नई दिल्ली: हौजखास स्थित आईआईटी दिल्ली परिसर में नए मिनी एकेडमिक और इंजीनियरिंग ब्लॉक बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने 157 पेड़ों को काटने और ट्रांसप्लांट करने की इजाजत दे दी है. इसकी जानकारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दी है.
मिनी एकेडमिक और इंजीनियर ब्लॉक का उपयोग नई प्रयोगशालाओं और अनुसंधान स्थलों के निर्माण के लिए किया जाएगा. आईआईटी ने अपने परिसर में जहां इन ब्लॉकों को बनाने का फैसला लिया, वहां यह पेड़ आड़े आ रहा था. अब स्थल को खाली करने के लिए 157 पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण करने के प्रस्ताव को इस शर्त पर मंजूरी मिली है कि आईआईटी के परिसर में ही 1,570 पेड़ लगाए जाएं. संस्थान में बनने वाले नए ब्लॉकों में कई शोध कार्य और प्रयोगशालाएं विकसित करने की योजना है. इससे छात्रों और शोधकर्ताओं को शिक्षा की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करने में मदद मिलेगी.
दिल्ली आईआईटी के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे के महत्व को देखते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने छात्रों और शोधकर्ताओं के हित को देखते हुए पेड़ों को काटने और हटाने की अनुमति दी है. दिल्ली सरकार ने 157 पेड़ों में से आईआईटी को 82 पेड़ों का प्रत्यारोपण करने, जबकि 75 पेड़ों को काटने की अनुमति ही है.
प्रत्यारोपण चिह्नित परियोजना स्थल के भीतर किया जाएगा. आगे यह भी देखा गया है कि 229 पेड़ों को प्रत्यारोपण और हटाने से बचाया गया है. दिल्ली सरकार ने आईआईटी को निर्देश दिया है कि वह साइट पर एक भी पेड़ को नुकसान न पहुंचाए, जिन्हें सरकार द्वारा पहचाना और अनुमोदित किया गया है. यदि 157 स्वीकृत पेड़ों के अलावा कोई भी पेड़ क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो यह दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत अपराध होगा.
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दिल्ली सरकार ने इन पेड़ों को काटने और प्रत्यारोपण के बदले आईआईटी के लिए दस गुना पेड़ लगाना अनिवार्य कर दिया है. पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए आईआईटी अपने परिसर में नए 1,570 पेड़ लगाएगा. इन पेड़ों को चिन्हित स्थानों पर तीन महीने के भीतर लगाया जाएगा.
दिल्ली सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आईआईटी अगले सात वर्षों तक पेड़ों के रख-रखाव की जिम्मेदारी लेगा. दिल्ली सरकार द्वारा अनुमोदित प्रस्ताव के अनुसार, पेड़ों को हटाने और प्रत्यारोपण के बदले दिल्ली की मिट्टी और जलवायु के अनुकूल विभिन्न प्रजातियों के पेड़ लगाए जाएंगे. इनमें नीम, अमलतास, पीपल, पिलखान, गूलर, बरगद, आम और शीशम सहित अन्य प्रजातियां शामिल हैं. इन पेड़ों को गैर-वन भूमि पर 6-8 फीट ऊंचाई के पौधे के रूप में लगाया जाएगा.
जिन पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जाना है उनके लिए आईआईटी को निर्देश दिया गया है कि वह आवश्यक शर्तों को पूरा करने के तुरंत बाद प्रक्रिया शुरू करें और इसे 6 महीने के भीतर पूरा करें. आईआईटी आगे पर्यवेक्षण के लिए वन अधिकारी को उसी पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा. दिल्ली सरकार ने आईआईटी को परियोजना के लिए वृक्षारोपण नीति 2020 का ईमानदारी से पालन करने और उस पर नियमित प्रगति रिपोर्ट जमा करने को कहा है.
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