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डकैती के मामले में कोर्ट ने की टिप्पणी, कहा- सभी दोषी सुधार के अवसर के लायक

दिल्ली की एक अदालत ने 2015 के डकैती के एक मामले में दोषी ठहराए गए चार लोगों की सजा की अवधि पर एक आदेश पारित करते हुए कहा कि दोषी सुधार के अवसर के लायक हैं.

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नॉर्थ दिल्ली की रोहिणी कोर्ट
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Published : May 21, 2023, 3:27 PM IST

नई दिल्ली: नॉर्थ दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने साल 2015 मे हुई डकैती के एक मामले पर सुनवाई के दौरान दोषी ठहराए गए सभी चार आरोपियों की सजा की अवधि में नरमी बरतते हुए एक आदेश पारित किया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सभी दोषी सुधार के अवसर के लायक हैं. रोहिणी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीरज गौड़ ने दोषियों राहुल, मनीष, सोनू और कन्हैया की सजा की अवधि पर अपना आदेश सुनाते हुए यह टिप्पणी की.

राहुल, मनीष और सोनू को आईपीसी की धारा 392 (डकैती के लिए सजा) के साथ 120बी (आपराधिक साजिश) और 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के तहत दोषी ठहराया गया था. जबकि कन्हैया को भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत दोषी ठहराया गया था. कोर्ट में पारित इस आदेश में, न्यायाधीश ने टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि वे कम उम्र के हैं और उन्होंने अपने द्वारा किए गए इस कृत्य के लिए पश्चाताप भी दिखाया है. दोषियों के खिलाफ कोई पिछली सजा साबित नहीं हुई है. उन पर उनके परिवारों वालों की जिम्मेदारी भी साथ में हैं. इसलिए उनकी सुधार की संभावनाएं हैं.

कोर्ट ने राहुल, मनीष, सोनू और कन्हैया पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. न्यायाधीश ने कहा कि कारावास की सभी सजा एक साथ चलेगी. दोषियों की तरफ से वकील ने कोर्ट में आरोपियों की कम उम्र और पिछले क्रिमिनल रिकॉर्ड का हवाला देते हुए निवेदन किया कि इन दोषियों के साथ नरमी बरती जानी चाहिए, जिसको अदालत ने मान लिया. हालांकि, सहायक लोक अभियोजक ने सभी आरोपियों की अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि दोषियों ने शिकायतकर्ता से 10,56,700 रुपये की लूट की है.

अदालत ने कहा कि दोषियों के पास “पीड़ित को मुआवजे का भुगतान करने की क्षमता नहीं है. मुआवजे के पहलू को दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना के तहत दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) द्वारा वर्तमान प्रकृति के अपराधों के रूप में नहीं माना जा सकता है. इसके अलावा, सभी दोषी निम्न-आय वर्ग से हैं, जो प्रति माह 15,000 रुपये से 18,000 रुपये के बीच कमाते हैं. उनके नाम पर कोई चल या अचल संपत्ति नहीं है.

मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर, यह निर्देश दिया जाता है कि जुर्माने की 50 प्रतिशत राशि लूटे गए धन के वास्तविक मालिक (शिकायतकर्ता) को जारी की जाए. जांच के दौरान दोषियों से बरामद की गई राशि भी उन्हें जारी की जाने के आदेश दिए गए. इस मामले की प्राथमिकी 2015 में आरोपियो के खिलाफ भारत नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी.

ये भी पढ़ें : DTC Bus Issue: महिलाओं के आरोप - सीएम की कार्रवाई के बाद भी महिला यात्रियों को देख कर ड्राइवर नहीं रोकते बस

नई दिल्ली: नॉर्थ दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने साल 2015 मे हुई डकैती के एक मामले पर सुनवाई के दौरान दोषी ठहराए गए सभी चार आरोपियों की सजा की अवधि में नरमी बरतते हुए एक आदेश पारित किया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सभी दोषी सुधार के अवसर के लायक हैं. रोहिणी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीरज गौड़ ने दोषियों राहुल, मनीष, सोनू और कन्हैया की सजा की अवधि पर अपना आदेश सुनाते हुए यह टिप्पणी की.

राहुल, मनीष और सोनू को आईपीसी की धारा 392 (डकैती के लिए सजा) के साथ 120बी (आपराधिक साजिश) और 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) के तहत दोषी ठहराया गया था. जबकि कन्हैया को भारतीय दंड संहिता की धारा 411 के तहत दोषी ठहराया गया था. कोर्ट में पारित इस आदेश में, न्यायाधीश ने टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि वे कम उम्र के हैं और उन्होंने अपने द्वारा किए गए इस कृत्य के लिए पश्चाताप भी दिखाया है. दोषियों के खिलाफ कोई पिछली सजा साबित नहीं हुई है. उन पर उनके परिवारों वालों की जिम्मेदारी भी साथ में हैं. इसलिए उनकी सुधार की संभावनाएं हैं.

कोर्ट ने राहुल, मनीष, सोनू और कन्हैया पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. न्यायाधीश ने कहा कि कारावास की सभी सजा एक साथ चलेगी. दोषियों की तरफ से वकील ने कोर्ट में आरोपियों की कम उम्र और पिछले क्रिमिनल रिकॉर्ड का हवाला देते हुए निवेदन किया कि इन दोषियों के साथ नरमी बरती जानी चाहिए, जिसको अदालत ने मान लिया. हालांकि, सहायक लोक अभियोजक ने सभी आरोपियों की अधिकतम सजा की मांग करते हुए कहा कि दोषियों ने शिकायतकर्ता से 10,56,700 रुपये की लूट की है.

अदालत ने कहा कि दोषियों के पास “पीड़ित को मुआवजे का भुगतान करने की क्षमता नहीं है. मुआवजे के पहलू को दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना के तहत दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) द्वारा वर्तमान प्रकृति के अपराधों के रूप में नहीं माना जा सकता है. इसके अलावा, सभी दोषी निम्न-आय वर्ग से हैं, जो प्रति माह 15,000 रुपये से 18,000 रुपये के बीच कमाते हैं. उनके नाम पर कोई चल या अचल संपत्ति नहीं है.

मामले के सभी तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर, यह निर्देश दिया जाता है कि जुर्माने की 50 प्रतिशत राशि लूटे गए धन के वास्तविक मालिक (शिकायतकर्ता) को जारी की जाए. जांच के दौरान दोषियों से बरामद की गई राशि भी उन्हें जारी की जाने के आदेश दिए गए. इस मामले की प्राथमिकी 2015 में आरोपियो के खिलाफ भारत नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी.

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