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'मेरे बेटे की साजिश के तहत हुई हत्या, खुदकुशी की नहीं थी कोई वजह'

आर्मी कैप्टन दिवाकर पुरी का शव रेलवे ट्रैक पर मिला. दिवाकर के परिवार का आरोप है कि साजिश के तहत उसकी हत्या की गई है. उनका कहना है कि दिवाकर खुदकुशी नहीं कर सकता.

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Published : Jul 30, 2019, 3:30 PM IST

आर्मी कैप्टन दिवाकर पुरी ETV BHARAT

नई दिल्ली: रेलवे ट्रैक पर आर्मी कैप्टन दिवाकर पुरी का शव मिलने का मामला उलझता नजर आ रहा है. दिवाकर के परिवार का आरोप है कि साजिश के तहत उसकी हत्या की गई है.
उनका कहना है कि वो खुदकुशी नहीं कर सकता. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वे इस मामले की सीबीआई से जांच करवाएं ताकि सच सामने आ सकें. उन्होंने पुलिस पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है.

दो दिन पहले ही उनकी आखिरी बार दिवाकर से बात हुई थी

पिता भी हैं सरकारी कर्मचारी
दिवाकर के पिता जीएल पुरी सरकारी कर्मचारी हैं. उन्होंने बताया दिवाकर बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार था. 12वीं के बाद उसका आर्मी में सेलेक्शन हो गया था और वहीं पर उसने डॉक्टरी की पढ़ाई की. उसी समय उसे लेफ्टिनेंट का पद मिल गया था और लगभग ढाई साल पहले पढ़ाई पूरी करने के बाद वो कैप्टन बन गया था.

लखनऊ में हुई थी ट्रेनिंग
हाल ही में उसकी 7 सप्ताह की लखनऊ में ट्रेनिंग हुई थी. जिसे पूरी करने के बाद वो लौट रहा था. इसके बाद उसकी पोस्टिंग अनंतनाग के पुलवामा में की गई थी. जहां उसे अगले सप्ताह ज्वाइंन करना था.

दो दिन पहले हुई थी आखिरी बार बात
जी एल पुरी ने बताया कि दो दिन पहले ही उनकी आखिरी बार दिवाकर से बात हुई थी. उसने बताया था कि उसे हवाई जहाज की टिकट नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से वो श्रमजीवी एक्सप्रेस में आ रहा है.
सुबह जब वो घर नहीं पहुंचा तो उन्होंने उसके फोन पर संपर्क किया. उसका फोन बज रहा था. लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद जब वो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे तो पता चला कि उसका सामान उसकी सीट पर मिला है. लेकिन दिवाकर का कुछ पता नहीं चला.

छह घंटे तक पुलिस ने नहीं किया कोई प्रयास
इसके लगभग 6 घंटे बाद उसका शव सदर बाजार रेलवे स्टेशन के रेलवे ट्रैक पर मिलता है. जीएल पूरी का आरोप है कि इन 6 घंटों के दौरान पुलिस ने उसे तलाशने की कोई कोशिश नहीं की. उसका सामान जब उन्हें मिला तो उन्हें उसकी तलाश करनी चाहिए थी.

छह घंटे बाद उसका शव लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक पर मिलता है. उन्होंने सवाल पूछा है कि सेना का अधिकारी क्यों डेढ़ किलोमीटर दूर तक पैदल जाएगा. उनका मानना है कि किसी ने हत्या करने के बाद दिवाकर का शव वहां पर फेंका है.

घर में नहीं खुदकुशी का कोई कारण
दिवाकर के मामा गिरीश ने बताया कि पुलिस जांच किये बिना इसे खुदकुशी का मामला बता रही है. दिवाकर के घर-परिवार में सभी पढ़े-लिखे लोग हैं. उसकी हर बात परिवार वाले मानते थे. घर में किसी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है. अपनी मर्जी से उसने सेना की नौकरी चुनी थी क्योंकि वो देश सेवा में विश्वास करता था. ऐसे में जब खुदकुशी के लिए कोई कारण नहीं है तो वो ऐसा कदम क्यों उठाएगा.

