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Rescue Operation Turkey: जूली ने संकेत दिया इमारत में बच्ची जिंदा है, 6 साल की बैरन को मिली नई जिंदगी

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Published : Feb 17, 2023, 8:20 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 8:53 PM IST

भारत की एनडीआरएफ की टीम ने ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की में आई विनाशकारी भूकंप में राहत और बचाव कार्य करने पहुंची थी. टीम में 50 जवान शामिल थे और इसने कुल 24 शवों को बाहर निकाला. टीम ने दो बच्चों को जीवित भी निकाल लिया. इसमें जूली नामक डॉग ने काफी अहम भूमिका निभाया.

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ऑपरेशन दोस्त के तहत रेस्क्यू अभियान खत्म कर लौटी एनडीआरएफ की टीम.

नई दिल्ली/गाजियाबादः ऑपरेशन दोस्त के तहत एनडीआरएफ की तीन टीमों द्वारा तुर्की में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त होने के बाद एनडीआरएफ की टीमों के वापस लौटने का सिलसिला अब शुरू हो गया है. एनडीआरएफ की पहली टीम तुर्की से सुबह 9:00 बजे हिंडन एयर बेस पहुंची, जबकि दूसरी टीम तकरीबन 11:00 बजे हिंडन एयर बेस पहुंची. देश वापस लौटने के बाद एनडीआरएफ के जांबाज जवानों का कमला नेहरू नगर स्थित एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन में स्वागत किया गया.

ऑपरेशन दोस्त के तहत एनडीआरएफ की टीमों ने तकरीबन 83 शवों को निकाला. जबकि, दो लोगों को जीवित रेस्क्यू किया. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ की टीमों ने 34 वर्ग साइट्स को क्लियर किया. वर्क साइट क्लियर करने का मतलब है कि इस बात का एनडीआरएफ की टीमों द्वारा क्लियरेंस दिया गया कि संबंधित क्षेत्र में कोई जीवित या मृत मौजूद नहीं है. सभी को निकाल लिया गया है.

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ की टीम ने 6 वर्षीय बैरन और 8 वर्षीय मरय करत को जीवित रेस्क्यू किया. एनडीआरएफ की दूसरी बटालियन की टीम को लीड कर रहे सेकंड कमांडेंट वी एन पराशर के मुताबिक, उनकी टीम ने दो लोगों को जीवित रेस्क्यू किया. जबकि, 24 शवों को मलबे से बाहर निकाला गया. तुर्की में तकरीबन -4 डिग्री टेंप्रेचर था. ऐसे में पूरी तैयारी के साथ टीमें यहां से रवाना हुई थी. इन्हें विशेष कपड़े उपलब्ध कराए गए थे, जिससे ठंड के मौसम में जवान आसानी से रेस्क्यू ऑपरेशन चला सके.

पराशर बताते हैं कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम ने 6 वर्षीय बैरन को जब बाहर निकाला तो बैरन अपनी मां की गोद में लिपटी हुई थी. बच्ची को जब मां की गोद से बाहर निकाला गया, तो बच्चे की आंखें हल्की-हल्की खुलने लगी. बच्ची की मां मृत थी. टीम को बहुत प्रसन्नता हुई कि हम एक जीवन को बचाने में सफल हुए. वी एन पाराशर की टीम में 50 जवान शामिल थे.

जूली नामक डॉग ने दिए जिंदा होने के संकेतः 6 वर्षीय बैरन और 8 वर्षीय मरय करत की जिंदगी बचाने में एनडीआरएफ के रेस्क्यू डॉग्स ने अहम भूमिका निभाई. डॉग हैंडलर कांस्टेबल कुंदन कुमार के मुताबिक, टीम को तुर्की में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते हुए दूसरा दिन था. रेस्क्यू साइट पर रेस्क्यू डॉग लेकर पहुंचे थे. स्थानीय लोगों का कहना था कि रेस्क्यू साइट पर लाइव विक्टिम होने की संभावना है. छह मंजिला इमारत थी, जिसमें रेस्क्यू डॉग जूली को छोड़ा गया. डॉग जूली ने इमारत में लाइव विक्टिम होने के संकेत दिए. जूली द्वारा दिए गए संकेत को कंफर्म करने के लिए रेस्क्यू डॉग रोगियों को भेजा गया. रेस्क्यू डॉग रोमियो ने कंफर्म किया कि ध्वस्त इमारत में लाइव व्यक्ति मौजूद है, जिसके बाद अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई और सफल ऑपरेशन चलाकर इमारत में से 6 वर्ष की बच्ची को जीवित बाहर निकाला गया.

ये भी पढ़ेंः Delhi Mayor election: BJP को झटका, पहले होगा मेयर का चुनाव, 24 घंटे में नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश

एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि जो टीमें की में ग्राउंड पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी, उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, इसकी मॉनिटरिंग की जा रही थी. टीमों को जो भी रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान परेशानियां होती थी, वह हमारे साथ साझा करते थे और उसका तुरंत समाधान किया जाता था. एनडीआरएफ की टीमें इक्विपमेंट, राशन, कपड़े आदि साथ लेकर गई थी.जिससे कि हमारी टीम में किसी पर बोझ ना बने.

