नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार (Delhi Pradesh Congress Committee President Chaudhary Anil Kumar) ने कहा कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में गरीब, मजदूर और दलित वर्ग यह निर्णय ले चुका है कि वह चार दिसम्बर को कांग्रेस के पक्ष में मतदान करेगा. क्योंकि निगम में भाजपा और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने पिछले कार्यकालों में अस्थाई, अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित करने और बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था, जिसमें दोनों पूरी तरह विफल रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 2017 के संकल्प पत्र में भाजपा ने निगम में अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था, परंतु 2022 के वचन पत्र में अस्थाई कर्मचारियों को नियमित करने का कोई ब्यौरा नहीं होना. साबित करता है कि 15 वर्षों की सत्ता के बाद भाजपा ने स्वीकार कर लिया है कि वे भविष्य में अस्थाई कर्मचारियों को नियमित नहीं करेंगे. इस मौके पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं अभियान समिति के चेयरमैन सुभाष चौपड़ा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री कृष्णा तीरथ, प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक जय किशन, कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन एवं पूर्व विधायक अनिल भारद्वाज, पूर्व विधायक वीर सिंह धींगान, एस.सी. विभाग के चेयरमैन संजय नीरज मौजूद थे.
अनिल कुमार ने कहा भाजपा और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में दलितों को आरक्षण से वंचित करके सरकार में स्थाई नौकरियां खत्म कर रही हैं और उसके स्थान पर ठेका प्रथा के अंतर्गत निगम और दिल्ली सरकार में नौकरियां देने पर जोर दे रही हैं. उन्होंने कहा कि छठी पंचवर्षीय योजना 1980-85 में Scheduled Caste Sub Plan (SCSP) फंड की शुरुआत की, जिसमें दलित जनसंख्या अनुपात में दिल्ली नगर निगम बजट में राशि आवंटित करके उनके हितों के लिए खर्च करनी थी. परंतु दिल्ली नगर निगम ने अपने 14500 करोड़ के बजट से दलितों के लिए किसी भी योजना के लिए फंड आवंटित ही नहीं किया है. जबकि, केजरीवाल सरकार ने Scheduled Caste Sub Plan (SCSP) फंड को दलितों के कल्याण के लिए 2015-2016 से 2019-2020 के बीच आंवटित बजट 16.76 प्रतिशत की जगह 4.6 प्रतिशत खर्च करके बजट की 9158 करोड़ रुपये राशि कम खर्च करके लूट की है.
उन्होंने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी दलित विरोधी है, यह दिल्ली का दलित वर्ग जान चुका है. पिछले 15 वर्षों में वेतन लेने के लिए हड़ताल पर जाना यह भाजपा और केजरीवाल सरकार की विफलता को साबित करता है. पिछले एक दशक से दिल्ली का एक भी अस्थाई कर्मचारी को नियमित नही किया गया है. उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की निष्क्रियता के कारण सीवर सफाई करने वाले सैकड़ों सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है, जिनको 50 लाख घोषणा के बावजूद 8 वर्षों में केजरीवाल सरकार ने एक भी कर्मचारी को मुआवजा नहीं दिया. दिल्ली जल बोर्ड, पीडब्लूडी, नगर निगम इत्यादि में आज भी मैला उठाने का काम आम आदमी पार्टी और भाजपा के कार्यकाल में किया जा रहा है, जबकि 2013 में कांग्रेस की केन्द्र और दिल्ली सरकार ने कानून द्वारा इसे प्रतिबंधित कर दिया था.
अनिल कुमार ने कहा कि केजरीवाल का दलित विरोधी होने का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि जब उन्होंने तुगलकाबाद स्थित गुरु रविदास मंदिर को डीडीए द्वारा तोड़ने पर पूरी चुप्पी साधना है. उन्होंने कहा कि मंदिर के पुर्ननिर्माण पर केजरीवाल और भाजपा मिलकर दिल्ली की जनता को गुमराह कर रहे हैं. कांग्रेस के प्रयासों के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद मंदिर निर्माण कार्य शुरु नहीं होना यह साबित करता है कि केजरीवाल और भाजपा दोनों को दलितों की धार्मिक आस्थाओं से कोई लेना देना नहीं है.