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Yamuna River: दिल्ली में बनेगी 22 किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला, यमुना तट पर खड़े होंगे एक लाख लोग

दिल्ली में यमुना तट पर 4 जून 22 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई जा रही है. पूरी दिल्ली एक साथ यमुना के लिए खड़ी हुई है.

दिल्ली में बनेगी 22 किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला
दिल्ली में बनेगी 22 किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला
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Published : Jun 1, 2023, 8:11 PM IST

दिल्ली में बनेगी 22 किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला

नई दिल्ली: भारत में वर्षों बाद किसी नदी को बचाने के लिए जनसैलाब उमड़ने को तैयार है. इसका नजारा 4 जून की सुबह 6:30 बजे यमुना तट पर लगने वाली यमुना संसद में दिखेगा. एक लाख से ज्यादा लोग मिलकर वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच मानव श्रृंखला बनाएंगे. इस दौरान यमुना को अविरल और निर्मल रखने की शपथ लेंगे. जाहिर तौर पर समाज खुद से यमुना के लिए अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार दिखेगा. यमुना संसद इसके बाद से यमुना के साफ होने तक सक्रिय रहेगी.

राजनीतिक और सामाजिक जीवन के अपने सात दशकों के अनुभव के आधार पर राष्ट्रवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने बताया कि जैसा मैं देख रहा हूं कि 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की गंगा को बांध मुक्त करने के सफल आंदोलन के बाद का यह पहला आंदोलन है, जिसमें अपनी निजी धार्मिक-राजनीतिक निष्ठा को भुलाकर दिल्ली-एनसीआर का पूरा समाज सक्रिय भागीदार बना है. जन आंदोलन का मूल चरित्र यही है. स्वतंत्र भारत में बड़े राजनीतिक आंदोलन हुए हैं, लेकिन सामाजिक-पर्यावरणिक मुद्दे पर इतना बड़ा मोबलाइजेशन नहीं हुआ है.

प्राथमिक तौर पर 4 जून को दिल्ली के लोग विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच ऐसे कदम उठाने का संकल्प लेंगे, जिसका यमुना के स्वास्थ्य पर दूरगामी असर पड़ेगा. यह 5step4yamuna का रहेगा. इस काम को हर यमुना प्रेमी अपने स्तर पर करेगा. आगे यमुना संसद की एक्सपर्ट टीम उन विकल्पों की पहचान कर रही है, जिसमें पूरा समाज एक साथ मिलकर जमीनी बदलाव ला सके. दूसरी तरफ सरकार जो-जो वायदे कर रही है, यमुना संसद उस पर भी निगरानी रखेगी और जरूरत के हिसाब से सलाह देगी.

एक लाख लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर खड़े होंगे: यमुना संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने बताया कि दिल्ली में यमुना तट पर 4 जून को 22 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई जा रही है. वजीराबाद से कालिंदी के बीच करीब एक लाख लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर खड़े होंगे. यह अलग तरह का जन आंदोलन है. दिल्ली के लोगों ने अपने परिश्रम व संसाधन पर पूरी मुहिम खड़ी की है. मौजूदा दौर में इस आंदोलन ने दलीय राजनीति की बंदिशों को तोड़ा है. दिल्ली के सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का सक्रिय समर्थन है. दिल्ली-एनसीआर में हर दिन छोटा-बड़ा कार्यक्रम यमुना नदी के लिए हो रहा है.

ये भी पढ़ें: 2025 तक यमुना को साफ करना केजरीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट: AAP

बेहतर नियोजन लिए बनी 8 प्वाइंट: बेहतर नियोजन के लिए वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच आठ प्वाइंट (वजीराबाद, उस्मानपुर, पुराना लोहे का पुल, गीता कालोनी, आईटी़ओ, निजामुद्दीन, डीएनडी, कालिंदी कुंज) बनाए गए हैं. हर प्वाइंट पर सौ-सौ वालेंटियर की टीम लगाई गई है. इसके साथ ही सिविल डिफेंस कर्मी, वोट और गोताखोर भी मौजूद रहेंगे. यह हर दिल्ली वासी की संवेदनशीलता की भी परीक्षा होगी.

