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नोएडा में जर्जर फ्लैटों में रहने को मजबूर पुलिसकर्मियों का परिवार, यह है कारण

नोएडा में पुलिसकर्मियों के रहने के लिए बनाया गया सरकारी आवास बनने के कुछ सालों में ही जर्जर स्थिति में पहुंच गया है. इससे दूसरों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों का परिवार ही असुरक्षा में रहने पर मजबूर (policemen families living in dilapidated flats) हो गया है. इस आवासीय फ्लैट की क्या है स्थिति और क्या है इसके पीछे का कारण, आइए जानते हैं.

policemen families living in dilapidated flats
policemen families living in dilapidated flats
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Published : Dec 14, 2022, 8:51 AM IST

जर्जर फ्लैटों में रह रहा पुलिसकर्मियों का परिवार

नई दिल्ली/नोएडा: दिन-रात दूसरों की सुरक्षा करने वाले हाइटेक सिटी नोएडा के पुलिसकर्मियों के परिवार, देखा जाए तो पुलिस विभाग के आला अधिकारी और नोएडा प्राधिकरण की उदासीनता के चलते सरकारी आवास में असुरक्षित तरीके से रहने को मजबूर (policemen families living in dilapidated flats) हैं. यह हाल है नोएडा के थाना सेक्टर 20 परिसर के अंदर बने सरकारी आवास का. यहां रह रहे 60 पुलिसकर्मियों के परिवार, फ्लैट के अंदर कमरों को ठीक कर के तो रह रहे हैं, लेकिन कमरों के बाहर की स्थिति यह है कि दीवारों से प्लास्टर छूटता जा रहा है.

फ्लैट की बात करें तो जिन पिलर्स पर बिल्डिंग बनाई गई है, उनमें से रेत गिर रही है और सीलन से वह पूरी तरह कमजोर हो चुकी हैं. इसके चलते पुलिसकर्मियों के परिवार दहशत में जीने को मजबूर हैं. बता दें की इस सरकारी आवास परिसर का निर्माण नोएडा प्राधिकरण द्वारा कुछ वर्ष पूर्व किया गया था लेकिन प्रधिकरण की तरफ से आज तक इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं आया. इन फ्लैट में पुलिसकर्मी, किसी तरह इनकी कमियां दूर कर के अपने परिवारों को लेकर रह रहे हैं. स्थिति तो यह है कि पुलिस विभाग के आला अधिकारी और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की अनदेखी के चलते, इस सरकारी आवास का मेंटेनेंस बनने के बाद से नहीं हुआ.

यह भी पढ़ें-नशा मुक्ति केन्द्र में महिला के साथ हैवानियत, पुलिस और राष्ट्रीय महीला आयोग की जांच शुरू

रखरखाव न होने के चलते दीवार से प्लास्टर ईंट छोड़ रहा है, जिससे पिलर कमजोर होते जा रहे हैं. वहीं सीलन के कारण फ्लैट की दीवारें जर्जर स्थिति में पहुंचती जा रही हैं. जो पुलिसकर्मी जनता की सुरक्षा के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, अब वही असुरक्षित तरीके से जीवन बसर करने को मजबूर हैं. इस संबंध में वहां रह रहे पुलिसकर्मियों ने कैमरे पर कोई बात नहीं की, लेकिन बताया कि आवास भत्ता के नाम पर उन्हें महज ढाई हजार रुपये महीना मिलता है. नोएडा जैसे शहर में ढाई हजार रुपए में एक फ्लैट लेना संभव नहीं है, जिसके चलते उन्हें सरकारी आवास में ही रहना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, फ्लैट के कमरों के अंदर और बाथरूम तक में भी सीमेंट के टुकड़े गिरते रहते हैं, जिसकी मरम्मत पुलिसकर्मियों को अपनी जेब से करानी पड़ती है. अब देखना यह है कि प्राधिकरण के अधिकारियों की नींद, सरकारी आवासों के रखरखाव को लेकर कब टूटती है.

जर्जर फ्लैटों में रह रहा पुलिसकर्मियों का परिवार

नई दिल्ली/नोएडा: दिन-रात दूसरों की सुरक्षा करने वाले हाइटेक सिटी नोएडा के पुलिसकर्मियों के परिवार, देखा जाए तो पुलिस विभाग के आला अधिकारी और नोएडा प्राधिकरण की उदासीनता के चलते सरकारी आवास में असुरक्षित तरीके से रहने को मजबूर (policemen families living in dilapidated flats) हैं. यह हाल है नोएडा के थाना सेक्टर 20 परिसर के अंदर बने सरकारी आवास का. यहां रह रहे 60 पुलिसकर्मियों के परिवार, फ्लैट के अंदर कमरों को ठीक कर के तो रह रहे हैं, लेकिन कमरों के बाहर की स्थिति यह है कि दीवारों से प्लास्टर छूटता जा रहा है.

फ्लैट की बात करें तो जिन पिलर्स पर बिल्डिंग बनाई गई है, उनमें से रेत गिर रही है और सीलन से वह पूरी तरह कमजोर हो चुकी हैं. इसके चलते पुलिसकर्मियों के परिवार दहशत में जीने को मजबूर हैं. बता दें की इस सरकारी आवास परिसर का निर्माण नोएडा प्राधिकरण द्वारा कुछ वर्ष पूर्व किया गया था लेकिन प्रधिकरण की तरफ से आज तक इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं आया. इन फ्लैट में पुलिसकर्मी, किसी तरह इनकी कमियां दूर कर के अपने परिवारों को लेकर रह रहे हैं. स्थिति तो यह है कि पुलिस विभाग के आला अधिकारी और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की अनदेखी के चलते, इस सरकारी आवास का मेंटेनेंस बनने के बाद से नहीं हुआ.

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रखरखाव न होने के चलते दीवार से प्लास्टर ईंट छोड़ रहा है, जिससे पिलर कमजोर होते जा रहे हैं. वहीं सीलन के कारण फ्लैट की दीवारें जर्जर स्थिति में पहुंचती जा रही हैं. जो पुलिसकर्मी जनता की सुरक्षा के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, अब वही असुरक्षित तरीके से जीवन बसर करने को मजबूर हैं. इस संबंध में वहां रह रहे पुलिसकर्मियों ने कैमरे पर कोई बात नहीं की, लेकिन बताया कि आवास भत्ता के नाम पर उन्हें महज ढाई हजार रुपये महीना मिलता है. नोएडा जैसे शहर में ढाई हजार रुपए में एक फ्लैट लेना संभव नहीं है, जिसके चलते उन्हें सरकारी आवास में ही रहना पड़ रहा है. इतना ही नहीं, फ्लैट के कमरों के अंदर और बाथरूम तक में भी सीमेंट के टुकड़े गिरते रहते हैं, जिसकी मरम्मत पुलिसकर्मियों को अपनी जेब से करानी पड़ती है. अब देखना यह है कि प्राधिकरण के अधिकारियों की नींद, सरकारी आवासों के रखरखाव को लेकर कब टूटती है.

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