सीबीआई जांच की मांग
दिवाकर के पिता ने इस घटना की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि ट्रेन में आ रहे एक आर्मी अधिकारी का शव रेलवे ट्रैक पर मिलता है. ये कहीं न कहीं साजिश की तरफ इशारा करता है. सेना के एक अधिकारी की इस तरह से मौत सामान्य घटना नहीं है. इसलिए गंभीरता से इसकी जांच केंद्र सरकार को करवानी चाहिए ताकि सच सामने आ सके.

नई दिल्ली: रेलवे ट्रैक पर आर्मी कैप्टन दिवाकर पुरी का शव मिलने का मामला उलझता नजर आ रहा है. दिवाकर के परिवार का आरोप है कि साजिश के तहत उसकी हत्या की गई है.
उनका कहना है कि वो खुदकुशी नहीं कर सकता. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वे इस मामले की सीबीआई से जांच करवाएं ताकि सच सामने आ सकें. उन्होंने पुलिस पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है.

दो दिन पहले ही उनकी आखिरी बार दिवाकर से बात हुई थी

पिता भी हैं सरकारी कर्मचारी
दिवाकर के पिता जीएल पुरी सरकारी कर्मचारी हैं. उन्होंने बताया दिवाकर बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार था. 12वीं के बाद उसका आर्मी में सेलेक्शन हो गया था और वहीं पर उसने डॉक्टरी की पढ़ाई की. उसी समय उसे लेफ्टिनेंट का पद मिल गया था और लगभग ढाई साल पहले पढ़ाई पूरी करने के बाद वो कैप्टन बन गया था.

लखनऊ में हुई थी ट्रेनिंग
हाल ही में उसकी 7 सप्ताह की लखनऊ में ट्रेनिंग हुई थी. जिसे पूरी करने के बाद वो लौट रहा था. इसके बाद उसकी पोस्टिंग अनंतनाग के पुलवामा में की गई थी. जहां उसे अगले सप्ताह ज्वाइंन करना था.

दो दिन पहले हुई थी आखिरी बार बात
जी एल पुरी ने बताया कि दो दिन पहले ही उनकी आखिरी बार दिवाकर से बात हुई थी. उसने बताया था कि उसे हवाई जहाज की टिकट नहीं मिल रही है. जिसकी वजह से वो श्रमजीवी एक्सप्रेस में आ रहा है.
सुबह जब वो घर नहीं पहुंचा तो उन्होंने उसके फोन पर संपर्क किया. उसका फोन बज रहा था. लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद जब वो नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे तो पता चला कि उसका सामान उसकी सीट पर मिला है. लेकिन दिवाकर का कुछ पता नहीं चला.

छह घंटे तक पुलिस ने नहीं किया कोई प्रयास
इसके लगभग 6 घंटे बाद उसका शव सदर बाजार रेलवे स्टेशन के रेलवे ट्रैक पर मिलता है. जीएल पूरी का आरोप है कि इन 6 घंटों के दौरान पुलिस ने उसे तलाशने की कोई कोशिश नहीं की. उसका सामान जब उन्हें मिला तो उन्हें उसकी तलाश करनी चाहिए थी.

छह घंटे बाद उसका शव लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक पर मिलता है. उन्होंने सवाल पूछा है कि सेना का अधिकारी क्यों डेढ़ किलोमीटर दूर तक पैदल जाएगा. उनका मानना है कि किसी ने हत्या करने के बाद दिवाकर का शव वहां पर फेंका है.

घर में नहीं खुदकुशी का कोई कारण
दिवाकर के मामा गिरीश ने बताया कि पुलिस जांच किये बिना इसे खुदकुशी का मामला बता रही है. दिवाकर के घर-परिवार में सभी पढ़े-लिखे लोग हैं. उसकी हर बात परिवार वाले मानते थे. घर में किसी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है. अपनी मर्जी से उसने सेना की नौकरी चुनी थी क्योंकि वो देश सेवा में विश्वास करता था. ऐसे में जब खुदकुशी के लिए कोई कारण नहीं है तो वो ऐसा कदम क्यों उठाएगा.

सीबीआई जांच की मांग
दिवाकर के पिता ने इस घटना की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि ट्रेन में आ रहे एक आर्मी अधिकारी का शव रेलवे ट्रैक पर मिलता है. ये कहीं न कहीं साजिश की तरफ इशारा करता है. सेना के एक अधिकारी की इस तरह से मौत सामान्य घटना नहीं है. इसलिए गंभीरता से इसकी जांच केंद्र सरकार को करवानी चाहिए ताकि सच सामने आ सके.

