नई दिल्ली: अक्सर लोग घर मोहल्ले या कॉलोनियों में पड़े कबाड़ को देखकर उसे बेचने या फेंकने के बारे में सोचते हैं. मगर देश में कुछ ऐसे कलाकार और शिल्पकार भी हैं, जो इन कबाड़ से मनमोहक कलाकृति उकेर देते हैं. देशभर के 17 कलाकारों ने ऐसे ही ऐसी ही खराब पड़ी वस्तुओं में जान फूंकने का प्रयास किया है.
दरअसल दिल्ली के मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम के श्रीधरन गैलरी में 'ट्रिमिंग द लाइट' नाम से प्रदर्शनी लगी है. इस एग्जीबिशन के क्यूरेटर माणिक बर्मन ने बताया कि, प्रदर्शनी का उद्घाटन 15 अप्रैल को हुआ था जो 24 अप्रैल तक चलेगी. शुरुआती 4 दिनों में प्रदर्शनी को विजिटर्स से अच्छा रुझान मिला है. यहां सुबह से शाम तक कलाप्रेमियों का आना-जाना लगा रहता है. अगर वे किसी विशेष कलाकृति के बारे में पूछते हैं, तो उन्हें इसके बारे भी बताया जाता है. एग्जीबिशन में लगाए गए एक खास स्तंभ के बारे में माणिक बर्मन ने बताया कि इसे दिल्ली की ही एक पुरानी इमारत से निकाला गया था. इस पर आर्टिस्ट ने मानव जीवन के आधुनिक दिनचर्या और परिवर्तन को दिखाने का प्रयास किया है. शिल्पकार ने इसे प्रेस्टीजियस कॉलोनी नाम दिया है.
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प्रदर्शनी में खोकोन गिरी, कुमार कृष्णा, रणजय सरकार, सूरज गोराई, फारूक अहमद, पार्थ साहा, देबी प्रसाद भुनिया, शुभंकर चक्रवर्ती, सुरजीत मुदी, राजा बोरो, दिबेंदु रॉय, सांतनु डे और अमित डे सहित कई कलाकारों की मेहनत देखने को मिल रही है. वहीं, एग्जीबिशन में पहुंचे विजिटर अश्विनी कुमार ने बताया कि कलाकारों का काम प्रशंसनीय है. घर के पुराने सामान, आस-पड़ोस में खराब पड़ी वस्तुओं, लकड़ियों के बड़े टुकड़ों को भी आकार देकर नायाब कलाकृति की गई है. इससे आम आदमी को भी प्रेरणा मिलती है कि किस तरह खराब हो चुके सामान को भी बेहतर रंग-रूप दिया जा सकता है.