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ATM फ्रॉड गैंग ने ज्वॉइंट कमिश्नर को बनाया निशाना, क्रेडिट कार्ड से ठगी - ज्वॉइंट कमिश्नर

दिल्ली में एटीएम फ्रॉड गैंग ने आइपीएस अधिकारी अतुल कटियार को निशाना बनाया है. आरोपी ने क्रेडिट कार्ड की जानकारी का इस्तेमाल कर ठगी की है.

आइपीएस अधिकारी से ठगी Etv bharat
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Published : Aug 27, 2019, 10:57 AM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में डेबिट/क्रेडिट कार्ड के जरिए ठगी करने वाले गैंग लगातार लोगों को अपना निशाना बनाते रहते हैं. लेकिन इस बार उन्होंने किसी आम आदमी को नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के ज्वॉइंट कमिश्नर को ही निशाना बनाया है.

आइपीएस अधिकारी से ठगी

IPS अधिकारी हुए जालसाजी का शिकार
जानकारी के अनुसार ठगी का शिकार एजीएमयूटी कैडर के आइपीएस अधिकारी अतुल कटियार हुए हैं. अभी वो दिल्ली पुलिस में संयुक्त आयुक्त ट्रांसपोर्ट के पद पर कार्यरत हैं. उनके साथ किसी शख्स ने 28,150 रुपये की ठगी की और इसके लिए उनके क्रेडिट कार्ड की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है. हैरानी की बात यह है कि कार्ड ब्लॉक कराने के बावजूद उनके कार्ड से ट्रांजेक्शन का प्रयास किया गया.

साइबर सेल से की शिकायत
जालसाजी का शिकार हुए ज्वॉइंट कमिश्नर ने इसे लेकर स्पेशल सेल की साइबर सेल में एफआईआर दर्ज करवाई है. साइबर सेल को दी गई शिकायत में अतुल कटियार ने बताया है कि उनके एसबीआई कार्ड से 9 अगस्त को दस हजार रुपये फोन पे ऐप पर और 18,150 रुपये किसी अन्य जगह पर खर्च किए गए हैं.
उन्होंने इनमें से कोई भी ट्रांजैक्शन अपने कार्ड से नहीं किया है. इस बात की जानकारी होते ही उन्होंने तुरंत कस्टमर केयर को फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवा दिया. कार्ड ब्लॉक होने के बाद भी 20 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन अमेजॉन पे ऐप पर करने की कोशिश की गई, लेकिन कार्ड ब्लॉक होने की वजह से ये ट्रांजैक्शन नहीं हो सका.

बैंक की भूमिका पर उठाए सवाल
शिकायत में संयुक्त आयुक्त ने बताया है कि 20 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन फेल होने पर इसकी जानकारी उन्हें एसएमएस के जरिए मिली. इसे लेकर उनके मोबाइल पर एक मैसेज भी आया, जिसमें बताया गया कि उनके कार्ड से ट्रांजैक्शन का प्रयास किया गया है.
उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई है कि जब उन्होंने ये ट्रांजैक्शन नहीं किया तो बैंक ने कैसे पेमेंट कर दी. इसका ओटीपी उनके पास आया हुआ था. इस ओटीपी के बिना ही ट्रांजैक्शन पूरी कर ली गई.

फ्रॉड को तलाश रही साइबर सेल
अतुल कटियार ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल से पूरी शिकायत कर छानबीन करने के लिए कहा है. उनकी शिकायत पर साइबर सेल ने आईपीसी की धारा 420 और 419 के तहत मामला दर्ज कर लिया है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में डेबिट/क्रेडिट कार्ड के जरिए ठगी करने वाले गैंग लगातार लोगों को अपना निशाना बनाते रहते हैं. लेकिन इस बार उन्होंने किसी आम आदमी को नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के ज्वॉइंट कमिश्नर को ही निशाना बनाया है.

आइपीएस अधिकारी से ठगी

IPS अधिकारी हुए जालसाजी का शिकार
जानकारी के अनुसार ठगी का शिकार एजीएमयूटी कैडर के आइपीएस अधिकारी अतुल कटियार हुए हैं. अभी वो दिल्ली पुलिस में संयुक्त आयुक्त ट्रांसपोर्ट के पद पर कार्यरत हैं. उनके साथ किसी शख्स ने 28,150 रुपये की ठगी की और इसके लिए उनके क्रेडिट कार्ड की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है. हैरानी की बात यह है कि कार्ड ब्लॉक कराने के बावजूद उनके कार्ड से ट्रांजेक्शन का प्रयास किया गया.

