नई दिल्ली: राजधानी में शनिवार को वर्ष 2023 की पहली राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. इस लोक अदालत में ट्रैफिक चालान उपभोक्ता संबंधी मामले, बिजली संबंधी मामले और कंपाउंडेबल मामलों की सुनवाई की गई. दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव मुकेश कुमार गुप्ता लोक अदालत की कार्यवाही और व्यवस्थाओं को देखने के लिए साकेत कोर्ट परिसर पहुंचे.
मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि डीएसएलएसए (DSLSA) लगातार वंचितों और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास कर रहा है. उन्होंने बताया कि डीएसएलएसए ने देशभर में पहली बार सामाजिक रुप से पीड़ित लोगों को डिसीजन मेकिंग प्रोसेस में शामिल किया है. इस बार 48 ऐसे सदस्यों को बेंच में रखा गया है जो या तो ट्रांसजेंडर हैं या यौन उत्पीड़न के शिकार हैं या फिर एसिड विक्टिम है.
ऐसे लोग जिन्हें समाज ने पीड़ित किया, वह बेहतर ढंग से पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद कर सकते हैं. इसके लिए डीएसएलएसए लगातार कदम बढ़ा रहा है. उन्होंने बताया कि इस साल भी कुल 4 लोक अदालतों का आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा डीएसएलएसए अपनी तरफ से लोक अदालतों का भी आयोजन करेगा, जिनमें उपभोक्ता संबंधी मामले बिजली संबंधी मामले और पारिवारिक मामलों का निपटारा किया जाएग. उन्होंने बताया कि कई एक ऐसे मामले जो करीब एक दशक से लंबित थे उन्हें फाइनल स्टेज में लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे जल्द से जल्द न्याय मिल सके.
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न्यायिक जागरूकता और न्यायिक साक्षरता बेहद जरूरी है
मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया की न्याय के संबंध में न केवल जागरूकता बल्कि न्यायिक साक्षरता भी बेहद आवश्यक है. जहां लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी हो ताकि वह पीड़ित ना रह सके. उन्होंने बताया कि डीएसएलएसए एसिड अटैक विक्टिम्स और यौन उत्पीड़न के शिकार लोगों के लिए स्पर्श नाम का एक कार्यक्रम चला रहा है. जिसमें पीड़ित लोगों को न्यायिक अधिकार दिलाया जा रहे हैं और उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास भी किया जा रहा है. साथ ही लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है कि एसिड अटैक विक्टिम से घृणा की बजाय वह उसका सहानुभूति दें ताकि वह अपना जीवन सामान्य रूप से जी सके.
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