नई दिल्ली: राष्ट्रपति भवन में एमटीएस की नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है. एमटीएस की नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवकों से ठगी की है.
क्या था मामला
जानकारी के अनुसार राष्ट्रपति भवन में एमटीएस की नौकरी दिलवाने के नाम पर विवेक, अक्षय और दीपक से ठगी की गई थी. उनसे एमटीएस की नौकरी दिलवाने के लिए आठ लाख रुपये मांगे गए थे. रुपए मांगने वाले दो आरोपी मोनू वैद्य और मोती लाल राष्ट्रपति भवन में कार्यरत थे, जबकि एक आरोपी हरेंद्र सिंह दिल्ली पुलिस का हवलदार है. वो भी पहले राष्ट्रपति भवन में कार्यरत रहा है. इन तीनों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.
पुलिस को आरोपी के खाते में मिले 17 लाख रुपए
इनमें से एक आरोपी के बैंक खाते में पुलिस को 17 लाख रुपये मिले हैं जबकि दूसरे के बैंक खाते में 40 लाख रुपये मिले हैं. मोती लाल के जानकार से ली गई रकम को वो मोनू के बैंक खाते में जबकि मोनू के परिचित से ली गई रकम को मोती लाल के बैंक खाते में जमा करवाते थे.
पीड़ित ने की थी राष्ट्रपति भवन में शिकायत
इस मामले में पीड़ित विवेक के पिता सतीश ने राष्ट्रपति भवन में शिकायत की थी. उसने बताया था कि उसके परिवार के 2 लोगों को एमटीएस की नौकरी दिलाने के नाम पर मोती लाल और मोनू वैद्य ने आठ-आठ लाख रुपये मांगे थे. उनसे ये रकम लेने के बाद राष्ट्रपति भवन में उनका इंटरव्यू लिया गया. इसके अलावा वहीं की डिस्पेंसरी में उनका मेडिकल भी कराया गया. ताकि उन्हें ये विश्वास हो कि उनके साथ किसी प्रकार का फर्जीवाड़ा नहीं हो रहा है. उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र दिया गया. वो जब राष्ट्रपति भवन में ये नियुक्ति पत्र लेकर पहुंचे, तो वहां पता चला कि ये पत्र फर्जी है. जिसके बाद उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत की.
साउथ एवेन्यू थाने में मामला किया गया दर्ज
इस मामले में एफआईआर दर्ज कर मोतीलाल को साउथ एवेन्यू पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. उससे हुई पूछताछ के बाद मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई. क्राइम ब्रांच को पूछताछ में पता चला कि इस ठगी में उसके अलावा मोनू वैद्य और हवलदार हरेंद्र सिंह भी शामिल है. हरेंद्र को पूछताछ के लिए क्राइम ब्रांच ने बुलाया. पूछताछ में उसने बताया कि पीड़ितों को विश्वास दिलाने के लिए उसकी मदद ली गई थी, जिसके बाद उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद मोनू वैद्य को गिरफ्तार कर लिया गया.
एमटीएस ने संयुक्त सचिव बनकर लिया साक्षात्कार
आगे छानबीन में पुलिस को पता चला कि राष्ट्रपति भवन में आयोजित किए गए इंटरव्यू में वहां मौजूद एमटीएस राहुल ने संयुक्त सचिव बनकर उनका इंटरव्यू लिया था. इसके बाद पुलिस ने राहुल को गिरफ्तार कर लिया.
उसने क्राइम ब्रांच को बताया कि वो ग्रेजुएट है. उसे अच्छी अंग्रेजी बोलनी आती है. इस वजह से आरोपियों ने उसे इंटरव्यू लेने के लिए कहा था. कोर्ट पहनकर वो संयुक्त सचिव बन गया और एमटीएस पद के लिए इंटरव्यू लिया.
पुलिसकर्मी को नहीं मिले थे रुपए
इस मामले में आरोप पत्र में बताया गया है कि गिरफ्तार किए गए दिल्ली पुलिस के हवलदार को ठगी की रकम से कोई पैसा नहीं मिला था. उसे बताया गया था कि नौकरी लगने के बाद उसे रुपए दिए जाएंगे. उसका इस्तेमाल केवल पीड़ितों को विश्वास दिलाने के लिए एक गारंटर के तौर पर किया गया. यह जानकारी अपराध शाखा ने आरोप पत्र के जरिये अदालत को बताई है.