नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 15 अक्टूबर, रविवार से हो रही है. इस दौरान मां भगवती के नौ रूपों के पूजन-अर्चन का विधान है. नवरात्रि में प्रथम दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. शैलपुत्री का अर्थ होता है पर्वतराज हिमालय की पुत्री, जिन्हें हम माता सती के नाम से भी जानते हैं. मान्यता है कि विधि विधान से माता का पूजन करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. साथ ही घर में सुख समृद्धि और आर्थिक स्थिरता का वास होता है.
पूजन विधि: नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना कर माता शैलपुत्री का आवाह्न करें और मां को सफेद वस्त्र धारण कराएं. इसके बाद सफेद मिष्ठान, पंचमेवा, खीर आदि का भोग लगाएं और धूप एवं दीपक जलाएं. इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. यदि किसी कारणवश ऐसा नहीं कर सकते हैं तो दुर्गा चालीसा का पाठ करें. इसके बाद माता की आरती कर प्रसाद ग्रहण करें. साथ ही मां भगवती को सुबह एवं शाम के समय भोग लगाकर आरती जरूर करें. ऐसा करने से माता की कृपा प्राप्त होती है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य शिवकुमार शर्मा ने बताया कि शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 तक है. हालांकि किसी कारणवश अगर इस बीच कलश स्थापना नहीं पाते तो आप शाम 6:11 के बाद कलश स्थापना करें. इस दिन शाम 4:30 बजे से छह बजे तक राहूकाल है, इसलिए इस समय कलश स्थापना न करें. साथ ही यह ध्यान रखें की अगर आप व्रत रखते हैं तो केवल फलाहार ही ग्रहण करें, अनाज नहीं.
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