नई दिल्ली: समाज के लिए इंजीनियर महज एक पेशवर नहीं हैं, बल्कि वह तकनीकी दुनिया के वो पहिये हैं जो चीजों को मूर्त देने और उन्हें सुचारु रूप से चलाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. चाहे वह ऊंची इमारतें और ब्रिज बनाना हो, बिजली संयंत्रों को चलाना हो या वाहनों को नित नए तकनीकों से लैस करना हो, सभी जगह इंजीनियर ही काम करते नजर आएंगे. वहीं दिल्ली के लिए यह दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि दिल्ली की सत्ता में दो शीर्ष पदों पर इंजीनियर ही काम कर रहे हैं. राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस के मौके पर जानिए कैसे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मुख्य सचिव नरेश कुमार इंजीनियर से यहां तक का सफर पूरा किया.
इंजीनियरिंग का दिखा रहे कमाल: दरअसल दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच टकराव हमेशा सुर्खियों में रहता है. बावजूद इसके सरकार के फैसलों को लागू होने में अगर दिक्कत नहीं हो रही है तो कहीं न कहीं ये इंजीनियर का ही कमाल है. 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के हिसार जिले में जन्मे अरविंद केजरीवाल ने आईआईटी खड़गपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद 1989 से 1993 तक उन्होंने टाटा स्टील में बतौर इंजीनियर अपनी सेवा दी.
बने इनकम टैक्स असिस्टेंट कमिश्नर: इसके तीन साल बाद 1995 में वे इंडियन रिवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के लिए चुने गए और इनकम टैक्स में असिस्टेंट कमिश्नर बने. इनकम टैक्स असिस्टेंट कमिश्नर बनने में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कितनी कम आई, इसका जिक्र वे करते रहते हैं. वर्ष 2000 में उन्होंने एनजीओ की शुरुआत की और सूचना के अधिकार का अभियान चलाया, जिसके बाद 2006 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हालांकि इसके बाद उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दे दिया.
ये रहा जीवन का टर्निंग प्वाइंट: पहले प्रशासनिक अधिकारी और फिर सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अरविंद केजरीवाल ने राइट टू इंफॉर्मेशन के लिए काफी काम किया. इसके बाद जनलोकपाल बिल के लिए वे समाज सेवी अन्ना हजारे के संपर्क में आए, जिसके लिए उन्होंने आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील रहे शांति भूषण, प्रशांत भूषण, संतोष हेगड़े, किरण बेदी जैसे दिग्गज लोगों को जोड़ा गया.
शीला दीक्षित की गई सरकार: जेएनयू के प्रोफेसर आनंद प्रधान ने बताया कि आंदोलन के दौरान इन दिग्गजों को जोड़ने में अरविंद केजरीवाल की इंजीनियरिंग काफी काम आई. इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले वर्ष 2011-12 में जंतर मंतर से लेकर रामलीला मैदान में ऐसा आंदोलन खड़ा हुआ की दिल्ली की सत्ता में 15 साल से काबिज कांग्रेस की शीला दीक्षित की सरकार चली गई. अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल का आंदोलन, उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ.
की अपनी पार्टी की शुरुआत: इसके बाद 26 नवंबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी बनाई, जिसके बाद केजरीवाल पर बाद में जनलोकपाल आंदोलन को हाईजैक करने का आरोप भी लगा. इसके बाद अन्ना हजारे ने भी अपनी राह अलग कर ली. वर्ष 2013 में दिल्ली से शीला दीक्षित सरकार को हटाने में बाद से लेकर आज तक, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं.
ऐसे मुख्य सचिव बने नरेश कुमार: आइए अब जानते हैं मुख्य सचिव नरेश कुमार की कहानी. 18 नवंबर 1963 को दिल्ली में पैदा हुए नरेश कुमार ने सिर्फ 23 साल की उम्र में यूपीएससी सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्रैक कर ली थी. उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हुई है. अरुणाचल प्रदेश में असिस्टेंट कमिश्नर के तौर पर अपनी सेवा की शुरुआत के बाद, नरेश कुमार वर्तमान में दिल्ली सरकार में मुख्य सचिव का कार्यभार संभाल रहे हैं.
सरकार और अधिकारियों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी: दिल्ली सरकार और अधिकारियों के बीच तकरार के स्थिति में मुख्य सचिव नरेश कुमार आए दिन मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं. दिल्ली में दशकों साल बाद आई यमुना नदी में भीषण बाढ़ के दौरान जब जनजीवन प्रभावित हुआ था, तब मुख्य सचिव नरेश कुमार बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए अधिकारियों की टीम के साथ मैदान में उतरे और लोगों की मदद मुहैया कराई. वहीं जल निकासी के लिए आईटीओ पर बने बैराज के गेट खोलने में सेना को जो मशक्कत करनी पड़ी, उसमें मुख्य सचिव के रूप में नरेश कुमार ने अहम भूमिका निभाई थी.
एलजी ने भी की तारीफ: इतना ही नहीं, हाल ही में संपन्न हुए जी20 शिखर सम्मेलन की तैयारी को लेकर उपराज्यपाल के साथ बैठक करने से लेकर सभी एजेंसियों के बीच तालमेल बैठाने में उनकी भूमिका का जिक्र गुरुवार देर शाम तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने भी मंच से किया.
इसलिए मनाया जाता है इंजीनियर्स डे: बता दें कि हर साल देश में 15 सितंबर को नेशनल इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है. वर्ष 1968 में भारत सरकार ने महान सिविल इंजीनियर सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया की जयंती यानी 15 सितंबर को नेशनल इंजीनियर्स डे के रूप में मनाने का फैसला लिया था. यह दिन देश के निर्माण में इंजीनियरों के योगदान को याद करने और इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए युवाओं को प्रेरित करने के लिए मनाया जाता है.
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