नई दिल्ली: लता मंगेशकर नहीं रहीं. रविवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका निधन हो गया. लता मंगेशकर भारत में किवदंतियों की तरह रहीं. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बड़ी आत्मीयता से ये उपाधि लता मंगेशकर को दी थी. 'स्वर कोकिला' लता मंगेशकर. लेकिन लता को जिस टाइटल की सबसे ज्यादा चाहत थी वो थी 'प्रिंसेज ऑफ डूंगरपुर'. वहीं डूंगरपुर जो राजस्थान की एक रियासत थी.
92 साल की उम्र में लता मंगेशकर ने रविवार (6 फरवरी, 2022) को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. कोरोना वायरस से पीड़ित होने के बाद लता मंगेशकर को 8 जनवरी को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, तभी से वह वहां थीं. लेकिन ये लंबा संघर्ष 6 फरवरी को खत्म हुआ और लता मंगेशकर ने इस दुनिया से विदाई ली. लता मंगेशकर का अंतिम संस्कार आज ही किया जाएगा. दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक पेडर रोड स्थित उनके घर पर पार्थिव शरीर को रखा जाएगा, जहां लोग अंतिम दर्शन कर सकेंगे. इसके बाद शाम 4.30 बजे लता मंगेशकर का पार्थिव शरीर मुंबई के शिवाजी पार्क में ले जाया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी और संस्कार किया जाएगा.
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लता मंगेशकर के निधन की खबर सुनकर हर कोई शौक में है. ओडिसी नृत्यांगना पद्मश्री रंजना गौहर का कहना है कि 'आज भारत के संगीत प्रेमियों तथा कलाकारों के लिए बहुत ही शोक पूर्ण दिन है. हमारे बीच भारत की स्वर कोकिला हमारी गौरवमई लता मंगेशकर जी नहीं रही. उन्हें खोकर न सिर्फ फिल्म जगत में बल्कि पूरे विश्व में उदासीनता छा गई है. अपनी मधुर आवाज तथा गीतों से न जाने कितनी पीढ़ियों को प्रेरणा दी और उनके हृदय को लुभाया. आज संगीत की दुनिया ने एक अनमोल रत्न खो दिया ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे'.
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वहीं कुच्चीपुड़ी डांसर पद्म भूषण डॉ. राजा रेड्डी ने शोक जताते हुए कहा कि 'मुझे यह खबर सुनकर झटका सा लगा कि भारत रत्न लता मंगेशकर हमारे बीच नहीं रही. यह हमारे लिए और पूरे विश्व के लिए एक इंस्पिरेशन थी. वो और उनके गाने हमेशा के लिए अमर हैं. आने वाली पीढ़ी हमेशा याद करेगी उनके मनमोहक आवाज और उनकी गीतों के लिए. यह सभी भारतीय और जो ऐसे भारतीय जो विदेश में बसे हुए हैं उनके लिए बहुत बड़ी क्षति है आज लता मंगेशकर का ना रहना.
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