ये भी पढ़ेंः Adani Case in SC : अडाणी मामले पर केंद्र ने सीलबंद लिफाफे में दिया जवाब, कोर्ट ने कहा- नहीं स्वीकार करेंगे

ऑपरेशन दोस्त के तहत रेस्क्यू अभियान खत्म कर लौटी एनडीआरएफ की टीम.

नई दिल्ली/गाजियाबादः ऑपरेशन दोस्त के तहत एनडीआरएफ की तीन टीमों द्वारा तुर्की में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. रेस्क्यू ऑपरेशन समाप्त होने के बाद एनडीआरएफ की टीमों के वापस लौटने का सिलसिला अब शुरू हो गया है. एनडीआरएफ की पहली टीम तुर्की से सुबह 9:00 बजे हिंडन एयर बेस पहुंची, जबकि दूसरी टीम तकरीबन 11:00 बजे हिंडन एयर बेस पहुंची. देश वापस लौटने के बाद एनडीआरएफ के जांबाज जवानों का कमला नेहरू नगर स्थित एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन में स्वागत किया गया.

ऑपरेशन दोस्त के तहत एनडीआरएफ की टीमों ने तकरीबन 83 शवों को निकाला. जबकि, दो लोगों को जीवित रेस्क्यू किया. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ की टीमों ने 34 वर्ग साइट्स को क्लियर किया. वर्क साइट क्लियर करने का मतलब है कि इस बात का एनडीआरएफ की टीमों द्वारा क्लियरेंस दिया गया कि संबंधित क्षेत्र में कोई जीवित या मृत मौजूद नहीं है. सभी को निकाल लिया गया है.

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एनडीआरएफ की टीम ने 6 वर्षीय बैरन और 8 वर्षीय मरय करत को जीवित रेस्क्यू किया. एनडीआरएफ की दूसरी बटालियन की टीम को लीड कर रहे सेकंड कमांडेंट वी एन पराशर के मुताबिक, उनकी टीम ने दो लोगों को जीवित रेस्क्यू किया. जबकि, 24 शवों को मलबे से बाहर निकाला गया. तुर्की में तकरीबन -4 डिग्री टेंप्रेचर था. ऐसे में पूरी तैयारी के साथ टीमें यहां से रवाना हुई थी. इन्हें विशेष कपड़े उपलब्ध कराए गए थे, जिससे ठंड के मौसम में जवान आसानी से रेस्क्यू ऑपरेशन चला सके.

पराशर बताते हैं कि रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम ने 6 वर्षीय बैरन को जब बाहर निकाला तो बैरन अपनी मां की गोद में लिपटी हुई थी. बच्ची को जब मां की गोद से बाहर निकाला गया, तो बच्चे की आंखें हल्की-हल्की खुलने लगी. बच्ची की मां मृत थी. टीम को बहुत प्रसन्नता हुई कि हम एक जीवन को बचाने में सफल हुए. वी एन पाराशर की टीम में 50 जवान शामिल थे.

जूली नामक डॉग ने दिए जिंदा होने के संकेतः 6 वर्षीय बैरन और 8 वर्षीय मरय करत की जिंदगी बचाने में एनडीआरएफ के रेस्क्यू डॉग्स ने अहम भूमिका निभाई. डॉग हैंडलर कांस्टेबल कुंदन कुमार के मुताबिक, टीम को तुर्की में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाते हुए दूसरा दिन था. रेस्क्यू साइट पर रेस्क्यू डॉग लेकर पहुंचे थे. स्थानीय लोगों का कहना था कि रेस्क्यू साइट पर लाइव विक्टिम होने की संभावना है. छह मंजिला इमारत थी, जिसमें रेस्क्यू डॉग जूली को छोड़ा गया. डॉग जूली ने इमारत में लाइव विक्टिम होने के संकेत दिए. जूली द्वारा दिए गए संकेत को कंफर्म करने के लिए रेस्क्यू डॉग रोगियों को भेजा गया. रेस्क्यू डॉग रोमियो ने कंफर्म किया कि ध्वस्त इमारत में लाइव व्यक्ति मौजूद है, जिसके बाद अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई और सफल ऑपरेशन चलाकर इमारत में से 6 वर्ष की बच्ची को जीवित बाहर निकाला गया.

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एनडीआरएफ की आठवीं बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी ने बताया कि जो टीमें की में ग्राउंड पर रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही थी, उन्हें किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो, इसकी मॉनिटरिंग की जा रही थी. टीमों को जो भी रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान परेशानियां होती थी, वह हमारे साथ साझा करते थे और उसका तुरंत समाधान किया जाता था. एनडीआरएफ की टीमें इक्विपमेंट, राशन, कपड़े आदि साथ लेकर गई थी.जिससे कि हमारी टीम में किसी पर बोझ ना बने.

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Last Updated : Feb 17, 2023, 8:53 PM IST
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