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ऑल इंडिया प्री और पैरा क्लीनिकल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन ने राजघाट पर किया प्रदर्शन

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Published : Jul 23, 2023, 6:34 PM IST

दिल्ली स्थित राजघाट पर देश के तमाम डाॅक्टर एसोसिएशन ने स्वास्थ्य क्षेत्र में पढ़ रहे एमबीबीएस और एमडी के छात्रों के लिए पढ़ाने वाले गैर मेडिकोज की नियुक्ति को लेकर विरोध प्रदर्शन किया.

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डॉक्टरों का प्रदर्शन
डॉक्टरों का प्रदर्शन

नई दिल्ली: मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक के रूप में गैर मेडिकोज (बीएससी, एमएससी, पीएचडी) की नियुक्ति के मुद्दे पर ऑल इंडिया प्री और पैरा क्लीनिकल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन ने राजघाट पर एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया गया. राजघाट पर देश के तमाम डाॅक्टर एसोसिएशन ने स्वास्थ्य क्षेत्र में पढ़ रहे एमबीबीएस और एमडी के छात्रों के लिए पढ़ाने वाले एमसीआई के पुराने नियमों के तहत, गैर मेडिकल स्नातकोत्तर (बीएससी, एमएससी, पीएचडी) को प्री और पैरा क्लीनिकल विभागों (एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी) में कुल संख्या के अधिकतम 30 प्रतिशत तक की संख्या के रूप में नियुक्त किया गया था.

उसका विरोध करते हुए एसोसिएशन ने कहा कि उस समय जब इन विभागों में पर्याप्त चिकित्सा स्नातकोत्तर नहीं थे, तब वैकल्पिक रूप में यह व्यवस्था की गई थी. ताकि इमरजेंसी के दौरान डॉक्टरों की देश में कमी न हो. हालांकि, केंद्र सरकार के प्रयासों से एमबीबीएस और एमडी की सीटें अब बढ़ा दी गई है. अब इन विभागों में पर्याप्त डॉक्टर भी हैं. इस दौरान डाॅ कमाल ने कहा कि इसके बाद एनएमसी ने मेडिकल इंस्टीट्यूशन रेगुलेशन 2022 में टीईक्यू शीर्षक से एक आदेश पारित किया और अधिसूचित किया गया कि इन विभागों में केवल 15 प्रतिशत ही गैर मेडिकल स्नातकोत्तर होंगे. इसके बाद नॉन मेडिकोज ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अभी मामला विचाराधीन है.

वहीं, डाॅ. मनाली अग्रवाल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों में फैकल्टी के रूप में गैर मेडिकोज की नियुक्ति के विरोध में हम डॉक्टर आज राजघाट पर एकत्र हुए हैं. सभी का मानना है कि फैकल्टी वह होता है जो एमबीबीएस छात्रों और स्नातकोत्तर छात्रों को नैदानिक ​​ज्ञान प्रदान करता है. उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण और कौशल प्रदान करता है ताकि कल वे किसी भी मरीज के जीवन और मृत्यु की स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हो. ऐसे में एक गैर-चिकित्सकीय व्यक्ति, जिसने एमबीबीएस, एमडी की पढ़ाई नहीं की हो, इसके साथ ही वह दैनिक दिनचर्या के हिस्से के रूप में रोगियों का इलाज नहीं किया है, वह एमबीबीएस या एमडी छात्रों के लिए एक शिक्षक के रूप में न्याय करने और उन्हें पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित करने में सक्षम नहीं हो सकता है.

ये भी पढ़ें : Cycle in Aiims : डॉक्टर और स्टाफ एम्स कैंपस में चलाएंगे साइकिल, अस्पताल में लॉन्च किया ऐप

उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के रूप में अपनी नौकरी के अलावा, एक डाॅक्टर को मरीजों को देखना या उपचार संबंधित ​​परीक्षण रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करना भी होता है, क्योंकि उसकी विशेषज्ञता का क्षेत्र मांग कर सकता है. इन लोगों ने कहा कि कोई गैर-चिकित्सकीय व्यक्ति किसी योग्य डॉक्टर की जगह कैसे ले सकता है ? जैसे-जैसे एमबीबीएस और एमडी की सीटें बढ़ाई जा रही हैं, उसी अनुपात में नौकरियां पैदा करने की जरूरत भी है. हम अपनी चिकित्सा बिरादरी के लिए न्याय की मांग करते हैं.

