नई दिल्ली: दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली हिंसा के आरोप में जेल में बंद पिंजरा तोड़ संगठन की सदस्य नताशा नरवाल की जमानत याचिका खारिज कर दी है. एडिशनल सेशंस जज अमिताभ रावत ने कहा कि आरोप काफी गंभीर हैं.
कोर्ट ने कहा कि चार्जशीट में दाखिल दस्तावेजों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि नताशा नरवाल के खिलाफ आरोप सही हैं. ऐसे में जमानत नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने कहा कि भले ही नताशा नरवाल के खिलाफ कोई वीडियो नहीं है, लेकिन ये केस गहरी साजिश से जुड़ा है और ऐसी साजिशें गोपनीय तरीके से रची जाती हैं.
यूएपीए का मामला नहीं बनता
सुनवाई के दौरान नताशा नरवाल की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि चार्जशीट में आरोपी के खिलाफ यूएपीए का कोई मामला नहीं बनता है. उन्होंने कहा कि अभियोजन पर आरोप साबित करना होता है और इस केस में ऐसा नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि यूएपीए के तहत आरोप चलाने की स्वीकृति जल्दबाजी में दी गई है.
'कोई साजिश नहीं रची गई'
वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ केवल प्रदर्शन का मामला है और कोई साजिश नहीं रची गई. उन्होंने कहा कि वाट्स ऐप ग्रुप पर हुई चैट से भी साफ है कि आरोपी शांति चाहती थी. पुलिस ने पुलिस नियमावली के तहत काम नहीं किया और उन कई लोगों को गिरफ्तार नहीं किया, जिनकी भूमिका आरोपी से बड़ी थी.