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दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से बढ़ रहा अल्जाइमर, पर्सनालिटी डिसऑर्डर व डिमेंशिया का खतरा

वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक डॉ आर चंद्रा के मुताबिक हवा में घुल रहा प्रदूषण मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक है. प्रदूषण के चलते लोगों को कई प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं सामना करना पड़ता है. प्रदूषण सांस के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश करता है. जिसके बाद प्रदूषण में मौजूद हानिकारक केमिकल खून में घुलकर दिमाग मे पहुंचते हैं. जिसके चलते अल्जाइमर, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, डिमेंशिया आदि जैसी बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है.

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Published : Dec 1, 2022, 7:04 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब है. हर साल कई महीने यहां के लोगों को प्रदूषण से जूझना पड़ता है. दिवाली के बाद से दिल्ली एनसीआर की हवा में प्रदूषण का जहर घुलना शुरू हो जाता है. दिसंबर और जनवरी में एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो जाता है. प्रदूषण के चलते लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है.

वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक डॉ आर चंद्रा के मुताबिक हवा में घुल रहा प्रदूषण मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक है. प्रदूषण के चलते लोगों को कई प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं सामना करना पड़ता है. प्रदूषण सांस के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश करता है. जिसके बाद प्रदूषण में मौजूद हानिकारक केमिकल खून में घुलकर दिमाग मे पहुंचते हैं. जिसके चलते अल्जाइमर, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, डिमेंशिया आदि जैसी बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है.

वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक डॉ आर चंद्रा

ये भी पढ़ें: शशि थरूर के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची पुलिस, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

प्रदूषण से युवाओं और बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी के साथ भूलने (Forgetfullnes) की समस्या देखने को मिलती है. जब प्रदूषित हवा फेफड़ों में प्रवेश करती है तो फेफड़ों की ऑक्सीजन सोखने की क्षमता कम हो जाती है. दिमाग को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. पर्याप्त ऑक्सीजन ना मिलने पर दिमाग के काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है. ऐसे में नींद कम आना, बेहोशी सी महसूस होना, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, चिंता (anxiety) आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं.

प्रदूषण के इस दौर में मास्क लगाना काफी कारगर साबित हो सकता है. यदि multi-layer मास्क लगाया जाए तो प्रदूषण से काफी हद तक खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है. घर के अंदर प्रदूषण मौजूद रहता है. ऐसे में एयर फिल्टर का प्रयोग कर प्रदूषण को कम किया जा सकता है. जो लोग पहले से स्वास्थ संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं उन्हें इस दौरान विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है.

प्रदूषण छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है. छोटे बच्चों को स्कूल जाते समय और बुजुर्गों को घर से बाहर निकलते वक्त काफी एहतियात बरतने की जरूरत है. जरूरत होने पर घर से निकलें. बहुत जरूरी न तो घर पर ही रहें. प्रदूषण के असर को कम करने के लिए दूध में हल्दी मिलाकर पी सकते हैं. पानी में नींबू, पुदीना, अदरक आदि डालकर पी सकते हैं. कीवी, अनार आदि भी खा सकते हैं. कीवी और अनार में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं.

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नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब है. हर साल कई महीने यहां के लोगों को प्रदूषण से जूझना पड़ता है. दिवाली के बाद से दिल्ली एनसीआर की हवा में प्रदूषण का जहर घुलना शुरू हो जाता है. दिसंबर और जनवरी में एनसीआर गैस चैंबर में तब्दील हो जाता है. प्रदूषण के चलते लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है.

वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक डॉ आर चंद्रा के मुताबिक हवा में घुल रहा प्रदूषण मानव शरीर के लिए बेहद खतरनाक है. प्रदूषण के चलते लोगों को कई प्रकार की मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं सामना करना पड़ता है. प्रदूषण सांस के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश करता है. जिसके बाद प्रदूषण में मौजूद हानिकारक केमिकल खून में घुलकर दिमाग मे पहुंचते हैं. जिसके चलते अल्जाइमर, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, डिमेंशिया आदि जैसी बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है.

वरिष्ठ मनोरोग चिकित्सक डॉ आर चंद्रा

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प्रदूषण से युवाओं और बच्चों में लर्निंग डिसेबिलिटी के साथ भूलने (Forgetfullnes) की समस्या देखने को मिलती है. जब प्रदूषित हवा फेफड़ों में प्रवेश करती है तो फेफड़ों की ऑक्सीजन सोखने की क्षमता कम हो जाती है. दिमाग को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. पर्याप्त ऑक्सीजन ना मिलने पर दिमाग के काम करने की क्षमता भी कम हो जाती है. ऐसे में नींद कम आना, बेहोशी सी महसूस होना, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन, चिंता (anxiety) आदि समस्याएं देखने को मिलती हैं.

प्रदूषण के इस दौर में मास्क लगाना काफी कारगर साबित हो सकता है. यदि multi-layer मास्क लगाया जाए तो प्रदूषण से काफी हद तक खुद को सुरक्षित रखा जा सकता है. घर के अंदर प्रदूषण मौजूद रहता है. ऐसे में एयर फिल्टर का प्रयोग कर प्रदूषण को कम किया जा सकता है. जो लोग पहले से स्वास्थ संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं उन्हें इस दौरान विशेष तौर पर सतर्क रहने की जरूरत है.

प्रदूषण छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए बेहद खतरनाक है. छोटे बच्चों को स्कूल जाते समय और बुजुर्गों को घर से बाहर निकलते वक्त काफी एहतियात बरतने की जरूरत है. जरूरत होने पर घर से निकलें. बहुत जरूरी न तो घर पर ही रहें. प्रदूषण के असर को कम करने के लिए दूध में हल्दी मिलाकर पी सकते हैं. पानी में नींबू, पुदीना, अदरक आदि डालकर पी सकते हैं. कीवी, अनार आदि भी खा सकते हैं. कीवी और अनार में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं.

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