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ईटीवी मोहल्ला: प्राइवेट कंपनी के जिम्मे होने के बावजूद कूड़ा-कूड़ा हुआ कृष्ण नगर

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Published : Feb 3, 2021, 9:06 AM IST

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कृष्णा नगर वार्ड में जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा है. जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसी को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ईटीवी मोहल्ला के तहत इलाके का जायजा लिया और स्थानीय लोगों से बात की.

People facing litter pile problem in Krishna Nagar of Delhi
दिल्ली के कृष्णा नगर में कूड़े के ढेर की समस्या से जूझ रहे लोग

नई दिल्ली: ईटीवी भारत की खास पेशकश ईटीवी मोहल्ला के तहत ईटीवी भारत की टीम यह जानने के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कृष्णा नगर वार्ड पहुंची. ताकि इस बात का पता लगाया जा सके की सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का उन वार्डो में क्या असर पड़ा है, जहां निस्तारण का काम प्राइवेट कंपनी को दिया गया.

दिल्ली के कृष्णा नगर में कूड़े के ढेर की समस्या से जूझ रहे लोग
कूड़ा-कूड़ा हुआ कृष्णा नगर
ईटीवी भारत की टीम जब कृष्णा नगर पहुंची तो वहां न केवल ढलाव घर में कूड़ा भरा पाया बल्कि इलाके में जगह-जगह कूड़े का ढेर मिला. सबसे बुरी स्थिति झांसी बिल्डिंग के पास बने ढलाव घर की है. कूड़ा घर पूरी तरीके से भरा है , कूड़ा सड़कों पर फैला है हालत यह है कि कूड़े से सड़क का आधा से ज्यादा हिस्सा घिरा हुआ है. जिससे सड़क पर हमेशा जाम लगा रहता है कई बार हादसे तक हो चुके हैं.स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से सफाई कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं तब से गलियों से कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है. ढलाव घर भरे पड़े हैं , जगह-जगह कूड़ा सड़ रहा है और बदबू से बीमारियों का डर सता रहा है.लोगों का कहना है कि झांसी बिल्डिंग के पास बने ढलाव घर की स्थिति बहुत खराब है. ढलाव घर के आसपास कूड़े का अंबार लगा हुआ है .कूड़ा सड़ने की वजह से हो रही दुर्गंध से गुजारना मुश्किल है.

कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से सफाई व्यवस्था खराब


गाड़ियां आने-जाने में सिलिप होती है और हमेशा जाम लगा रहता है. लोगों का कहना है कि इस ढलान घर की हालत हड़ताल से पहले भी ऐसे ही थे यहां कूड़ा का ढेर हमेशा लगा रहता है. स्थानीय आम आदमी पार्टी के नेता जुगल अरोड़ा ने कहा कि सिर्फ हड़ताल की वजह से सफाई व्यवस्था खराब नहीं हुई है.

बल्कि जब से निगम की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी आई है तब से सफाई व्यवस्था चौपट है. दिल्ली सरकार से जो पैसा मिलता है उसे सौंदर्यीकरण के नाम पर खर्च कर दिया जाता है और कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाता है. सफाई कर्मचारी अपनी मांग को लेकर हड़ताल करने को मजबूर है.



ये भी पढ़ें:-जान जोखिम में डालकर टूटे रास्ते से गुजरने को मजबूर लोग, देखें ये रिपोर्ट...


वहीं इस मामले में निर्मल जैन का ने कहा कि सफाई कर्मचारियों का हड़ताल का असर उन वार्डों पर भी पड़ा है. जहां पर सफाई व्यवस्था का काम निजी कंपनियों को दिया गया है. इसकी वजह यह है की हड़ताली कर्मचारी निजी कंपनी के कर्मचारियों को भी काम करने नहीं दे रहे हैं.

नई दिल्ली: ईटीवी भारत की खास पेशकश ईटीवी मोहल्ला के तहत ईटीवी भारत की टीम यह जानने के लिए पूर्वी दिल्ली नगर निगम के कृष्णा नगर वार्ड पहुंची. ताकि इस बात का पता लगाया जा सके की सफाई कर्मचारियों की हड़ताल का उन वार्डो में क्या असर पड़ा है, जहां निस्तारण का काम प्राइवेट कंपनी को दिया गया.

दिल्ली के कृष्णा नगर में कूड़े के ढेर की समस्या से जूझ रहे लोग
कूड़ा-कूड़ा हुआ कृष्णा नगरईटीवी भारत की टीम जब कृष्णा नगर पहुंची तो वहां न केवल ढलाव घर में कूड़ा भरा पाया बल्कि इलाके में जगह-जगह कूड़े का ढेर मिला. सबसे बुरी स्थिति झांसी बिल्डिंग के पास बने ढलाव घर की है. कूड़ा घर पूरी तरीके से भरा है , कूड़ा सड़कों पर फैला है हालत यह है कि कूड़े से सड़क का आधा से ज्यादा हिस्सा घिरा हुआ है. जिससे सड़क पर हमेशा जाम लगा रहता है कई बार हादसे तक हो चुके हैं.स्थानीय लोगों का कहना है कि जब से सफाई कर्मचारी हड़ताल पर गए हैं तब से गलियों से कूड़ा नहीं उठाया जा रहा है. ढलाव घर भरे पड़े हैं , जगह-जगह कूड़ा सड़ रहा है और बदबू से बीमारियों का डर सता रहा है.लोगों का कहना है कि झांसी बिल्डिंग के पास बने ढलाव घर की स्थिति बहुत खराब है. ढलाव घर के आसपास कूड़े का अंबार लगा हुआ है .कूड़ा सड़ने की वजह से हो रही दुर्गंध से गुजारना मुश्किल है.

कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से सफाई व्यवस्था खराब


गाड़ियां आने-जाने में सिलिप होती है और हमेशा जाम लगा रहता है. लोगों का कहना है कि इस ढलान घर की हालत हड़ताल से पहले भी ऐसे ही थे यहां कूड़ा का ढेर हमेशा लगा रहता है. स्थानीय आम आदमी पार्टी के नेता जुगल अरोड़ा ने कहा कि सिर्फ हड़ताल की वजह से सफाई व्यवस्था खराब नहीं हुई है.

बल्कि जब से निगम की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी आई है तब से सफाई व्यवस्था चौपट है. दिल्ली सरकार से जो पैसा मिलता है उसे सौंदर्यीकरण के नाम पर खर्च कर दिया जाता है और कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जाता है. सफाई कर्मचारी अपनी मांग को लेकर हड़ताल करने को मजबूर है.



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वहीं इस मामले में निर्मल जैन का ने कहा कि सफाई कर्मचारियों का हड़ताल का असर उन वार्डों पर भी पड़ा है. जहां पर सफाई व्यवस्था का काम निजी कंपनियों को दिया गया है. इसकी वजह यह है की हड़ताली कर्मचारी निजी कंपनी के कर्मचारियों को भी काम करने नहीं दे रहे हैं.

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