नई दिल्ली: कोरोना के मद्देनजर जेलों में भी इसके संक्रमण के फैलने का खतरा जताया जा रहा है. हालांकि तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है कि वह बुजुर्ग कैदियों की रोजाना ही जांच करवा रहा है, लेकिन बाकि कैदियों का क्या होगा ये एक बड़ा सवाल है.
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार तिहाड़ जेल में डॉक्टर समेत स्वास्थ्यकर्मियों के कुल 418 पद हैं. इनमे से करीब 17 प्रतिशत पद खाली हैं. वहीं बात अगर डॉक्टरों की करें तो यहां डॉक्टरों के 140 पद हैं जिसमे से करीब 20 प्रतिशत पद खाली हैं. इनमें से भी सबसे ज्यादा पद जूनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के हैं, जिन्हें किसी भी स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है.
आरटीआई एक्टिविस्ट हरपाल राणा बताते हैं कि जेलों में कैदियों का मानसिक स्वास्थ्य सबसे ज्यादा प्रभावित होता है. कोरोना के मरीजों में भी ऐसा देखा जा रहा है. लेकिन तिहाड़ में मनोरोग विशेषज्ञों के आधे तो इसी विभाग के जूनियर डॉक्टरों के एक तिहाई पद खाली हैं. वहीं मनोरोगियों के लिए नियुक्त किए जाने वाले सोशल वर्कर का तो पूरा ही आभाव है. यहां इसके 17 पद सृजित हैं, लेकिन नियुक्ति एक की भी नहीं है. इसके साथ ही जेल में कैदियों को सुधारने और भविष्य निर्माण के लिए शिक्षकों की भी व्यवस्था होती है. तिहाड़ योग टीचर समेत शिक्षकों के कुल 10 पद सृजित हैं, लेकिन एक पर भी नियुक्ति नहीं है.