नई दिल्ली: देश भर में भगवान महावीर जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है. दिल्ली स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में अहिंसा के अग्रदूत भगवान महावीर की 2622वीं जयंती मनाई गई. शांति केंद्र की स्थापना दिवस के पावन पर्व पर अहिंसा विश्व भारती संस्थान द्वारा विश्व शांति सद्भावना दिवस समारोह का आयोजन हुआ. उद्घाटन परम पूज्य श्री श्री रवि शंकर आचार्य डॉक्टर लोकेश जी, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला और केंद्रीय राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने किया.
इस अवसर पर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और पार्थ हॉस्पिटल ग्रुप के चेयरमैन डॉक्टर अजीत गुप्ता को अहिंसा इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया. साथ ही अतिथियों द्वारा विश्व शांति केंद्र एवं वर्ल्ड पीस नामक पुस्तक का विमोचन किया गया.
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केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि जैन समुदाय अहिंसक एवं शांतिप्रिय है. जिसका समाज व राष्ट्र निर्माण में विशिष्ट योगदान है. समाज सेवा के क्षेत्र में एक मिसाल है. महावीर का अनेकांत दर्शन धार्मिक असहिष्णुता को खत्म कर समाज में समर्थक की भावना उत्पन्न करता है, जिसकी मौजूदा समय में बहुत आवश्यकता है.
वहीं, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने कहा है कि आज न सिर्फ भारत में बल्कि पूरे विश्व में विकास एक मुख्य मुद्दा है. समाज व राष्ट्र का विकास तभी संभव है जब समाज में सभी वर्ग व संप्रदाय के लोग शांति व सद्भावना के साथ रहें. भगवान महावीर के अहिंसा, शांति और सद्भावना के दर्शन की पहले जितनी आवश्यकता थी उससे अधिक आवश्यकता और प्रासंगिकता मौजूदा समय में है.
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने भगवान महावीर जयंती की बधाई देते हुए कहा कि जैन धर्म की शिक्षा स्वस्थ व समृद्ध समाज के लिए वर्तमान में अधिक उपयोगी हैं. इनके अनुसार हमें सभी जीवों को समान समझना चाहिए. और उन्हें किसी भी प्रकार की छोटी या बड़ी हिंसा से बचना चाहिए. इन शिक्षाओं का पालन करने से समाज में शांति बनी रहती है और हिंसा के कारण होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है. आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर ने कहा कि भगवान महावीर का दर्शन और उपदेश आधुनिक विश्व के लिए उपयोगी हो गया है.
एक देश या समुदाय की खुशहाली सतत विकास, सांस्कृतिक मूल्यों के परिरक्षण और संवर्धन, प्राकृतिक वातावरण के संरक्षण तथा सुशासन की स्थापना के स्तंभों पर आधारित होता है. भगवान महावीर की शिक्षाओं का पालन करके ऐसा वातावरण तैयार किया जा सकता है. अहिंसा इंटरनेशनल अवॉर्ड से सम्मानित होकर समाज के प्रति और अधिक दायित्व बढ़ गया है.
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