साइबर सेल से की शिकायत
जालसाजी का शिकार हुए ज्वॉइंट कमिश्नर ने इसे लेकर स्पेशल सेल की साइबर सेल में एफआईआर दर्ज करवाई है. साइबर सेल को दी गई शिकायत में अतुल कटियार ने बताया है कि उनके एसबीआई कार्ड से 9 अगस्त को दस हजार रुपये फोन पे ऐप पर और 18,150 रुपये किसी अन्य जगह पर खर्च किए गए हैं.
उन्होंने इनमें से कोई भी ट्रांजैक्शन अपने कार्ड से नहीं किया है. इस बात की जानकारी होते ही उन्होंने तुरंत कस्टमर केयर को फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवा दिया. कार्ड ब्लॉक होने के बाद भी 20 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन अमेजॉन पे ऐप पर करने की कोशिश की गई, लेकिन कार्ड ब्लॉक होने की वजह से ये ट्रांजैक्शन नहीं हो सका.

बैंक की भूमिका पर उठाए सवाल
शिकायत में संयुक्त आयुक्त ने बताया है कि 20 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन फेल होने पर इसकी जानकारी उन्हें एसएमएस के जरिए मिली. इसे लेकर उनके मोबाइल पर एक मैसेज भी आया, जिसमें बताया गया कि उनके कार्ड से ट्रांजैक्शन का प्रयास किया गया है.
उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई है कि जब उन्होंने ये ट्रांजैक्शन नहीं किया तो बैंक ने कैसे पेमेंट कर दी. इसका ओटीपी उनके पास आया हुआ था. इस ओटीपी के बिना ही ट्रांजैक्शन पूरी कर ली गई.

फ्रॉड को तलाश रही साइबर सेल
अतुल कटियार ने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल से पूरी शिकायत कर छानबीन करने के लिए कहा है. उनकी शिकायत पर साइबर सेल ने आईपीसी की धारा 420 और 419 के तहत मामला दर्ज कर लिया है.

Intro:नई दिल्ली
राजधानी में डेबिट/क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ठगी करने वाले गैंग लगातार लोगों को अपना निशाना बनाते रहते हैं. लेकिन इस बार उन्होंने किसी आम आदमी को नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के जॉइंट कमिश्नर को ही निशाना बना लिया. उनके कार्ड से ठगों ने 28 हजार रुपये इस्तेमाल कर लिए. जालसाजी का शिकार हुए जॉइंट कमिश्नर ने इसे लेकर स्पेशल सेल की साइबर सेल में एफआईआर दर्ज करवाई है.


Body:जानकारी के अनुसार ठगी का शिकार एजीएमयूटी कैडर के आइपीएस अधिकारी अतुल कटियार बने हैं. अभी वह दिल्ली पुलिस में संयुक्त आयुक्त ट्रांसपोर्ट के पद पर कार्यरत हैं. उनके साथ किसी शख्स ने 28,150 रुपये की ठगी की और इसके लिए उनके ककार्ड का इस्तेमाल की जानकारी का इस्तेमाल किया गया है. हैरानी की बात यह है कि कार्ड ब्लॉक कराने के बावजूद उनके कार्ड से ट्रांजेक्शन का प्रयास किया गया.


कार्ड की जानकारी हुई चोरी
साइबर सेल को दी गई शिकायत में अतुल कटियार की तरफ से बताया गया है कि उनके एसबीआई कार्ड से 9 अगस्त को दस हजार रुपये फोन पे ऐप पर एवं 18,150 रुपये किसी अन्य जगह पर खर्च किए गए हैं. उन्होंने इनमें से कोई भी ट्रांजैक्शन अपने कार्ड से नहीं किया है. इसके बारे में जैसे ही उन्हें पता चला उन्होंने तुरंत कस्टमर केयर पर फोन कर अपने कार्ड को ब्लॉक करवा दिया. उनका कार्ड ब्लॉक होने के बाद भी 20 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन ऐमेज़ॉन पे ऐप पर करने की कोशिश की गई, लेकिन कार्ड ब्लॉक होने की वजह से यह ट्रांजैक्शन नहीं हो पाया.


बैंक की भूमिका पर उठाए सवाल
शिकायत में संयुक्त आयुक्त ने बताया है कि 20 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन फेल होने पर इसकी जानकारी उन्हें एसएमएस के माध्यम से मिली. इसे लेकर उनके मोबाइल पर एक मैसेज भी आया जिसमें बताया गया कि उनके कार्ड से ट्रांजैक्शन का प्रयास किया गया है. उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई है कि जब उन्होंने यह ट्रांजैक्शन नहीं किया तो बैंक ने कैसे यह पेमेंट कर दी. इसका ओटीपी उनके पास आया हुआ था. इस ओटीपी के बिना ही ट्रांजैक्शन पूरी कर ली गई.





Conclusion:फ्रॉड को तलाश रही साइबर सेल
उन्होंने दिल्ली पुलिस की साइबर सेल से पूरी शिकायत कर छानबीन करने के लिए कहा है. मामला संयुक्त आयुक्त से जुड़े होने की वजह से साइबर सेल भी गंभीरता से छानबीन में जुट गई है. फिलहाल उनकी शिकायत पर साइबर सेल ने आईपीसी की धारा 420 और 419 के तहत मामला दर्ज कर लिया है.
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