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विकास के लिए आवंटित फण्ड में से सिर्फ 20 फीसदी खर्च हुआ

नई दिल्ली: राजधानी में चुनाव से पहले दशकों से अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्य करने का मुद्दा जोर-शोर से उठता रहा है, आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए अरविंद केजरीवाल शासित दिल्ली सरकार ने भी एक बार फिर पुराना दांव खेलते हुए अपने सभी मंत्रियों को दिल्ली के अलग-अलग इलाके में स्थित अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों की हवा चलाने के आदेश दिए हैं.

अनधिकृत कॉलोनियों में विकास के लिए आवंटित फण्ड में से सिर्फ 20 फीसदी खर्च हुआ
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Published : Feb 7, 2019, 10:05 PM IST


मुख्यमंत्री भी इन कॉलोनियों में रहने वालों की तादात को देख विकास कार्यों के शिलान्यास समारोह में पहुंच रहे हैं. वहीं, हकीकत देखें तो आंकड़ों में हिसाब-किताब सरकार की संजीदगी की पोल खोल देता है.

अनधिकृत कॉलोनियों में विकास के लिए आवंटित फण्ड में से सिर्फ 20 फीसदी खर्च हुआ
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खर्च नहीं हुए बजट का फंड
चालू वित्त वर्ष (2018-19) खत्म होने में अब डेढ़ महीने का समय बचा है, जो 31 मार्च को खत्म हो जाएगा. लेकिन दिल्ली के अनधिकृत कॉलोनियों में जहां गरीब तबकों के लोग रहते हैं. वहां विकास कार्य करने के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा बजट में निर्धारित 542 करोड़ रुपये फंड में से सरकार 100 करोड़ भी खर्च नहीं कर पाई है. दिल्ली सरकार 31 दिसंबर तक निर्धारित फंड में से सिर्फ 18.43 फीसद फंड ही अनाधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों के लिए खर्च कर सकी है.

मनोज तिवारी ने बोला हमला
अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों की सरकार द्वारा अनदेखी पर ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा था कि दिल्ली की लगभग आधी आबादी इन 1,700 अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है और सत्ता में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने इन कॉलोनी में रहने वालों का जीवन स्तर सुधारने तथा यहां विकास कार्य कराने का वादा किया था. मगर 4 साल बाद भी मुद्दा यूं ही बना हुआ है.

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तिवारी ने कहा कि सरकार ने कोई काम नहीं किया, केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करते रहे. अब चुनाव दोबारा नजदीक आ गए तो मुख्यमंत्री को इन कॉलोनी में रहने वाले लोगों का ख्याल आ गया है. लेकिन अभी भी वह केवल वोट बैंक की राजनीति ही कर रहे हैं. यदि वास्तव में उनकी काम करने की मंशा होती तो वह केवल काम करके दिखाते. अपनी विफलताओं का ठीकरा दूसरे पर नहीं छोड़ते और ना ही शिलान्यास समारोह को एक मीडिया इवेंट बनाकर उसे वाह वाही लूटने की कोशिश करते.


मुख्यमंत्री भी इन कॉलोनियों में रहने वालों की तादात को देख विकास कार्यों के शिलान्यास समारोह में पहुंच रहे हैं. वहीं, हकीकत देखें तो आंकड़ों में हिसाब-किताब सरकार की संजीदगी की पोल खोल देता है.

अनधिकृत कॉलोनियों में विकास के लिए आवंटित फण्ड में से सिर्फ 20 फीसदी खर्च हुआ
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खर्च नहीं हुए बजट का फंड
चालू वित्त वर्ष (2018-19) खत्म होने में अब डेढ़ महीने का समय बचा है, जो 31 मार्च को खत्म हो जाएगा. लेकिन दिल्ली के अनधिकृत कॉलोनियों में जहां गरीब तबकों के लोग रहते हैं. वहां विकास कार्य करने के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा बजट में निर्धारित 542 करोड़ रुपये फंड में से सरकार 100 करोड़ भी खर्च नहीं कर पाई है. दिल्ली सरकार 31 दिसंबर तक निर्धारित फंड में से सिर्फ 18.43 फीसद फंड ही अनाधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों के लिए खर्च कर सकी है.

