नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दसवीं का परीक्षा परिणाम तैयार करने को लेकर मार्किंग पॉलिसी जारी कर दी है. इस पॉलिसी में खासा ध्यान रखा गया है कि स्कूल मनमाने ढंग से रिजल्ट तैयार ना कर सकें. साथ ही रिजल्ट में पूरी तरह से पारदर्शिता बनी रहे. यही कारण है कि CBSE ने यह स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दसवीं क्लास की बोर्ड परीक्षा के अंक स्कूल के पिछले तीन वर्षों में बोर्ड परीक्षा में प्राप्त हुए अंकों के औसत के अनुरूप ही होने चाहिए.
पिछले तीन सालों के आधार पर रिजल्ट
सीबीएसई द्वारा दसवीं के परीक्षा परिणाम को तैयार करने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं. जिससे परीक्षा परिणाम में किसी बच्चे के साथ अन्याय न हो और पारदर्शिता बनी रहे. वहीं जारी मानक के अनुसार स्कूल में पिछले 3 सालों में आयोजित हुई बोर्ड परीक्षाओं में प्राप्त हुए परीक्षा परिणाम के आधार पर ही इस वर्ष का भी परीक्षा परिणाम घोषित किया जाना चाहिए. उदाहरण के तौर पर यदि किसी स्कूल का 2017-18 का परीक्षा परिणाम 72 फ़ीसदी रहा हो, 2018-19 का 74 फ़ीसदी रहा हो और 2019-20 में 71 फ़ीसदी रहा हो तो ऐसे में स्कूल अपना एक रेफरेंस ईयर सेलेक्ट करेगा. जिसके आधार पर इस सत्र का परीक्षा परिणाम तैयार होगा.
ऐसे होगा मूल्यांकन
विषयवार अंको का मूल्यांकन रेफेरेंस ईयर से +- 2 नंबर के आधार पर किया जाएगा. साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि 2021 के पांचों विषयों के मूल्यांकन के बाद प्राप्त हुए अंक रेफरेंस ईयर के अंकों के औसत से अधिक नहीं होने चाहिए.