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Purana Qila Excavation: पुराने किले में पांडवों की राजधानी खोज रहा पुरातत्व विभाग, क्या है उम्मीदें

राजधानी दिल्ली में वैसे तो बहुत सारे किले हैं लेकिन पुराने किले में ऐसी कई बातें हैं, जो उसे खास और सबसे अलग करती हैं. यमुना नदी के किनारे स्थित पुराना किला भारत के सबसे प्राचीन किलों में से एक है. कहा जाता है कि यहां पर पांडवों की राजधानी थी, लेकिन इसकी खुदाई में अब तक यह प्रमाण नहीं मिले हैं. पुराने किले के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए एक बार फिर इसकी खुदाई शुरू की गई है.

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पुराना किला में खुदाई
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Published : Jan 16, 2023, 5:21 PM IST

नई दिल्ली: आखिरकार वह दिन आ ही गया जिसका इंतजार था. जी हां, आपने ठीक सुना. पांच साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर से कई रहस्यों से पर्दा उठने वाला है. दरअसल, मथुरा रोड स्थित पुराना किला में सोमवार से पांच साल बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने खुदाई शुरू कर दी है. एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत कुमार स्वर्णकर की अगुवाई में यह तीसरी बार है जब पुराने किला में खुदाई शुरू की है. इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने जानकारी दी है.

इससे पहले साल 1969-73 के बीच में पदमश्री बीबी लाल की अगुवाई में सबसे पहले खुदाई की गई. इसके बाद साल 2013-14 के बीच एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत कुमार स्वर्णकर की अगुवाई में खुदाई हुई थी. इसी अधिकारी की अगुवाई में 2017-18 में खुदाई की गई थी. अब ठीक पांच साल बाद उनकी ही निगरानी में खुदाई शुरू हुई है. हालांकि, यहां सवाल यह है कि क्या एएसआई अपने पांचवें प्रयास में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ ढूंढ पाती है या नहीं. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जिस जगह पांडवों की राजधानी थी. वह जगह मौजूदा समय में पुराना किला के अंदर टीले पर हैं. लेकिन अब तक हुई चार बार की खुदाई में अभी तक इसके प्रमाण नहीं मिले हैं.

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पुराना किला में खुदाई

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एएसआई की तरफ से जब साल 2017-18 में खुदाई हुई थी. तब मौर्य काल और इससे पहले की जुड़ी कई चीजें एएसआई के हाथ लगी थी. इसमें चूड़ी, सिक्के, पानी निकासी के लिए नालियां. सहित अन्य चीजें 2500 साल पुरानी थी. इन्हें देखकर एएसआई ने कहा था कि यहां पर वर्षों पहले लोगों के रहने का प्रमाण मिलता है. एएसआई इस बात को साबित नहीं कर पाई कि यहां पर पांडवों की राजधानी थी.

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पुराना किला में खुदाई

एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उम्मीद पर दुनिया कायम है. पुराना किला में सोमवार से फिर से खुदाई शुरू हुई है. हमें अब तक जितने भी प्रमाण यहां से मिले, उनमें कोई ठोस प्रमाण नहीं, जिनसे इंद्रप्रस्थ के प्रमाण साबित हो. उन्होंने कहा कि इससे पहले मौसम खराब होने के कारण खुदाई रोकनी पड़ी थी. हालांकि मौर्य काल से पहले की परतों के प्रमाण मिले हैं. अब स्तरीकृत संदर्भ में चित्रित धूसर मृद्भांड की खोज अभी पूरी की जानी है.

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नई दिल्ली: आखिरकार वह दिन आ ही गया जिसका इंतजार था. जी हां, आपने ठीक सुना. पांच साल के लंबे इंतजार के बाद एक बार फिर से कई रहस्यों से पर्दा उठने वाला है. दरअसल, मथुरा रोड स्थित पुराना किला में सोमवार से पांच साल बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने खुदाई शुरू कर दी है. एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत कुमार स्वर्णकर की अगुवाई में यह तीसरी बार है जब पुराने किला में खुदाई शुरू की है. इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने जानकारी दी है.

इससे पहले साल 1969-73 के बीच में पदमश्री बीबी लाल की अगुवाई में सबसे पहले खुदाई की गई. इसके बाद साल 2013-14 के बीच एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी वसंत कुमार स्वर्णकर की अगुवाई में खुदाई हुई थी. इसी अधिकारी की अगुवाई में 2017-18 में खुदाई की गई थी. अब ठीक पांच साल बाद उनकी ही निगरानी में खुदाई शुरू हुई है. हालांकि, यहां सवाल यह है कि क्या एएसआई अपने पांचवें प्रयास में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ ढूंढ पाती है या नहीं. हिंदू धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि जिस जगह पांडवों की राजधानी थी. वह जगह मौजूदा समय में पुराना किला के अंदर टीले पर हैं. लेकिन अब तक हुई चार बार की खुदाई में अभी तक इसके प्रमाण नहीं मिले हैं.

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एएसआई की तरफ से जब साल 2017-18 में खुदाई हुई थी. तब मौर्य काल और इससे पहले की जुड़ी कई चीजें एएसआई के हाथ लगी थी. इसमें चूड़ी, सिक्के, पानी निकासी के लिए नालियां. सहित अन्य चीजें 2500 साल पुरानी थी. इन्हें देखकर एएसआई ने कहा था कि यहां पर वर्षों पहले लोगों के रहने का प्रमाण मिलता है. एएसआई इस बात को साबित नहीं कर पाई कि यहां पर पांडवों की राजधानी थी.

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एएसआई के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, उम्मीद पर दुनिया कायम है. पुराना किला में सोमवार से फिर से खुदाई शुरू हुई है. हमें अब तक जितने भी प्रमाण यहां से मिले, उनमें कोई ठोस प्रमाण नहीं, जिनसे इंद्रप्रस्थ के प्रमाण साबित हो. उन्होंने कहा कि इससे पहले मौसम खराब होने के कारण खुदाई रोकनी पड़ी थी. हालांकि मौर्य काल से पहले की परतों के प्रमाण मिले हैं. अब स्तरीकृत संदर्भ में चित्रित धूसर मृद्भांड की खोज अभी पूरी की जानी है.

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