नई दिल्ली: आज के समय में कठपुतली जैसे खिलौने पुराने हो चुके हैं. बच्चे नए-नए गैजेट्स और इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों से खेलना पसंद करते हैं. शायद ही बच्चों को पता होगा कि कठपुतली जैसे कई खिलौने हुआ करते थे. जिनसे पहले बच्चे खेलते थे, लेकिन पुरानी सभ्यता और संस्कृति को बच्चों तक पहुंचाने के लिए बाल संगम उत्सव में कलाकार रामलाल जोकि बच्चों को वेस्ट पुराने न्यूज़पेपर और दूसरी चीजों से पपेट बनाना सिखा रहे हैं.
आर्ट और कल्चर से दूर हो रहे बच्चे
आर्टिस्ट रामलाल का कहना था कि आज लोगों के पास समय नहीं है. हर कोई अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर शिक्षा देने के पीछे लगा हुआ है, लेकिन कोई भी आर्ट और कल्चर की तरफ अपने बच्चे को आकर्षित नहीं करता. ऐसे में बच्चे अपने कल्चर और सभ्यता को नहीं जान पाते और विदेशी सभ्यता की ओर आगे बढ़ते चले जाते हैं.
रामलाल का कहना था कि पहले के समय में बच्चों को कई हाथ से बनाए जाने वाले आर्ट सिखाए जाते थे. जिससे बच्चों की कला निखरती थी और उनका हुनर सामने आता था. इससे बच्चों की आत्मनिर्भरता और कंसंट्रेशन भी बढ़ता है, लेकिन ये कहीं ना कहीं गुम होता जा रहा है, लेकिन इसको जिंदा रखने के लिए वो अलग-अलग तरीके के पपेट बनाना सिखाते हैं और इसी कड़ी में वो बाल संगम उत्सव में आए हुए हैं.
गौ पत्रकार की पत्रकारिता
आर्टिस्ट रामलाल ने इन्हीं वेस्ट मटिरियल से एक गौ पत्रकार पपेट भी बनाया है, जोकि कई सामाजिक मुद्दों पर पत्रकारिता कर चुका हैं. इस गौ पत्रकार ने ईटीवी के माध्यम से लोगों से आपस में भाईचारे के साथ रहने और भारतीय सभ्यता को आगे तक बढ़ाने की गुहार लगाई. साथी सभी आर्टिस्टों को सम्मान देने की बात कही.