नई दिल्ली/गजियाबाद: इसबार दिवाली का त्योहार 12 नवंबर को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन प्रत्येक घर में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा होती है. इसके साथ फैक्ट्री अथवा दुकान आदि में भी लक्ष्मी गणेश जी का पूजन किया जाता है. ऐसे में कई बार पूजन के लिए पंडित जी का मिलना थोड़ मुश्किल हो जाता है. आज हम आपको बताएंगे वह विधि, जिससे आप खुद ही लक्ष्मी गणेश जी की पूजा कर सकते हैं.
पूजन सामाग्री: ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि लक्ष्मी गणेश जी के पूजन के लिए कुछ चीजें अति आवश्यक हैं. इसके लिए रोली, चावल, कलावा, पान, सुपारी, लौंग, इलाइची, धूपबत्ती, फल, मिष्ठान, पुष्प माला, आम के पत्ते, देशी घी, सरसों का तेल, लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति, चांदी या सोने का सिक्का, मिट्टी के दीपक 11 या 21 दीये, खीर, बताशा, चीनी के खिलौने, श्री यंत्र, कुबेर यंत्र, नारियल और पंचामृत साथ रखें.
पूजन विधि: सबसे पहले शरीर की शुद्धि के लिए आचमन और अंग स्पर्श करें. इसके बाद संकल्प करें. अपने हाथ में जल और पुष्प रखें और बोले कि मैं (अपने गोत्र का नाम) गोत्र में उत्पन्न नाम (अपना नाम) आज कार्तिक अमावस्या दीपावली पर्व पर माता महालक्ष्मी एवं भगवान गणेश जी की प्रसन्नता के लिए, घर में धन-धान्य, समृद्धि, सुख सौभाग्य बढ़ाने के लिए और परिवार की मंगल कामना के लिए पूजन कर रहा हूं. ऐसा कहकर जल और पुष्प भगवान गणेश के चरणों में छोड़ दें.
जलाएं इतने दीपक: इसके बाद पुष्प लेकर मां लक्ष्मी गणेश जी का आह्वान करें. फिर गणेश जी के ऊपर पुष्प व चावल अर्पण करें और आसन पर बैठाकर रोली या चंदन का टीका लगाएं और पुष्प माला पहनाएं. इसके बाद मिष्ठान, खीर बताशे आदि का भोग लगाएं. फिर भगवान कुबेर जी का आह्वान करें और दीपक जलाकर सोने या चांदी के खरीदे गए सिक्के को पूजा के स्थान पर रख दें. ऐसा कर 'ॐ श्रीं श्रियै नमः, ॐ महालक्ष्म्यै नमः, ॐ गं गणपतये नमः' का पांच बार जाप करें. साथ ही भगवान कुबेर के लिए 'ॐ कुबेराय नमः' मंत्र का भी पांच बार जाप करें. तत्पश्चात थाली में पांच दीपक घी के और 11 या 21 तेल के दीपक जलाएं और 'ॐ दीपमालिकायै नमः' का पांच बार उच्चारण करें. बाद में घी के दीपकों को मंदिर, रसोईं, आंगन, छत व द्वार पर रखें और मां लक्ष्मी एवं भगवान गणेश जी की आरती करें. बाकी सभी दीपकों को घर के अन्य जगहों पर रख दें.
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लक्ष्मी पूजन के पश्चात न बजाएं घंटी और शंख: ऐसी मान्यता है कि आरती के पश्चात देवी-देवता विश्राम करते हैं. ऐसे में आरती के बाद शंख और घंटी बजाने से उनकी निद्रा में बाधा उत्पन होती है. इसीलिए आरती के बाद शंख या घंटी कभी न बजाएं. घंटी बजाने का अर्थ होता है कि मां लक्ष्मी को घर से विदा करना. वहीं शंख केवल आरती के पहले ही बजाना चाहिए. इतना ही नहीं, शंख को बजाने के बाद उसे मंदिर में धोकर ही रखें.