नई दिल्लीः हिंदू धर्म में चुतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है. शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. सावन महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि रविवार, 20 अगस्त को पड़ रही है. यह सावन की आखिरी गणेश चतुर्थी है. इस वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है.
० महत्त्व
आध्यात्मिक गुरु और ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा के मुताबिक विनायक चतुर्थी को वरद चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. भगवान गणेश वरदान देने वाले हैं. उन्होंने देवताओं को भी अभय का वरदान दिया था. सावन विनायक चतुर्थी पर सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने और व्रत रखने, मोदक का भोग लगाने, रिद्धि सिद्धि के साथ भगवान गणेश की पूजा करने से अच्छे कर्मों का वरदान मिलता है. जीवन में स्थिरता और संपन्नता का स्थाई वास होता है. सुख, समृद्धि और ऐश्वर्या में बढोतरी होती है.
० पूजा विधि
शिवकुमार शर्मा के मुताबिक रिद्धि और सिद्धि भगवान गणेश की पत्नी हैं. शुभ और लाभ भगवान गणेश के पुत्र हैं. जहां शुभ-लाभ और रिद्धि-सिद्धि होते है, वहां निश्चित रूप से भगवान गणेश का वास होता है. सावन विनायक चतुर्थी के दिन सुबह सवेरे उठकर स्नान करें और साफ सुथरे पहने. स्नान के दौरान गंगा जल युक्त पानी का इस्तेमाल करें. पूजा से पहले मंदिर की सफाई करें. मंदिर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें. भगवान गणेश की प्रतिमा या फिर तस्वीर को पंचामृत से स्नान कराएं. भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा और इस दौरान ॐ गणेशाय नमः या ओम गं गणपतये नमः मंत्र का जाप करें. भगवान गणेश की आरती करें. गणेश चालीसा का पाठ करें. पवित्र श्री गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना भी बेहद फलदाई बताया गया है.
० सावन विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त
- सावन विनायक चतुर्थी प्रारंभ: 19 अगस्त (शनिवार) रात 10 बजकर 19 मिनट से शुरू होगी.
- सावन विनायक चतुर्थी समाप्त: 21 अगस्त (सोमवार), रात 12 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी.
- सावन विनायक चतुर्थी का व्रत 20 अगस्त (शनिवार) को रखा जाएगा.
- पूजा का शुभ मुहूर्त रविवार 20 अगस्त को सुबह 11:26 AM से दोपहर 1:58 PM तक है.
० इन बातों का रखें विशेष ध्यान
- सावन विनायक चतुर्थी पर पूजा के दौरान भगवान गणेश की खंडित प्रतिमा की पूजा नही करनी चाहिए.
- मंदिर में भगवान गणेश की दो प्रतिमाओं की एक साथ पूजा करने की मनाही बताई गई है.
- सावन विनायक चतुर्थी पर तामसिक भोजन का सेवन करने की मनाही बताई गई है. मास, प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दिन किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि को पूर्णयता निषेध बताया गया है.
- पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- विशेष ध्यान रखें कि भूलकर भी चतुर्थी तिथि पर गणेश की सवारी यानि चूहों को तंग ना करें.
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