मनोज तिवारी ने बोला हमला
अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों की सरकार द्वारा अनदेखी पर ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा था कि दिल्ली की लगभग आधी आबादी इन 1,700 अनधिकृत कॉलोनियों में रहती है और सत्ता में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने इन कॉलोनी में रहने वालों का जीवन स्तर सुधारने तथा यहां विकास कार्य कराने का वादा किया था. मगर 4 साल बाद भी मुद्दा यूं ही बना हुआ है.

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तिवारी ने कहा कि सरकार ने कोई काम नहीं किया, केवल आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति करते रहे. अब चुनाव दोबारा नजदीक आ गए तो मुख्यमंत्री को इन कॉलोनी में रहने वाले लोगों का ख्याल आ गया है. लेकिन अभी भी वह केवल वोट बैंक की राजनीति ही कर रहे हैं. यदि वास्तव में उनकी काम करने की मंशा होती तो वह केवल काम करके दिखाते. अपनी विफलताओं का ठीकरा दूसरे पर नहीं छोड़ते और ना ही शिलान्यास समारोह को एक मीडिया इवेंट बनाकर उसे वाह वाही लूटने की कोशिश करते.

Intro:नई दिल्ली. राजधानी में चुनाव से पहले दशकों से अनाधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्य करने का मुद्दा जोर-शोर से उठता रहा है, आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए अरविंद केजरीवाल शासित दिल्ली सरकार ने भी एक बार फिर पुराना दांव खेलते हुए अपने सभी मंत्रियों को दिल्ली के अलग-अलग इलाके में स्थित अनाधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों की बंयार बहाने के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री भी इन कॉलोनियों में रहने वालों की तादात को देख विकास कार्यों का शिलान्यास समारोह में पहुँच रहे हैं.



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वहीं, हकीकत देखें तो आंकड़ों में हिसाब-किताब सरकार की संजीदगी की पोल खोल देता है.

चालू वित्त वर्ष खत्म होने में अब डेढ़ महीने का समय बचा है. 31 मार्च को चालू वित्त वर्ष 2018-19 खत्म हो जाएगा. लेकिन दिल्ली के अनाधिकृत कॉलोनियों में जहां गरीब तबकों के लोग रहते हैं. वहां विकास कार्य करने के लिए केजरीवाल सरकार द्वारा बजट में निर्धारित 542 करोड़ रुपये फंड में से सरकार 100 करोड़ भी खर्च नहीं कर पाई है. दिल्ली सरकार 31 दिसंबर तक निर्धारित फंड में से सिर्फ 18.43 फीसद फंड ही अनधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों के लिए खर्च कर सकी है.

अनाधिकृत कॉलोनियों में विकास कार्यों की सरकार द्वारा अनदेखी पर ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने केजरीवाल सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा था कि दिल्ली की लगभग आधी आबादी इन 1700 अनाधिकृत कॉलोनियों में रहती है और सत्ता में आने से पूर्व अरविंद केजरीवाल ने इन कॉलोनी में रहने वालों का जीवन स्तर सुधारने तथा यहां विकास कार्य कराने का वादा किया था. मगर 4 साल बाद भी मुद्दा यूं ही बना हुआ है.

सरकार ने कोई काम नहीं किया और केवल आरोप प्रत्यारोप की राजनीति करते रहे. अब चुनाव दोबारा नजदीक आ गए तो मुख्यमंत्री को इन कॉलोनी में रहने वाले लोगों का ख्याल आ गया है. लेकिन अभी भी वह केवल वोट बैंक की राजनीति ही कर रहे हैं. यदि वास्तव में उनकी काम करने की मंशा होती तो वह केवल काम करके दिखाते. अपनी विफलताओं का ठीकरा दूसरे पर नहीं छोड़ते और ना ही शिलान्यास समारोह को एक मीडिया इवेंट बनाकर उसे वाह वाही लूटने की कोशिश करते हैं.

समाप्त, आशुतोष झा




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