नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: दादरी नगरपालिका द्वारा चिटेहरा गांव की जमीन पर कूड़ा निस्तारण केन्द्र बनाए जाने की कोशिश के बाद कई गांवों में इसका भारी विरोध (Protest to construction of garbage disposal center in Chitehra village) शुरू हो गया. इसके विरोध में रविवार को उसी स्थान पर एक पंचायत का आयोजन किया गया. पंचायत में सभी लोगों ने एक आवाज में चिटेहरा की जमीन पर कूड़ा निस्तारण केन्द्र नहीं बनाए जाने की बात कही. इसके विरोध में आगामी एक दिसम्बर को 12 गांवों की महापंचायत भी बुलाई गई है. इस बीच लोग गांव-गांव जाकर जनजागरुकता अभियान चलाकर लोगों को कूड़ा निस्तारण केन्द्र के बारे में जानकारी देंगे.
दरअसल, दादरी नगरपालिका द्वारा चिटेहरा गांव में कूड़ा निस्तारण केन्द्र बनाने के लिए शुक्रवार को ग्राम सभा की जमीन की पैमाइश करने के लिए टीम भेजी गई. टीम में नगरपालिका के ईओ समीर कश्यप और उनके अधीनस्थ अधिकारियों तथा कर्मचारियों के अलावा दादरी तहसील के एसडीएम आलोक कुमार गुप्ता तथा पटवारी आदि मौजूद थे. चिटेहरा और नईबस्ती गांव के लोगों को इस बात की खबर लगते ही सैकड़ों लोग मौके पर पहुंच गए. नगरपालिका तथा दादरी तहसील की टीमों को मौके पर भारी विरोध का सामना करना पड़ा और वहां से उल्टे पैर लौटना पड़ा.
किसान नेता सुनील फौजी ने बताया कि दादरी नगरपालिका जिस स्थान पर कूड़ा निस्तारण केन्द्र बनाने का विचार कर रहा है, वह स्थान चिटेहरा और नईबस्ती गांव के शमशान घाट से सटा है. वहीं, वर्तमान में यहां से होकर नई बस्ती, फूलपुर, आनन्दपुर, खंडैरा तथा झुम्मनपुरा आदि गांवों के लिए भी रास्ता गुजरता है. ऐसे में इन गांवों के लोग भी यहां पर कूड़ा निस्तारण केन्द्र बनाए जाने का विरोध कर रहे हैं. शनिवार को इसी जगह लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने कूड़ा निस्तारण केंद्र का विरोध करने के लिए आंदोलन करने का निर्णय लिया, जिसके तहत रविवार को यहां पर एक पंचायत का आयोजन हुआ. पंचायत में चिटेहरा, नई बस्ती, फूलपुर और आनन्दपुर गांवों के लोग शामिल हुए. पंचायत की अध्यक्षता मास्टर राधा चरण भाटी और संचालन रणसिंह भाटी ने की.
पंचायत में लोगों ने नगरपालिका तथा प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़ा करते हुए कूड़ा निस्तारण केन्द्र बनाए जाने का विरोध किया. पंचायत में किसान नेता सुनील फौजी ने कहा कि चिटेहरा गांव की जमीन चिटेहरा के लोगों के कल्याण के लिए प्रयोग होनी चाहिए. प्रशासन की नीयत में खोट दिखाई दे रहा है. प्रशासन द्वारा शहरों के लिए जीवन की सभी मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है, जबकि गांव शहरों और सेक्टरों के लिए कूड़ाघर बनाए जा रहे हैं. दिल्ली, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के गांव इसका जीता जागता उदाहरण है.
फौजी ने बताया कि पंचायत में लोगों ने कहा कि कूड़ा निस्तारण केन्द्र बनने के बाद यहां पर कई तरह का प्रदूषण पैदा होगा, जिसके दुष्परिणाम आने वाली पीढ़ियों को भुगतने होंगे. शासन और प्रशासन की नजर गांवों की ग्राम पंचायत की जमीन पर टिकी है. वास्तव में ग्राम समाज की जमीन केवल उसी गांव के जनकल्यण के लिए होती है, लेकिन जिले में जमीन की लूट मची है. हर गांव की जमीन पर माफिया और शासन की नजर है.