नई दिल्ली:दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (DELHI NCR AQI) में एक बार फिर इजाफा देखने को मिल रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (central pollution control board) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर के लगभग सभी इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन में दर्ज किया गया है. एनसीआर के कई इलाकों का AQI आज 400 से अधिक है. दिल्ली एनसीआर में ठंड के साथ प्रदूषण में भी इजाफा देखने को मिल रहा है. रिपोर्ट में देखिए दिल्ली एनसीआर के 48 प्रमुख इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स.
दिल्ली
अलीपुर 351
शादीपुर 340
डीटीयू 282
आईटीओ 363
सिरिफ्फोर्ट 384
मंदिर मार्ग 368
आरके पुरम 401
पंजाबी बाघ 397
लोधी रोड 334
नॉर्थ केंपस डीयू 354
सीआरआरआई मथुरा रोड 344
पूसा 338
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3 355
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम 384
नेहरू नगर 423
द्वारका सेक्टर 8 406
पटपड़गंज 407
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज 396
अशोक विहार 374
सोनिया विहार 371
जहांगीरपुरी 390
रोहिणी 383
विवेक विहार 381
नजफगढ़ 337
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम 399
नरेला 381
ओखला फेस टू 2 379
बवाना 338
श्री अरबिंदो मार्ग 390
मुंडका 396
आनंद विहार 358
IHBAS दिलशाद गार्डन 289
गाजियाबाद
वसुंधरा 349
इंदिरापुरम 247
संजय नगर 287
लोनी 289
नोएडा
सेक्टर 125 232
सेक्टर 1 340
सेक्टर 116 357
Air quality Index की श्रेणी:- एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक ऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
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(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:- वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुँच जाते हैं.
Sinusitis और Bronchitis का खतरा:- डॉ त्यागी के मुताबिक पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में एकत्र होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जब ये कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है. जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.
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