नई दिल्ली: दिल्ली के लोकायुक्त की अदालत (Lokayukta court of Delhi )में जल्द ही डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन समेत कुछ अन्य महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों और सहायक कर्मचारियों की नियुक्ति हो सकेगी. लोकायुक्त अदालत में कर्मचारियों की कमी की समस्या को दूर करने की दिशा में पहल करते हुए उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नियुक्तियों के लिए मंजूरी दे दी है.
उपराज्यपाल ने प्रस्ताव को दी मंजूरी : दिल्ली सरकार के प्रशासनिक सुधार विभाग के मुताबिक उपराज्यपाल ने लोकायुक्त की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए लोकायुक्त कार्यालय में डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन के पद पर सक्षम और वरिष्ठता के लिहाज से सीनियर स्तर के अधिकारी की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है, जिससे लोकायुक्त अदालत में मिलने वाली शिकायतों पर चल रही या की जाने वाली जांच की निगरानी सक्षम अधिकारी के स्तर से की जा सके. पिछले दिनों लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कर्मचारियों की घोर कमी के चलते किस तरह से लोकायुक्त कार्यालय के रोजमर्रा का सामान्य कामकाज तक प्रभावित हो रहा है. यहां तक कि जांच की निगरानी और उचित निर्देश देने वाले डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन का पद भी खाली पड़ा हुआ है. केवल एक असिस्टेंट डायरेक्टर ही सारा कामकाज देख रहे थे. लोकायुक्त ने वित्तीय सहायता दिए जाने समेत कुछ अन्य मुद्दे भी उठाए थे.
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अधिकारियों और कर्मचारियों की थी घोर कमी : बता दें कि हाल ही में लोकायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री को उस रिपोर्ट में लोकायुक्त की तरफ से जताई गई चिंताओं पर संज्ञान लेने और उन पर उचित कार्रवाई करने की सलाह दी थी. लोकायुक्त की नियुक्ति राज्य में लोक सेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार एवं पद के दुरुपयोग की जांच के लिए की गई है. इसकी जांच के दायरे में राज्य के मुख्यमंत्री, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी समेत कई संस्थाएं होती है. जानकारी के अनुसार, दिल्ली लोकायुक्त कार्यालय में 31 अगस्त 2022 तक 300 से अधिक मामले लंबित थे. इनमें से दिल्ली के विधायकों के खिलाफ 87 मामले हैं.
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