दिल्ली/गाज़ियाबाद: साल भर में कुल 12 अमावस्या तिथि पड़ती है. सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व बताया गया है. मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मार्गशीर्ष अमावस्या के नाम से जाना जाता है. अमावस्या मंगलवार को पड़ रही है ऐसे में इसे भौमवती अमावस्या भी कहते हैं. सोमवार, 12 दिसंबर 2023 को मार्गशीर्ष अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा. आइए जानते हैं कि मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि.
ज्योतिषाचार्य और आध्यात्मिक गुरु शिव कुमार शर्मा के मुताबिक क्योंकि अमावस्या मंगलवार को पड़ रही है ऐसे में इसका महत्व और अधिक हो जाता है. परिवार के पुरुषों के तर्पण के लिए भौमवती अमावस्या अच्छा दिन माना गया है. अमावस्या तिथि पर दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करें और मां भगवती के 108 नामों का जाप करें. ऐसा करना पितरों के साथ-साथ जातक के लिए भी कल्याणकारी होता है.
मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि और शुभ मुहूर्त
० अमावस्या तिथि प्रारंभ: 12 दिसंबर (मंगलवार) सुबह 06:24 बजे से शुरू.
० अमावस्या तिथि समाप्त: 13 दिसंबर (बुधवार) सुबह 05:01 बजे पर समाप्त.
० उदया तिथि के अनुसार सर्वपितृ अमावस्या 12 दिसंबर (मंगलवार) को मनाई जाएगी.
पूजा विधि
मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें. पवित्र नदियों में स्नान करें. यदि आप पवित्र नदियों में स्नान करने में सक्षम नहीं है तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर सकते हैं. साफ सुथरे कपड़े पहनें और घर के मंदिर की सफाई कर दीप प्रज्वलित करें. भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. यदि आप व्रत रख सकते है तो व्रत जरूर रखें. वस्त्र, अन्न आदि का दान करें. मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण जरूर करें. ऐसा करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा होती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
भूल कर भी ना करें ये काम
० मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन बाल, नाखून आदि नही काटने चाहिए.
० पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप बताया गया है.
० अमावस्या के दिन किसी भी तरह के नए काम की शुरुआत करने से बचना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन किसी नए काम की शुरुआत करने से सफलता की प्राप्ति नहीं होती है.
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