नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा में निर्मित कफ सीरप पीने से उज्बेकिस्तान में कथित रूप से 18 बच्चों की मौत हो गई थी. अब इस मामले में कोतवाली फेज-3 पुलिस ने गाजियाबाद के ड्रग्स इंस्पेक्टर आशीष की शिकायत पर कम्पनी मैसर्स मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. इसके साथ ही कंपनी के ऑपरेशन हेड सहित 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, कंपनी के मालिक और मालकिन फरार बताए जा रहे हैं. उसकी तलाश की जा रही है.
मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के ऑपरेशन हेड तुहीन भट्टाचार्य, मैन्युफैक्चरिंग केमिस्ट अतुल रावल और मूल सिंह गिरफ्तार किया गया है. इनकी गिरफ्तारी गाजियाबाद के ड्रग्स इंस्पेक्टर आशीष द्वारा लिए गए दवा सैंपल के मानकों पर खड़ा न पाए जाने के बाद की गई है. सेंट्रल नोएडा के एडिशनल डीसीपी राजीव दीक्षित ने बताया कि सेक्टर 67 स्थित दवा कंपनी मैसर्स मैरियम बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्मित कफ सीरप को मानकों पर खड़ा नहीं पाया गया था. इस कफ सीरप को पीने से उज्बेकिस्तान के 18 बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. उज्बेकिस्तान सरकार की सूचना के आधार पर भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया था और कंपनी पर छापेमारी की थी. केंद्रीय एजेंसियों और उत्तर प्रदेश औषधि विभाग की एक दल ने पिछले साल 29 दिसंबर को यहां कंपनी के कार्यालय का निरीक्षण किया था और जांच के लिए 36 नमूने लिए गए थे.
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गौतमबुद्ध नगर के औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर ने बताया कि निरीक्षण के बाद 22 नमूने फेल हो गये थे. कंपनी के प्रतिनिधि के डॉक-1 मैक्स के उत्पादन से जुड़े दस्तावेज जमा नहीं कर पाए थे. इसके बाद सरकार ने उत्पादन पर रोक लगा दी थी. निरीक्षण के दौरान कंपनी के प्रतिनिधि के उत्पादन से जुड़े दस्तावेज दवा के रिकॉर्ड मेंटेनेंस के अलावा रॉ मैटेरियल खरीद की जानकारी समय से नहीं उपलब्ध कराने पर कंपनी का दवा का उत्पादन का लाइसेंस भी निलंबित किया जा चुका है.
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