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रेलवे में फर्जी नौकरी का झांसा, एक महीने तक ट्रेन के डिब्बे गिनते रहे तमिलनाडु के 28 युवक

दिल्ली में तमिलनाडु के 28 युवकों को रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का मामले सामने आया है. ठगों ने इनसे रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर 2.67 करोड़ रुपये ठगे. इसके बाद उन्होंने ट्रेनिंग के नाम पर ट्रेन के डब्बे गिनने का काम देकर फरार हो गए.

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Published : Dec 21, 2022, 1:33 PM IST

नई दिल्ली: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से ठगी का एक विचित्र मामला सामने आया है. यहां अलग-अलग प्लेटफार्म पर तमिलनाडु के कम से कम 28 युवा एक महीने तक रोजाना 8 घंटे तक आने और जाने वाली ट्रेनों का हिसाब रखते रहे. साथ ही उनके डिब्बे भी गिनते रहे. अधिकारियों के पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उन्हें रेलवे ने यह काम दिया है. पूरे एक महीने तक काम करने के दौरान उन्हें कभी भी पता नहीं चला कि वह नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दायर एक शिकायत के अनुसार, उन्हें बताया गया था कि यह यात्रा टिकट परीक्षक, यातायात सहायकों और क्लर्कों के पदों के लिए उनके ट्रेनिंग का हिस्सा था.

रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगे करोड़ रूपए

मामले की शिकायत करने वाले एम सुब्बूस्वामी पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने बताया कि रेलवे में नौकरी के लिए प्रत्येक युवा ने उन्हें दो लाख से लेकर 24 लाख रूपए तक दिए थे. शिकायत के अनुसार, जून और जुलाई के बीच हुए एक महीने के प्रशिक्षण के लिए, धोखेबाजों के एक समूह ने पीड़ितों से 2.67 करोड़ रुपये ठगे. पूर्व सैनिक सुब्बूस्वामी पीड़ितों को कथित धोखेबाजों के संपर्क में लाए थे, लेकिन उन्होंने दावा किया कि वह इस बात से अनजान थे कि यह सब एक घोटाला था और वह भी उनके जाल में फंस गए.

उन्होंने विकास राणा नाम के एक व्यक्ति को भुगतान किया. राणा ने दिल्ली में उत्तर रेलवे कार्यालय में खुद को एक उप निदेशक के रूप में पेश किया.” ज्यादातर पीड़ित इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा की पृष्ठभूमि वाले स्नातक हैं.

ये भी पढ़े: ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

सुब्बूस्वामी ने बताया कि वह सेवानिवृत्ति के बाद से ही अपने इलाके के बेरोजगार युवाओं को बिना किसी लालच के नौकरी खोजने में मदद करते हैं. वह दिल्ली के एक एमपी क्वार्टर में कोयम्बटूर निवासी शिवरमन नामक व्यक्ति से मिला था. शिवरमन ने सांसदों और मंत्रियों के साथ अपनी जान-पहचान का दावा किया और रूपयों के बदले बेरोजगारों के लिए रेलवे में रोजगार की पेशकश की. ईओडब्ल्यू ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि यह एक नौकरी घोटाला था और आगे की जांच चल रही है. रेल मंत्रालय में मीडिया और संचार के अतिरिक्त महानिदेशक योगेश बावेजा ने इस तरह के नौकरी घोटालों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि रेलवे बोर्ड नियमित रूप से सलाह जारी कर रहा है. आम लोगों को इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ सतर्क कर रहा है.

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नई दिल्ली: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से ठगी का एक विचित्र मामला सामने आया है. यहां अलग-अलग प्लेटफार्म पर तमिलनाडु के कम से कम 28 युवा एक महीने तक रोजाना 8 घंटे तक आने और जाने वाली ट्रेनों का हिसाब रखते रहे. साथ ही उनके डिब्बे भी गिनते रहे. अधिकारियों के पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उन्हें रेलवे ने यह काम दिया है. पूरे एक महीने तक काम करने के दौरान उन्हें कभी भी पता नहीं चला कि वह नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं. दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) में दायर एक शिकायत के अनुसार, उन्हें बताया गया था कि यह यात्रा टिकट परीक्षक, यातायात सहायकों और क्लर्कों के पदों के लिए उनके ट्रेनिंग का हिस्सा था.

रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगे करोड़ रूपए

मामले की शिकायत करने वाले एम सुब्बूस्वामी पूर्व सैनिक हैं. उन्होंने बताया कि रेलवे में नौकरी के लिए प्रत्येक युवा ने उन्हें दो लाख से लेकर 24 लाख रूपए तक दिए थे. शिकायत के अनुसार, जून और जुलाई के बीच हुए एक महीने के प्रशिक्षण के लिए, धोखेबाजों के एक समूह ने पीड़ितों से 2.67 करोड़ रुपये ठगे. पूर्व सैनिक सुब्बूस्वामी पीड़ितों को कथित धोखेबाजों के संपर्क में लाए थे, लेकिन उन्होंने दावा किया कि वह इस बात से अनजान थे कि यह सब एक घोटाला था और वह भी उनके जाल में फंस गए.

उन्होंने विकास राणा नाम के एक व्यक्ति को भुगतान किया. राणा ने दिल्ली में उत्तर रेलवे कार्यालय में खुद को एक उप निदेशक के रूप में पेश किया.” ज्यादातर पीड़ित इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा की पृष्ठभूमि वाले स्नातक हैं.

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सुब्बूस्वामी ने बताया कि वह सेवानिवृत्ति के बाद से ही अपने इलाके के बेरोजगार युवाओं को बिना किसी लालच के नौकरी खोजने में मदद करते हैं. वह दिल्ली के एक एमपी क्वार्टर में कोयम्बटूर निवासी शिवरमन नामक व्यक्ति से मिला था. शिवरमन ने सांसदों और मंत्रियों के साथ अपनी जान-पहचान का दावा किया और रूपयों के बदले बेरोजगारों के लिए रेलवे में रोजगार की पेशकश की. ईओडब्ल्यू ने अपनी प्रारंभिक जांच में पाया कि यह एक नौकरी घोटाला था और आगे की जांच चल रही है. रेल मंत्रालय में मीडिया और संचार के अतिरिक्त महानिदेशक योगेश बावेजा ने इस तरह के नौकरी घोटालों के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा कि रेलवे बोर्ड नियमित रूप से सलाह जारी कर रहा है. आम लोगों को इस तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ सतर्क कर रहा है.

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