नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में मनोनीत निगम पार्षदों (एल्डरमैन) का मामला अदालत पहुंच गया है. आम आदमी पार्टी (आप) ने उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत निगम पार्षदों की नियुक्ति को कोर्ट में चैलेंज किया है. सर्वोच्च अदालत इस मामले में 24 मार्च को सुनवाई कर सकती है. अब तक दिल्ली सरकार की मंजूरी पर ही उपराज्यपाल द्वारा मनोनीत निगम पार्षदों की नामांकित करने परंपरा रही है, लेकिन दिल्ली नगर निगम एकीकृत किए जाने के बाद नए कानून के तहत उपराज्यपाल ने बिना दिल्ली सरकार की सहमति से दिल्ली नगर निगम में सभी 10 एल्डरमैन को नामांकित कर दिए.
एलजी द्वारा बिना दिल्ली सरकार की सहमति के बिना एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर आप ने नियुक्ति को असंवैधानिक बताया. आप ने आरोप लगाया कि उपराज्यपाल ने भाजपा के नेताओं को मनोनीत निगम पार्षद नियुक्त किया है. हालांकि, इस बीच भारी विरोध, मारपीट और तोड़फोड़ के बीच सभी नवनिर्वाचित निगम पार्षदों के पहले सभी मनोनीत निगम पार्षदों का शपथ ग्रहण भी करा दिया गया.
मामले को अदालत ले जाने पर भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि नगर निगम में नामांकित एल्डरमैनों के सदन की सदस्यता की शपथ लेने के एक माह बाद अचानक दिल्ली सरकार द्वारा इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय जाना सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक हताशा का परिणाम है. प्रवक्ता ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव का नतीजा आने के तीन माह बाद भी आम आदमी पार्टी एवं उसकी दिल्ली सरकार ना तो चुनाव नतीजे स्वीकार पा रही है और ना ही यह स्वीकार पर रही है कि नगर निगम एकीकरण के बाद दिल्ली नगर निगम एक्ट में बदलाव हो गये हैं. अब एक्ट में सरकार शब्द का मतलब दिल्ली सरकार नहीं केन्द्र सरकार है.
उन्होंने कहा कि असल में आम आदमी पार्टी जब दिल्ली नगर निगम चुनाव लड़ने उतरी तो वह 2015 एवं 2020 विधानसभा चुनाव जैसे नतीजे की उम्मीद रखती थी और सोचती थी कि उसे 250 वार्ड के निगम में 225 तक वार्ड मिलेंगे पर जब नतीजा आया तो उन्हें मात्र 134 वार्ड मिले, जिसके चलते आप नेता लगातार छटपटा रहे हैं. चुनाव नतीजे भी कुछ इस तरह आए हैं, जिनके चलते नगर निगम के 12 जोनों में अधिकांश में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत नहीं है और उपराज्यपाल महोदय ने परिवर्तित एक्ट के अनुसार जो एल्डरमैन नामांकित किए हैं, उसके चलते निगम जोनों में आम आदमी पार्टी का सत्ता समीकरण पूरी तरह बिगड़ गया है. अतः हताश आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार किसी भी तरह नामांकित एल्डरमैनों को नगर निगम सदन से बाहर रखना चाहती है.
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