Intro:नई दिल्ली
रेलवे ट्रैक ट्रैक पर मिली आर्मी कैप्टन दिवाकर पुरी की मौत का मामला उलझता नजर आ रहा है. दिवाकर के परिवार का आरोप है कि साजिश के तहत उसकी हत्या की गई है. उनका कहना है कि वह खुदकुशी नहीं कर सकता. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वह इस मामले की सीबीआई से जांच करवाएं ताकि सच सामने आ सके. उन्होंने पुलिस पर भी लापरवाही का आरोप लगाया है.


Body:दिवाकर के पिता जीएल पुरी सरकारी कर्मचारी हैं. उन्होंने बताया दिवाकर बचपन से ही पढ़ने में बहुत होशियार था. 12वीं के बाद उसका आर्मी में सलेक्शन हो गया था और वहीं पर उसने डॉक्टरी की पढ़ाई की. उसी समय उसे लेफ्टिनेंट का पद मिल गया था और लगभग ढाई साल पहले पढ़ाई पूरी करने के बाद वह कैप्टन बन गया था. हाल ही में उसकी 7 सप्ताह की लखनऊ में ट्रेनिंग हुई थी, जिसे पूरी करने के बाद वह लौट रहा था. इसके बाद उसकी पोस्टिंग अनंतनाग के पुलवामा में की गई थी, जहां उसे अगले सप्ताह ज्वाइन करना था.


दो दिन पहले हुई थी आखिरी बार बात
जीएल पुरी ने बताया कि दो दिन पहले ही उनकी आखिरी बार दिवाकर से बात हुई थी. उसने बताया था कि उसे हवाई जहाज की टिकट नहीं मिल रही है , जिसकी वजह से वह श्रमजीवी एक्सप्रेस में आ रहा है. सुबह जब वह घर नहीं पहुंचा तो उन्होंने उसके फोन पर संपर्क किया. उसका फोन बज रहा था, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. इसके बाद जब वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे तो पता चला कि उसका सामान उसकी सीट पर मिला है. लेकिन दिवाकर का कुछ पता नहीं चला.


छह घंटे तक पुलिस ने नहीं किया कोई प्रयास
इसके लगभग 6 घंटे बाद उसका शव सदर बाजार रेलवे स्टेशन के रेलवे ट्रैक पर मिलता है. जीएल पूरी का आरोप है कि इन 6 घंटों के दौरान पुलिस ने उसे तलाशने की कोई कोशिश नहीं की. उसका सामान जब उन्हें मिला तो उन्हें उसकी तलाश करनी चाहिए थी. छह घंटे बाद उसका शव लगभग डेढ़ किलोमीटर दूर रेलवे ट्रैक पर मिलता है. उन्होंने सवाल पूछा है कि सेना का अधिकारी क्यों डेढ़ किलोमीटर दूर तक पैदल जाएगा. उनका मानना है कि किसी ने हत्या करने के बाद दिवाकर का शव वहां पर फेंका है.


घर में नहीं खुदकुशी का कोई कारण
दिवाकर के मामा गिरीश ने बताया कि पुलिस जांच किये बिना इसे खुदकुशी का मामला बता रही है. दिवाकर के घर-परिवार में सभी पढ़े-लिखे लोग हैं. उसकी हर बात परिवार वाले मानते थे. घर में किसी प्रकार का आर्थिक संकट नहीं है. अपनी मर्जी से उसने सेना की नौकरी चुनी थी क्योंकि वह देश सेवा में विश्वास करता था. ऐसे में जब खुदकुशी के लिए कोई कारण नहीं है तो वह ऐसा कदम क्यों उठाएगा.


Conclusion:सीबीआई जांच की मांग
दिवाकर के पिता ने इस घटना की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है. उनका कहना है कि ट्रेन में आ रहे एक आर्मी अधिकारी का शव रेलवे ट्रैक पर मिलता है. यह कहीं न कहीं साजिश की तरफ इशारा करता है. सेना के एक अधिकारी की इस तरह से मौत सामान्य घटना नहीं है. इसलिए गंभीरता से इसकी जांच केंद्र सरकार को करवानी चाहिए ताकि सच सामने आ सके.
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