नई दिल्ली: संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब आम बजट पेश कर रही थीं तो दिल्ली-एनसीआर वालों की नजर इस पर भी टिकी थी कि क्या वित्त मंत्री के पिटारे में मेट्रो नेटवर्क के विस्तार के लिए कोई स्पेशल पैकेज का ऐलान होगा. क्योंकि दिल्ली में इस समय मेट्रो के चौथे चरण का काम चल रहा है. दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी बनाने के लिए मेट्रो की भूमिका काफी अहम है.
मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए आवंटित किए गए बजट में पिछले साल बढ़ोतरी तो की गई थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से वित्त मंत्रालय देश भर में चल रहे हैं मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए शहरी आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय को एकमुश्त बजट जारी आवंटित करता है. फिर शहरी विकास मंत्रालय अलग-अलग शहरों के मेट्रो प्रोजेक्ट की जरूरतों के हिसाब से उन्हें फंड आवंटित करता है. इस बार भी ऐसा ही हुआ है. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2023- 24 के आम बजट में देशभर के विभिन्न मेट्रो परियोजनाओं के लिए कुल 19,518 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं.
केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 में सभी मेट्रो परियोजनाओं के लिए 19,130 करोड़ रुपये आवंटित किया था. हालांकि बजट दस्तावेजों के अनुसार 2022 के संशोधित बजट अनुमान में यह 15,628 करोड़ रुपये था. दिल्ली मेट्रो रेल निगम के अधिकारियों ने इस बारे में बताया कि हाल के वर्षों में वित्त मंत्रालय, सिर्फ दिल्ली मेट्रो के बजाय देशभर के सभी मेट्रो परियोजनाओं के लिए बजट आवंटित करता रहा है. पिछले साल मेट्रो परियोजनाओं के लिए केवल 232 करोड़ रुपए ज्यादा मिले थे. दिल्ली में मेट्रो के चौथे चरण का काम तेजी से चल रहा है. हालांकि दिल्ली मेट्रो रेल निगम के प्रवक्ता अनुज दयाल के अनुसार मेट्रो परियोजनाओं के लिए आवंटित बजट साल में दो-तीन बार संशोधित की जाती है और अगर कहीं पर अतिरिक्त बजट की आवश्यकता महसूस होती है तो साल के बीच में भी मंत्रालय के अलग से बजट आवंटित करता है ताकि मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम ना रुके.
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बता दें कि वर्तमान में देशभर में एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर मेट्रो परियोजनाओं पर काम चल रहा है. इनमें से कुछ अपनी शुरुआती चरण में है तो कुछ पूरे होने के कगार पर है. केंद्र सरकार, मेट्रो प्रोजेक्ट में प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी को बढ़ाने पर भी विचार कर रही है. खासकर मेट्रो के ऑपरेशन और मेंटेनेंस का जिम्मा दूसरी कंपनियों को सौंपने की दिशा में भी काम चल रहा है. ताकि इसकी लागत में कुछ कमी लाई जा सके. इस वक्त देश के अलग-अलग शहरों में 750 किलोमीटर लंबा नेटवर्क मेट्रो नेटवर्क ऑपरेशनल है और करीब 1,000 किलोमीटर लंबा नेटवर्क निर्माणाधीन है.
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