ये भी पढ़ें: गर्मी शुरू होते ही राजधानी दिल्ली में गहराया जल संकट, यमुना नदी में बढ़ी अमोनिया की मात्रा

दिल्ली में बनेगी 22 किलोमीटर लंबी मानव श्रंखला

नई दिल्ली: भारत में वर्षों बाद किसी नदी को बचाने के लिए जनसैलाब उमड़ने को तैयार है. इसका नजारा 4 जून की सुबह 6:30 बजे यमुना तट पर लगने वाली यमुना संसद में दिखेगा. एक लाख से ज्यादा लोग मिलकर वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच मानव श्रृंखला बनाएंगे. इस दौरान यमुना को अविरल और निर्मल रखने की शपथ लेंगे. जाहिर तौर पर समाज खुद से यमुना के लिए अपनी जिम्मेदारी लेने को तैयार दिखेगा. यमुना संसद इसके बाद से यमुना के साफ होने तक सक्रिय रहेगी.

राजनीतिक और सामाजिक जीवन के अपने सात दशकों के अनुभव के आधार पर राष्ट्रवादी चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने बताया कि जैसा मैं देख रहा हूं कि 1916 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की गंगा को बांध मुक्त करने के सफल आंदोलन के बाद का यह पहला आंदोलन है, जिसमें अपनी निजी धार्मिक-राजनीतिक निष्ठा को भुलाकर दिल्ली-एनसीआर का पूरा समाज सक्रिय भागीदार बना है. जन आंदोलन का मूल चरित्र यही है. स्वतंत्र भारत में बड़े राजनीतिक आंदोलन हुए हैं, लेकिन सामाजिक-पर्यावरणिक मुद्दे पर इतना बड़ा मोबलाइजेशन नहीं हुआ है.

प्राथमिक तौर पर 4 जून को दिल्ली के लोग विश्व पर्यावरण दिवस पर पांच ऐसे कदम उठाने का संकल्प लेंगे, जिसका यमुना के स्वास्थ्य पर दूरगामी असर पड़ेगा. यह 5step4yamuna का रहेगा. इस काम को हर यमुना प्रेमी अपने स्तर पर करेगा. आगे यमुना संसद की एक्सपर्ट टीम उन विकल्पों की पहचान कर रही है, जिसमें पूरा समाज एक साथ मिलकर जमीनी बदलाव ला सके. दूसरी तरफ सरकार जो-जो वायदे कर रही है, यमुना संसद उस पर भी निगरानी रखेगी और जरूरत के हिसाब से सलाह देगी.

एक लाख लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर खड़े होंगे: यमुना संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने बताया कि दिल्ली में यमुना तट पर 4 जून को 22 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई जा रही है. वजीराबाद से कालिंदी के बीच करीब एक लाख लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर खड़े होंगे. यह अलग तरह का जन आंदोलन है. दिल्ली के लोगों ने अपने परिश्रम व संसाधन पर पूरी मुहिम खड़ी की है. मौजूदा दौर में इस आंदोलन ने दलीय राजनीति की बंदिशों को तोड़ा है. दिल्ली के सभी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं का सक्रिय समर्थन है. दिल्ली-एनसीआर में हर दिन छोटा-बड़ा कार्यक्रम यमुना नदी के लिए हो रहा है.

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बेहतर नियोजन लिए बनी 8 प्वाइंट: बेहतर नियोजन के लिए वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच आठ प्वाइंट (वजीराबाद, उस्मानपुर, पुराना लोहे का पुल, गीता कालोनी, आईटी़ओ, निजामुद्दीन, डीएनडी, कालिंदी कुंज) बनाए गए हैं. हर प्वाइंट पर सौ-सौ वालेंटियर की टीम लगाई गई है. इसके साथ ही सिविल डिफेंस कर्मी, वोट और गोताखोर भी मौजूद रहेंगे. यह हर दिल्ली वासी की संवेदनशीलता की भी परीक्षा होगी.

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