प्रवेश को रेगुलेट करने की जरुरत है.
जज और वकील के बीच 5-6 फीट की दूरी
पत्र में सुझाव दिया गया है कि कोर्ट रुम के आकार के मुताबिक कुर्सियों की व्यवस्था इस प्रकार हो कि जज और वकील के बीच पांच से छह फीट की दूरी हो. ये व्यवस्था हाईकोर्ट में पहले से मौजूद है, जिसे दिल्ली की निचली अदालतों में भी लागू करना चाहिए. जो कोर्ट रुम बड़े हों उनमें सुनवाई शुरु की जा सकती है.
सैनिटाइजर टनल लगाने का सुझाव
पत्र में सुझाव दिया गया है कि हाईकोर्ट के एंट्री गेट पर कोरोना के टेस्ट का उपकरण और सैनिटाइजर टनल होना चाहिए. हर केस की सुनवाई का समय नियत होना चाहिए. हर केस की सुनवाई के बीच दो से तीन मिनट का अंतराल होना चाहिए ताकि संबंधित वकील कोर्ट रुम में आ सकें. हर एक जज को सुनवाई के लिए कम केस मार्क होने चाहिए और केस की फाइलों पर वकीलों की ओर से ये जरुर लिखा जाना चाहिए कि वे दलीलों के लिए कितना समय लेंगे. नए केसों के दायर होने के दो दिन बाद ही उसे लिस्ट किया जाए. अगर किसी केस की सुनवाई तय समय से ज्यादा तक होने की उम्मीद है तो उसके बाद वाले केस की सुनवाई शुरू करनी चाहिए और पहले वाले केस की सबसे बाद में सुनवाई की जाए.
जजों और वकीलों के लिए माईक की व्यवस्था
पत्र में सुझाव दिया गया है कि एक पक्षकार की ओर से दो वकीलों से ज्यादा के पेश होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. सुनवाई करनेवाले जजों को शीशे से ढका होना चाहिए और जरुरत पड़ने पर जजों और वकीलों के लिए माईक की व्यवस्था होनी चाहिए. पत्र में सुझाव दिया गया है कि एक जज को दस नए केसों से ज्यादा मार्क नहीं किए जाने चाहिए. अगर वकीलों का मामला कोर्ट में लिस्टेड नहीं हो तो उन्हें कोर्ट में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाए.
वकीलों को चैंबर में जाने की सीमित अनुमति
पत्र में वकीलों को हाईकोर्ट और निचली अदालतों में उनके चैंबर में जाने की सीमित अनुमति दी जानी चाहिए. इसके लिए फ्लोर के हिसाब से दिन और समय तय कर दिया जाना चाहिए. यह काम संबंधित बार एसोसिएशंस और डिस्ट्रिक्ट जज के तालमेल से तय किया जाना चाहिए. पत्र में कहा गया है कि बीसीडी की ओर से वकीलों को दिए गए पहचान पत्र को ही कर्फ्यु पास के रुप में मान्यता दी जानी चाहिए.