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नोएडा प्राधिकरण ने दिया DLF मॉल को 235 करोड़ रुपए देने का नोटिस, जानें पूरा मामला

नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट में केस हारने के बाद डीएलएफ मॉल से 235 करोड़ रुपए पेमेंट करने का नोटिस दिया है. यह पूरा मामला मॉल ऑफ इंडिया (Mall Of India) के जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है.

मॉल ऑफ इंडिया
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Published : Dec 27, 2022, 3:56 PM IST

नई दिल्ली/नोएडाः नोएडा प्राधिकरण ने डीएलएफ मॉल से 235 करोड़ रुपए वसूलने का नोटिस जारी कर दिया है. उसने भुगतान के लिए 15 दिन का समय दिया है. मॉल से पैसा लेकर प्राधिकरण बेंगलुरु के रहने वाले वीराना रेड्डी को देगा. यह पूरा मामला मॉल ऑफ इंडिया (Mall Of India) के जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है. 5 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को रेड्डी को मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसके बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई है.

जमीन अधिग्रहण से जुड़ा यह मामला पिछले 17 सालों से कोर्ट में चल रहा है. प्राधिकरण ने साल 2005 में भूमि मालिक वीराना रेड्डी से लगभग 7,400 वर्गमीटर के प्लॉट का अधिग्रहण किया था. रेड्डी ने बाद में इस आधार पर अधिग्रहण पर आपत्ति जताई कि प्रस्तावित मुआवजा अनुचित था. 31 जनवरी 2011 को गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने 18,00,481 रुपए मुआवजा और 181.87 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से ब्याज देने का फैसला किया. जिसे रेड्डी ने अस्वीकार कर दिया था.

24 अप्रैल 1997 रेड्डी ने खरीदी थी जमीनः जिस जमीन पर डीएलएफ मॉल बना है, वह जमीन कभी बेंगलुरु के रहने वाले विराना रेड्डी की हुआ करती थी. इस जमीन को रेड्डी ने 24 अप्रैल 1997 को छलेरा के रहने वाले एक किसान से खरीदा था. उसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया और भूखंड योजना निकालकर डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड कंपनी को दे दिया. आज इसी जमीन पर नोएडा का शानदार डीएलएफ मॉल बना है. आरोप लगा था कि नोएडा प्राधिकरण ने गलत तरीके से जमीन का अधिग्रहण किया.

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प्राधिकरण और रेड्डी के बीच चली लंबी कानूनी लड़ाईः इसी गलती के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण और वीराना रेड्डी के बीच लंबी कानूनी लड़ाई की शुरुआत हुई, जो गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में शुरू हुई. फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक और अंततः सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट में 5 मई, 2022 को जस्टिस विनीत सरन और जेके माहेश्वरी की बेंच ने प्राधिकरण को 15 प्रतिशत ब्याज और 3 प्रतिशत दंडात्मक ब्याज के साथ 1,10,000 प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि के मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया. प्राधिकरण ने फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन में गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को आदेश देते हुए कहा कि बेंगलुरु के रहने वाले रेड्डी को 235 करोड़ रुपए अतिरिक्त देना होगा और इस कीमत को नोएडा प्राधिकरण देगा. इसके बाद अब नोएडा प्राधिकरण डीएलएफ यूनिवर्सल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 235 करोड़ रुपए देने का नोटिस भेजा है. गौतमबुद्ध नगर ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में यह सबसे बड़ी मुआवजा राशि है.

यह भी पढ़ेंः पीएम मोदी के भाई की कार मैसूर में दुर्घटनाग्रस्त, बेटा-बहू भी थे साथ

नई दिल्ली/नोएडाः नोएडा प्राधिकरण ने डीएलएफ मॉल से 235 करोड़ रुपए वसूलने का नोटिस जारी कर दिया है. उसने भुगतान के लिए 15 दिन का समय दिया है. मॉल से पैसा लेकर प्राधिकरण बेंगलुरु के रहने वाले वीराना रेड्डी को देगा. यह पूरा मामला मॉल ऑफ इंडिया (Mall Of India) के जमीन अधिग्रहण से जुड़ा है. 5 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने प्राधिकरण को रेड्डी को मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसके बाद यह प्रक्रिया शुरू हुई है.

जमीन अधिग्रहण से जुड़ा यह मामला पिछले 17 सालों से कोर्ट में चल रहा है. प्राधिकरण ने साल 2005 में भूमि मालिक वीराना रेड्डी से लगभग 7,400 वर्गमीटर के प्लॉट का अधिग्रहण किया था. रेड्डी ने बाद में इस आधार पर अधिग्रहण पर आपत्ति जताई कि प्रस्तावित मुआवजा अनुचित था. 31 जनवरी 2011 को गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने 18,00,481 रुपए मुआवजा और 181.87 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से ब्याज देने का फैसला किया. जिसे रेड्डी ने अस्वीकार कर दिया था.

24 अप्रैल 1997 रेड्डी ने खरीदी थी जमीनः जिस जमीन पर डीएलएफ मॉल बना है, वह जमीन कभी बेंगलुरु के रहने वाले विराना रेड्डी की हुआ करती थी. इस जमीन को रेड्डी ने 24 अप्रैल 1997 को छलेरा के रहने वाले एक किसान से खरीदा था. उसके बाद नोएडा प्राधिकरण ने इस जमीन का अधिग्रहण कर लिया और भूखंड योजना निकालकर डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड कंपनी को दे दिया. आज इसी जमीन पर नोएडा का शानदार डीएलएफ मॉल बना है. आरोप लगा था कि नोएडा प्राधिकरण ने गलत तरीके से जमीन का अधिग्रहण किया.

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प्राधिकरण और रेड्डी के बीच चली लंबी कानूनी लड़ाईः इसी गलती के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण और वीराना रेड्डी के बीच लंबी कानूनी लड़ाई की शुरुआत हुई, जो गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में शुरू हुई. फिर इलाहाबाद उच्च न्यायालय तक और अंततः सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गई. सुप्रीम कोर्ट में 5 मई, 2022 को जस्टिस विनीत सरन और जेके माहेश्वरी की बेंच ने प्राधिकरण को 15 प्रतिशत ब्याज और 3 प्रतिशत दंडात्मक ब्याज के साथ 1,10,000 प्रति वर्गमीटर की दर से भूमि के मुआवजे का भुगतान करने का आदेश दिया. प्राधिकरण ने फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटीशन में गई, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा प्राधिकरण को आदेश देते हुए कहा कि बेंगलुरु के रहने वाले रेड्डी को 235 करोड़ रुपए अतिरिक्त देना होगा और इस कीमत को नोएडा प्राधिकरण देगा. इसके बाद अब नोएडा प्राधिकरण डीएलएफ यूनिवर्सल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को 235 करोड़ रुपए देने का नोटिस भेजा है. गौतमबुद्ध नगर ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में यह सबसे बड़ी मुआवजा राशि है.

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