नई दिल्लीः अब तक आप सभी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस भी मनाया जाता है. जी हां, महिला दिवस की तर्ज पर ही पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस भी मनाया जाता (International Men's Day is also celebrated in the world) है. यह दिन 19 नवंबर को मनाया जाता है. इस दिन को लैंगिग समानता और पुरुषों के अधिकार (Gender Equality and Mens Rights ) की बात करने के लिए भी जाना जाता है. इस बार मेंस डे की थीम Helping Men and Boys रखी गई है.
अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि मर्द को दर्द नही होता, मर्द कभी रोते नहीं है, मर्द बनो-औरतों की तरह क्यों रोते हो. दरअसल मर्द को भी दर्द होता है. बस अपने दर्द को अपने तक रखता है. वह किसी के साथ साझा नहीं करता है. वहीं, मर्द के दर्द को समाज स्वीकार नहीं करता. यही वजह है कि पीड़ा और समस्याओं को अपने तक रखने और किसी के साथ शेयर ना करने से मर्दों में भी डिप्रेशन बढ़ता जा रहा है. मर्द डिप्रेशन की समस्या के बारे में भी बात करने से परहेज करते नजर आते हैं.
मनोचिकित्सक डॉ ए.के. विश्वकर्मा के मुताबिक मर्द घर का मुखिया होता है. परिवार की जिम्मेदारी उसके ही कंधे पर होती है. बेशक पुरुष महिला की तुलना में शारीरिक रुप से मजबूत हो, पर मेंटली दोनों एक सामान हैं. अपनी बातें ना कहने के कारण और बी बोल्ड, बी मैच्योर जैसी बातें सुनकर वो खुद को रोक लेता है. ऐसी परिस्थिति में उनको मनोचिकित्सक से जरूर परामर्श लेना चाहिए, क्योंकि ये डिप्रेशन माइल्ड से मॉडरेट और फिर सीवीयर बन जाती है.
चाहे पुरुष हो या महिला तनाव के वक्त दोनों को ही हमदर्दी की जरूरत होती है. उस वक्त अगर सिर्फ दिलासा देकर छोड़ दिया जाए तो वो परेशानी को बढ़ा देता है.
मर्दों में इन लक्षण से आप डिप्रेशन का पता लगा सकते हैंः
• दिनभर और खासकर सुबह के समय उदासी महसूस करना.
• थकावट और कमजोरी महसूस करना.
• आत्महत्या या मृत्यु के विचार मन में आना.
• बेचैनी और आलस्य महसूस करना.
• अकेले में ज्यादा रहना, लोगों से बातचीत कम कर देना.
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इस कारण से मनाया जाता है पुरुष दिवसः वैसे तो डिप्रेशन मानसिक समस्या है पर इसका असर थकावट, दुबलापन, मोटापा, हार्ट डिजिज और सर दर्द का भी कारण बन जाता है. आकड़ों पर नजर डालें तो 76 फीसदी आत्महत्याएं पुरुष करते हैं (76% of suicides are committed by men). 85 फीसदी बेघर लोग पुरुष हैं. 70 फीसदी हत्याएं पुरुषों की हुई हैं. घरेलू हिंसा के शिकारों में भी 40 फीसदी पुरुष हैं तो अगर महिला और पुरुष को समानता के पैमाने पर रखना है तो महिला दिवस के साथ-साथ पुरुष दिवस भी मनाना जरूरी है. इन्हीं सब कारणों के चलते पुरुष दिवस को भी मनाया जाता है.