नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में त्रयोदशी को बहुत पवित्र दिन माना जाता है जिसे प्रदोष भी कहते हैं. इस दिन भगवान शिव की व्रत-पूजा करने का विधान है, जिससे भगवान शंकर प्रसन्न होकर व्रती को मनचाहा फल देते हैं. इस बार प्रदोष (Som Pradosh Vrat 2022) 21 नवंबर सोमवार को पड़ रही है. सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत सोम प्रदोष व्रत कहलाता है. इस दिन भगवार शिव की पूजा करना और व्रत करना विशेष फलदायी होता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के सभी रुके हुए काम पूरे जाते हैं. पुराणों में भगवान शिव को आशुतोष कहा गया है, जिसका अर्थ होता है जल्दी प्रसन्न होने वाले. तो आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त और मंत्र जिसका आज के दिन जाप करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं.
सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ आज सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर होगा जो 22 नवंबर मंगलवार सुबह 8 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस शाम के समय भगवान शिव की पूजा करना सबसे उत्तम होता है. इस बार सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 24 मिनट से रात 8 बजकर 5 मिनट तक रहेगा.
पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप: सोम प्रदोष व्रत के दिन इन मंत्रों का जाप करने का विशेष महत्व है. ये मंत्र हैं-
महा मृत्युंजय मंत्र- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
पूजा के दौरान इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें.
शिव गायत्री मंत्र-ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ।
क्षमायाचना मंत्र- करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसंवापराधं। विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो।।
पूजा के बाद व्रति क्षमायाचना मंत्र का जाप अवश्य करें.
प्रदोष व्रत के प्रकार एवं उनका महत्व-
रवि प्रदोष: रविवार को जब त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे रवि प्रदोष कहते हैं. इस व्रत को करने से यश, कीर्ति और आयु का लाभ होता है.
सोम प्रदोष: जब सोमवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं. यह भगवान शिव का प्रिय दिन है, इसलिए उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए सोम प्रदोष का व्रत रखा जाता है.
भौम प्रदोष: जब त्रयोदशी तिथि मंगलवार को पड़ती है तो उसे भौम प्रदोष कहा जाता है. इस प्रदोष व्रत को करने से कर्ज से मुक्ति होती है. साथ ही व्रती को भूमि-भवन आदि का लाभ होता है और समाज में मान-सम्मान मिलता है.
बुध प्रदोष: बुधवार के दिन पड़ने वाली त्रयोदशी बुध प्रदोष कहलाती है. इस दिन व्रत करने से नौकरी, व्यापार, कीर्ति और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है.
गुरु प्रदोष: बृहस्पतिवार को जब त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो उसे गुरु प्रदोष कहा जाता है. यह प्रदोष व्रत करने से आध्यात्मिक उन्नति, गुरु और ईश्वर कृपा मिलती है. साथ ही व्रती के धन-धान्य में भी वृद्धि होती है.
शुक्र प्रदोष: शुक्रवार को पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि को शुक्र प्रदोष कहा जाता है. इस दिन व्रत करने से पारिवारिक संबंधों में लाभ मिलता है और घर की महिलाएं स्वस्थ और प्रसन्न रहती हैं.
शनि प्रदोष: जब शनिवार को त्रयोदशी तिथि पड़ती है तो वह शनि प्रदोष कहलाती है. इस दिन व्रत करने से कार्य में सफलता और समाज के महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग मिलता है.
प्रदोष व्रत करने से करने से समाज में प्रतिष्ठा, धन की प्राप्ति मन की शांति मिलती हैं. पुराणों के अनुसार एक बार चंद्रमा को तपेदिक रोग हो गया जससे उनको मृत्यु तुल्य कष्ट हो रहा था. तब उन्होंने भगवान शिव की आराधना की जिसपर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें संजीवनी मंत्र से स्वस्थ कर दिया. उस दिन सोमवार के साथ त्रयोदशी तिथि थी. इसलिए प्रदोष व्रत को मुख्य रूप से स्वास्थ्य व संपत्ति के लिए शुभ माना जाता है.
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