नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के दौरान आईबी अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपी समीर खान की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज विनोद यादव ने कहा कि इस मामले के मुख्य आरोपी ताहिर हुसैन के उकसावे के बाद दूसरे समुदाय पर हमला किया गया, जिसमें आईबी अधिकारी अंकित शर्मा ने अपनी जान गंवाई.
कोर्ट ने कहा कि साक्ष्यों और कई गवाहों के बयानों से ये साफ है कि दंगाईयों की भीड़ घातक हथियारों से लैस थी और उसने तोड़फोड़, लूट, आगजनी की. जिससे सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को काफी नुकसान हुआ. कोर्ट ने कहा कि इस हिंसा में दूसरे समुदाय को नुकसान के लक्ष्य के साथ अंजाम दिया गया. कोर्ट ने कहा कि आरोपी आगजनी, लूटपाट और तोड़फोड़ को अंजाम देने वाली भीड़ में शामिल था. इस घटना में अंकित शर्मा ने अपनी जान गंवाई और अजय गोस्वामी, अजय झा और प्रिंस बंसल घायल हुए.
गवाहों ने आरोपी के नाम का जिक्र नहीं किया
सुनवाई के दौरान आरोपी की ओऱ से वकील दिनेश तिवारी ने कहा कि आरोपी को झूठे केस में फंसाया गया है, और वह 10 अप्रैल से न्यायिक हिरासत में है. आरोपी नौजवान है और उसकी उम्र 25 साल है. दिनेश तिवारी ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने में देरी की गई. दयालपुर पुलिस थाने को अंकित शर्मा की मौत की खबर 25 फरवरी की शाम में छह बजकर छह मिनट पर मिली. लेकिन एफआईआर 26 फरवरी को रात में ग्यारह बजकर 54 मिनट पर दर्ज की गई. इस समय का उपयोग अभियोजन ने कमियों को छिपाने में किया. एफआईआर में आऱोपी का नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी भी गवाह ने ये नहीं कहा कि अंकित शर्मा की हत्या के मामले में आरोपी लिप्त रहा है.
अंकित शर्मा के पिता ने दर्ज कराई थी एफआईआर
आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की ओर से वकील मनोज चौधरी ने कहा कि ये मामला आईबी के युवा अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के जुड़ा हुआ है. 26 फरवरी को अंकित शर्मा के पिता रविंद्र कुमार दयालपुर थाने आए और कहा कि उनका बेटा 25 फरवरी को अपने दफ्तर से लौटकर शाम को कुछ सामान खरीदने गया था. जब अंकित शर्मा बहुत देर तक नहीं आए तो उनके पिता ने कई जगह खोजा और अस्पतालों में भी गए. रात तक इंतजार करने के बाद उन्होंने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई. उसके बाद उन्हें कुछ लड़कों ने बताया कि एक लड़के को मारकर खजूरी खास नाले में फेंक दिया गया है. उसी नाले से अंकित शर्मा का शव निकाला गया.