नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम के बैठक में स्थायी समिति के गठन तक स्थायी समिति की शक्ति सदन को सौंपने और स्थानीय शॉपिंग सेंटरों में सीलिंग हटाने से संबंधित प्रस्ताव भाजपा पार्षदों के भारी विरोध के बावजूद पास हो गया. वहीं भाजपा का कहना है कि जब निगम की बैठक हुई ही नहीं तो प्रस्ताव कैसे पास हो सकता है.
दरअसल आम आदमी पार्टी की तरफ से स्थायी समिति के गठन तक स्थायी समिति की शक्ति सदन को सौंपने और स्थानीय शॉपिंग सेंटरों में सीलिंग हटाने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने और निर्णय लेने के लिए दिल्ली नगर निगम के सदन की विशेष बैठक सोमवार दोपहर दो बजे बुलाई गई थी. दो बजे कर 20 मिनट पर जब मेयर शैली ओबेरॉय सदन में पहुंची तो भाजपा पार्षदों दोनों प्रस्ताव का विरोध करते हुए हंगामा शुरू कर दिया.
भाजपा पार्षद मेयर के डेस्क तक पहुंच गए जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही शुरू नहीं हो पाई और मेयर को सदन से वापस जाना पड़ा. 45 मिनट के बाद जब वह एक बार फिर सदन में पहुंचीं तो भाजपा पार्षदों उन्हें कुर्सी तक पहुंचने नहीं दिया.
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इसके बाद मेयर एक बार फिर वापस चली गईं. इस बीच सदन में भाजपा और आम आदमी पार्टी पार्षद के बीच नारेबाजी होती रही. तकरीबन 6:30 बजे एक बार फिर मेयर शैली ओबराय सदन में पहुंची तो मेयर के डेस्क पर भाजपा और आम आदमी पार्टी के पार्षद दोनों पहुंचे हुए थे. मेयर को कुर्सी तक पहुंचने में आम आदमी पार्टी और भाजपा पार्षदों के लिए जमकर धक्का-मुक्की हुई. भाजपा पार्षदों ने कुर्सियां को फेंक दिया. किसी तरीके से मेयर माइक तक पहुंची और माइक लेकर कहा कि दोनों प्रस्ताव पास किए जाते है और सदन की कार्यवाही को स्थगित किया जाता है.
हालांकि नेता विपक्ष राजा इक़बाल का कहना है कि आज की बैठक असंवैधानिक है. इस प्रस्ताव का भाजपा ने विरोध क्या है, जिसकी वजह से बैठक नहीं हो पाई. ऐसे में यह कहना गलत होगा कि प्रस्ताव पास हुआ है. वहीं नेता सदन मुकेश गोयल ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के इतिहास में आज का दिन काला दिवस के तौर पर जाना जाएगा.
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