नई दिल्ली/लखनऊ : विवादित बयान को लेकर सुल्तानपुर कोर्ट में चल रहे एक मुकदमे के विरुद्ध दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की याचिका को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. न्यायालय ने इसके साथ ही यह टिप्पणी भी की है कि एक राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसे बयान शोभा नहीं देते. यह निर्णय न्यायमूर्ति राजेश सिंह चौहान की एकल पीठ ने अरविंद केजरीवाल की याचिका पर पारित किया.
अरविंद केजरीवाल पर आरोप है कि वर्ष 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान अमेठी में उन्होंने बयान दिया था कि जो कांग्रेस को वोट देगा वो देश के साथ गद्दारी करेगा और जो भाजपा को वोट देगा उसे खुदा भी माफ नहीं करेगा. उक्त बयान को लेकर फ्लाइंग स्कवाएड मजिस्ट्रेट ने मुसाफिरखाना कोतवाली में केजरीवाल के विरुद्ध जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. जिसमें जांच के उपरांत उनके विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है. हालांकि केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मुकदमे में व्यक्तिगत हाजिरी से छूट मिली हुई है.
केजरीवाल की ओर से इसी मुकदमे को लेकर खुद को उन्मोचित (डिस्चार्ज) करने का प्रार्थना पत्र सम्बंधित एमपी-एमएलए कोर्ट में दाखिल किया. जिसे 4 अगस्त 2022 को खारिज कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने सत्र न्यायाधीश के समक्ष पुनरीक्षण प्रार्थना पत्र दाखिल किया. यह भी 21 अक्टूबर 2022 को खारिज हो गया. उक्त दोनों आदेशों को केजरीवाल की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा गया कि केजरीवाल का उक्त बयान संविधान में प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत संरक्षित है और उक्त बयान के पीछे उनका नफरत फैलाने का कोई इरादा नहीं था. हालांकि न्यायालय ने इस दलील से असहमति जताते हुए कहा कि यह ट्रायल के दौरान ही स्पष्ट हो सकता है.