ये भी पढ़ें : Manipur Violence: कुकी समुदाय के लोगों ने किया मणिपुर हिंसा को लेकर प्रदर्शन, पीएम मोदी से की ये मांग

डॉक्टरों का प्रदर्शन

नई दिल्ली: मेडिकल कॉलेजों में शिक्षक के रूप में गैर मेडिकोज (बीएससी, एमएससी, पीएचडी) की नियुक्ति के मुद्दे पर ऑल इंडिया प्री और पैरा क्लीनिकल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन ने राजघाट पर एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया गया. राजघाट पर देश के तमाम डाॅक्टर एसोसिएशन ने स्वास्थ्य क्षेत्र में पढ़ रहे एमबीबीएस और एमडी के छात्रों के लिए पढ़ाने वाले एमसीआई के पुराने नियमों के तहत, गैर मेडिकल स्नातकोत्तर (बीएससी, एमएससी, पीएचडी) को प्री और पैरा क्लीनिकल विभागों (एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी) में कुल संख्या के अधिकतम 30 प्रतिशत तक की संख्या के रूप में नियुक्त किया गया था.

उसका विरोध करते हुए एसोसिएशन ने कहा कि उस समय जब इन विभागों में पर्याप्त चिकित्सा स्नातकोत्तर नहीं थे, तब वैकल्पिक रूप में यह व्यवस्था की गई थी. ताकि इमरजेंसी के दौरान डॉक्टरों की देश में कमी न हो. हालांकि, केंद्र सरकार के प्रयासों से एमबीबीएस और एमडी की सीटें अब बढ़ा दी गई है. अब इन विभागों में पर्याप्त डॉक्टर भी हैं. इस दौरान डाॅ कमाल ने कहा कि इसके बाद एनएमसी ने मेडिकल इंस्टीट्यूशन रेगुलेशन 2022 में टीईक्यू शीर्षक से एक आदेश पारित किया और अधिसूचित किया गया कि इन विभागों में केवल 15 प्रतिशत ही गैर मेडिकल स्नातकोत्तर होंगे. इसके बाद नॉन मेडिकोज ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है. अभी मामला विचाराधीन है.

वहीं, डाॅ. मनाली अग्रवाल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज के विभिन्न विभागों में फैकल्टी के रूप में गैर मेडिकोज की नियुक्ति के विरोध में हम डॉक्टर आज राजघाट पर एकत्र हुए हैं. सभी का मानना है कि फैकल्टी वह होता है जो एमबीबीएस छात्रों और स्नातकोत्तर छात्रों को नैदानिक ​​ज्ञान प्रदान करता है. उन्हें पर्याप्त प्रशिक्षण और कौशल प्रदान करता है ताकि कल वे किसी भी मरीज के जीवन और मृत्यु की स्थिति से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हो. ऐसे में एक गैर-चिकित्सकीय व्यक्ति, जिसने एमबीबीएस, एमडी की पढ़ाई नहीं की हो, इसके साथ ही वह दैनिक दिनचर्या के हिस्से के रूप में रोगियों का इलाज नहीं किया है, वह एमबीबीएस या एमडी छात्रों के लिए एक शिक्षक के रूप में न्याय करने और उन्हें पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित करने में सक्षम नहीं हो सकता है.

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उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के रूप में अपनी नौकरी के अलावा, एक डाॅक्टर को मरीजों को देखना या उपचार संबंधित ​​परीक्षण रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करना भी होता है, क्योंकि उसकी विशेषज्ञता का क्षेत्र मांग कर सकता है. इन लोगों ने कहा कि कोई गैर-चिकित्सकीय व्यक्ति किसी योग्य डॉक्टर की जगह कैसे ले सकता है ? जैसे-जैसे एमबीबीएस और एमडी की सीटें बढ़ाई जा रही हैं, उसी अनुपात में नौकरियां पैदा करने की जरूरत भी है. हम अपनी चिकित्सा बिरादरी के लिए न्याय की मांग करते हैं.

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