नई दिल्ली: संस्कार भारती के कला संकुल ने सोमवार को "अमर्त्य: साहित्य-कला-संवाद" के भाग-1 का आयोजन किया. साहित्य अकादमी की उपाध्यक्ष और हिन्दी विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कुमुद शर्मा कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं. उन्होंने जलज कुमार अनुपम के साथ हुए संवाद में कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन की लड़ाई हिन्दी में लड़ी गई है.
प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि हमारे महापुरुषों ने स्वतंत्रता आंदोलन में जो भी नारा दिया वे हिंदी में ही हैं. लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब राजभाषा बनने की बारी आई तो विवाद शुरू हो गया. राजभाषा हिन्दी जरूर बन गई लेकिन आज भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं हो सकी है. इस अमृत महोत्सव के माध्यम से हिंदी को फलक देने की कोशिश की जा रही है.
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वहीं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को समझने और जानने में सहायक सिद्ध होगी. हिन्दी के विकास में हिन्दी भाषी समाज को अपने मन से हीनता बोध निकालना होगा. आप बाजार की भाषा सीखिए. अगर विदेशी भाषा सीखते हैं तो उस भाषा का सम्मान कीजिए लेकिन अपनी भाषा पर गर्व भी करना सीखिए. एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि भोजपुरी या किसी भी अन्य भाषा के मजबूत होने से हिन्दी की सेहत पर कोई असर नही होगा. हिन्दी बहुत मजबूत और समृद्ध है.
उन्होंने संवाद में यह भी कहा कि साहित्य कभी राजनैतिक पार्टियों का मेनिफेस्टो नहीं हो सकता. आज साहित्य में हर तरह विषय पर लिखा जा रहा है. आज कविताओं और कहानियों में बदलते हुए गाँव का जिक्र होता है. एजेंडा के नाम पर कुछ भी नहीं परोसा जाना चाहिए. साहित्य में यथार्थ के साथ साथ नैतिकता का होना भी आवश्यक है. साहित्य को बाजार तक सीमित नहीं किया जा सकता.
संस्कार भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री अभिजीत गोखले ने कहा कि मनुष्य और समाज के निर्माण में साहित्य और कला की महत्वपूर्ण भूमिका है. संस्कार भारती के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अशोक तिवारी ने कहा कि आज के युवाओं को साहित्य और कला के पक्ष में मार्गदर्शन के लिए ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत है. कार्यक्रम के संयोजक जलज कुमार अनुपम ने कहा कि हमारा उद्देश्य इस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं तक जाना है और उनके अंदर अपनी सभ्यता और संस्कृति के प्रति गौरवबोध को जागृत करना है. आगे आने वाले दिनों में इस कार्यक्रम के माध्यम से साहित्य-कला और संस्कृति पर काम करने वाले दिग्गजों से संवाद स्थापित करने का प्रयास रहेगा.
इस कार्यक्रम का सह संयोजन और मंच संचालन शोधार्थी भूपेन्द्र कुमार भगत ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन हर्षित कुमार ने किया. इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय, जेएनयू से अनेकों युवाओं के साथ बौद्धिक प्रबुद्धजनों की भारी भीड़ देखने को मिली.
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