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पूर्ण राज्य का वादा रह गया अधूरा! राघव चड्ढा ने कहा- जारी रहेगा संघर्ष

आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले जिन मुद्दों को अपना आधार बनाया था, उनमें पूर्ण राज्य की मांग का महत्वपूर्ण स्थान था. केजरीवाल सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने वाली है और अब तक वो वादा अधूरा है.

पूर्ण राज्य का वादा रह गया अधूरा
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Published : Oct 29, 2019, 8:22 AM IST

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग होती रही है. पार्टियां बदलीं, सरकारें बदलीं, लेकिन ये मांग बनी रही. जिनके जरिए इस मांग को लेकर आवाज बुलंद की गई वे सत्ता में भी आए. उन्होंने अपना कार्यकाल भी पूरा किया, लेकिन दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं बन सकी.

पूर्ण राज्य का वादा रह गया अधूरा

केंद्र सरकार से अभी तक सहमति नहीं बनी

गौरतलब है कि आंदोलन के रास्ते सियासत में आई आम आदमी पार्टी ने पूर्ण राज्य के वादे को अपना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया था और चुनाव मैदान में उतरी थी.

2013 में 28 सीटें जीतने के बाद 2015 में पार्टी ने अपने 70 प्वाइंट एक्शन प्लान में पूर्ण राज्य के मुद्दे को तीसरे नंबर पर जगह दी थी. लेकिन 4 साल की सरकार में भी केंद्र सरकार से इसे लेकर सहमति नहीं पा सकी.

लोकसभा चुनाव में भी पूर्ण राज्य महत्वपूर्ण मुद्दा था

इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव आया और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर पूर्ण राज्य को ही अपना महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया था. लोकसभा क्षेत्र कोई भी हो, उम्मीदवार कोई भी हो, कैम्पेन में एक ही गीत बजता था, 'दिल्ली कहती पूर्ण राज्य दो.'

इस मांग को लेकर आम आदमी पार्टी ने कई स्तर का कैम्पेन चलाया. खुद अरविंद केजरीवाल ने अपनी रैलियों और जनसभाओं में इस मांग को लेकर आवाज बुलंद की. परिणाम में जो दिखा वो ये था कि दिल्ली ने इस मांग के साथ खड़े आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों को ठुकरा दिया.

बता दें कि अब दिल्ली में केजरीवाल सरकार का कार्यकाल पूरे पूरा होने वाला है. पार्टी चंद महीनों बाद चुनाव में जाने वाली है, लेकिन 70 प्वाइंट एक्शन प्लान का तीसरा वादा अब तक अधूरा है. इसके कारणों पर आम आदमी पार्टी का पक्ष जानने के लिए ईटीवी भारत पहुंचा पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा के पास.

'हम आगे भी संघर्ष करते रहेंगे'

राघव चड्ढा ने इसे भाजपा की मांग से भी जोड़ते हुए कहा कि ये पुरानी मांग रही है और केंद्र में जब लालकृष्ण आडवाणी उप प्रधानमंत्री थे, तब से ये मांग चली आ रही है.

राघव ने कहा कि दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य जरूरी है और दिल्ली को वो सब अधिकार मिलने चाहिए, जो बाकी राज्यों को हासिल हैं, जैसे पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था. राघव ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि हम इस मांग को लेकर संघर्ष करेंगे. हमारा संघर्ष अब भी जारी है, हम आगे भी संघर्ष करते रहेंगे और उम्मीद है इसमें जरूर सफल होंगे.

इन सब से स्पष्ट है कि अब तक सियासत और वोटों का मुद्दा रहा पूर्ण राज्य, अब भी उसी स्थिति में है. देखने वाली बात होगी कि इसके लिए आम आदमी पार्टी के संघर्ष का वादा कितनी दूर तक चलता है और इसमें सफलता मिलती भी है या नहीं. या फिर ये मांग भी दिल्ली की सियासत के लिए एक चुनावी मुद्दा ही बनकर रह जाती है.

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग होती रही है. पार्टियां बदलीं, सरकारें बदलीं, लेकिन ये मांग बनी रही. जिनके जरिए इस मांग को लेकर आवाज बुलंद की गई वे सत्ता में भी आए. उन्होंने अपना कार्यकाल भी पूरा किया, लेकिन दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं बन सकी.

पूर्ण राज्य का वादा रह गया अधूरा

केंद्र सरकार से अभी तक सहमति नहीं बनी

गौरतलब है कि आंदोलन के रास्ते सियासत में आई आम आदमी पार्टी ने पूर्ण राज्य के वादे को अपना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया था और चुनाव मैदान में उतरी थी.

2013 में 28 सीटें जीतने के बाद 2015 में पार्टी ने अपने 70 प्वाइंट एक्शन प्लान में पूर्ण राज्य के मुद्दे को तीसरे नंबर पर जगह दी थी. लेकिन 4 साल की सरकार में भी केंद्र सरकार से इसे लेकर सहमति नहीं पा सकी.

लोकसभा चुनाव में भी पूर्ण राज्य महत्वपूर्ण मुद्दा था

इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव आया और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर पूर्ण राज्य को ही अपना महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया था. लोकसभा क्षेत्र कोई भी हो, उम्मीदवार कोई भी हो, कैम्पेन में एक ही गीत बजता था, 'दिल्ली कहती पूर्ण राज्य दो.'

इस मांग को लेकर आम आदमी पार्टी ने कई स्तर का कैम्पेन चलाया. खुद अरविंद केजरीवाल ने अपनी रैलियों और जनसभाओं में इस मांग को लेकर आवाज बुलंद की. परिणाम में जो दिखा वो ये था कि दिल्ली ने इस मांग के साथ खड़े आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों को ठुकरा दिया.

