नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कुछ डॉक्टर हफ्ते में तीन दिन ओपीडी में आते हैं और 50 से 60 मरीज रोजाना देखते हैं. वहीं कुछ हफ्ते में एक दिन ऑपरेशन करते हैं और सिर्फ कुछ मरीजों को देखते हैं. इसी प्रकार एक सर्जन हफ्ते में तीन दिन सर्जरी करते हैं वहीं कुछ फैकल्टी हफ्ते में सिर्फ एक ही दिन सर्जरी करते हैं. लेकिन अब एम्स में इस तरह से काम नहीं होगा.
एचओडी हो या अन्य फैकल्टी (डॉक्टर्स) अब सभी को बराबर काम करना होगा. हर विभाग की फैकल्टी के लिए ओपीडी, मरीजों की संख्या और सर्जरी की संख्या तय होगी, जिससे मरीजों का टाइम से इलाज होगा और वेटिंग टाइम कम हो सकेगा. इसके लिए एक कमिटी बनाई गई है. कमिटी जल्द ही रिपोर्ट सौंपेगी और इसके आधार पर मरीजों की संख्या तय होगी.
यह भी पढ़ें-देसी शराब के ठेके पर सेल्समैन को पीटने वाला दारोगा सस्पेंड
दरअसल एम्स में ओपीडी और सर्जरी करने की कोई गाइडलाइन नहीं है. किसी विभाग का एक डॉक्टर हफ्ते में तीन से चार दिन ओपीडी में बैठते हैं, उनकी हर ओपीडी में 70 से 80 मरीज आते हैं. लेकिन कुछ में ऐसा नहीं है. डॉक्टर अपने-अपने तरीके और अपनी सुविधा के अनुसार ओपीडी चलाते हैं. एम्स के एक अधिकारी ने बताया कि ओपीडी हो या सर्जरी, एम्स में वेटिंग बहुत ज्यादा है.
जब वेटिंग पर स्टडी की गई तो पाया गया कि कुछ फैकल्टी गिनती के मरीज देखते हैं. कुछ पहले ही बता देते हैं कि आज सिर्फ 10 मरीजों को देखेंगे, ऐसे में उनके नाम से कम मरीजों का रजिस्ट्रेशन होता है. ऐसा देखने को मिलता है कि किसी डॉक्टर की ओपीडी में बहुत भीड़ है तो किसी की ओपीडी खाली है. सूत्रों का कहना है कि कई एनेस्थीसिया एक्सपर्ट ऐसे हैं जिनकी कभी आईसीयू में ड्यूटी तक नहीं लगती. डॉक्टर अपने मन के मुताबिक काम करते हैं.
यह भी पढ़ें-नोएडा: आठ साल बाद हुआ इंसाफ, जानलेवा हमला कर लूट करने के दोषी को साढ़े सात साल की सजा