बता दें कि अब दिल्ली में केजरीवाल सरकार का कार्यकाल पूरे पूरा होने वाला है. पार्टी चंद महीनों बाद चुनाव में जाने वाली है, लेकिन 70 प्वाइंट एक्शन प्लान का तीसरा वादा अब तक अधूरा है. इसके कारणों पर आम आदमी पार्टी का पक्ष जानने के लिए ईटीवी भारत पहुंचा पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा के पास.

'हम आगे भी संघर्ष करते रहेंगे'

राघव चड्ढा ने इसे भाजपा की मांग से भी जोड़ते हुए कहा कि ये पुरानी मांग रही है और केंद्र में जब लालकृष्ण आडवाणी उप प्रधानमंत्री थे, तब से ये मांग चली आ रही है.

राघव ने कहा कि दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य जरूरी है और दिल्ली को वो सब अधिकार मिलने चाहिए, जो बाकी राज्यों को हासिल हैं, जैसे पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था. राघव ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि हम इस मांग को लेकर संघर्ष करेंगे. हमारा संघर्ष अब भी जारी है, हम आगे भी संघर्ष करते रहेंगे और उम्मीद है इसमें जरूर सफल होंगे.

इन सब से स्पष्ट है कि अब तक सियासत और वोटों का मुद्दा रहा पूर्ण राज्य, अब भी उसी स्थिति में है. देखने वाली बात होगी कि इसके लिए आम आदमी पार्टी के संघर्ष का वादा कितनी दूर तक चलता है और इसमें सफलता मिलती भी है या नहीं. या फिर ये मांग भी दिल्ली की सियासत के लिए एक चुनावी मुद्दा ही बनकर रह जाती है.

Intro:आम आदमी पार्टी ने 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले जिन मुद्दों को अपना आधार बनाया था, उनमें पूर्ण राज्य की मांग का महत्वपूर्ण स्थान था. लेकिन केजरीवाल सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने वाली है और अब तक वह वादा वह अधूरा है.


Body:नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से ही दिल्ली के लिए पूर्ण राज्य की मांग होती रही है. पार्टियां बदलीं, सरकारें बदलीं, लेकिन यह मांग यथावत बनी रही. जिनके जरिए इस मांग को लेकर आवाज़ बुलंद की गई वे सत्ता में भी आए, अपना कार्यकाल भी पूरा कर लिए, लेकिन दिल्ली पूर्ण राज्य नहीं बन सकी.

आंदोलन के रास्ते सियासत में आई आम आदमी पार्टी ने पूर्ण राज्य के वादे को अपना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया और चुनाव मैदान में उतरी. 2013 में 28 सीटें जीतने के बाद 2015 में पार्टी ने अपने 70 प्वाइंट एक्शन प्लान में पूर्ण राज्य के मुद्दे को तीसरे नम्बर पर जगह दी. चुनाव में पार्टी क्लीन स्वीप करते हुए 70 सीटों तक पहुंची. लेकिन 4 साल की सरकार में भी केंद्र सरकार से इसे लेकर सहमति नहीं पा सकी.

इसके बाद 2019 का लोकसभा चुनाव आया और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर पूर्ण राज्य को ही अपना महत्वपूर्ण मुद्दा बनाया. लोकसभा क्षेत्र कोई भी हो, उम्मीदवार कोई भी हो, कैम्पेन में एक ही गीत बजता था, 'दिल्ली कहती पूर्ण राज्य दो.' इस मांग को लेकर आम आदमी पार्टी ने कई स्तर का कैम्पेन चलाया. खुद अरविंद केजरीवाल ने अपनी रैलियों और जनसभाओं में इस मांग को लेकर आवाज बुलंद की. लेकिन परिणाम में जो दिखा वो यह था कि दिल्ली ने इस मांग के साथ खड़े आम आदमी पार्टी के सभी उम्मीदवारों को ठुकरा दिया.

केजरीवाल सरकार का कार्यकाल पूरे पूरा होने वाला है. पार्टी चंद महीनों बाद चुनाव में जाने वाली है, लेकिन 70 प्वाइंट एक्शन प्लान का तीसरा वादा अब तक अधूरा है. इसके कारणों पर आम आदमी पार्टी का पक्ष जानने के लिए ईटीवी भारत पहुंचा पार्टी प्रवक्ता राघव चड्ढा के पास.

राघव चड्ढा ने इसे भाजपा की मांग से भी जोड़ते हुए कहा कि यह पुरानी मांग रही है और केंद्र में जब लालकृष्ण आडवाणी उप प्रधानमंत्री थे, तब से यह मांग चली आ रही है. राघव ने यह भी कहा कि दिल्ली के लिए पूर्ण राज जरूरी है और दिल्ली को वो सब अधिकार मिलने चाहिए, जो बाकी राज्यों को हासिल हैं, जैसे पुलिस, जमीन और कानून व्यवस्था.

राघव ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में वादा किया था कि हम इस मांग को लेकर संघर्ष करेंगे. हमारा संघर्ष अब भी जारी है, हम आगे भी संघर्ष करते रहेंगे और उम्मीद है इसमें जरूर सफल होंगे.


Conclusion:स्पष्ट है कि अब तक सियासत और वोटों का मुद्दा रहा पूर्ण राज्य, अब भी उसी स्थिति में है. देखने वाली बात होगी कि इसके लिए आम आदमी पार्टी के संघर्ष का वादा कितनी दूर तक चलता है और इसमें सफलता मिलती भी है या नहीं, या फिर यह मांग भी दिल्ली की सियासत के लिए एक चुनावी मुद्दा ही बनकर रह जाती है.
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