नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर में ठंड बढ़ने के साथ ही हार्ट अटैक के मामले भी बढ़ने लगे हैं. शीतलहर के दौरान शरीर को गर्म रखने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और ब्लड को पंप करते समय रक्त कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं. इससे हृदय के कामकाज में परेशानी होती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है. ऐसे में मौत भी हो सकती है.
दिल्ली एनसीआर में ठंड कहर बरपा रही है. ठंड बढ़ने के साथ बीमारियां भी मंडराने लगी हैं. एनसीआर में ठंड जानलेवा साबित हो रही है. ठंड से जहां लगातार हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं, जिससे लोग जान गंवा रहे हैं. गाजियाबाद में ठंड से बीते 9 दिनों में हार्ट अटैक से करीब 28 लोगों की मौत हुई है. वहीं, एनसीआर के अस्पतालों में भी हार्ट की समस्याओं से संबंधित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है.
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टर नीतीश नायक के मुताबिक, ठंड के मौसम में हर साल हार्ट से संबंधित बीमारियों के मामलों में इजाफा होता है. सर्दियों के मौसम में हार्ट की नसें सिकुड़ जाती हैं. सिकुड़न की वजह से हार्ट अटैक के मामले बढ़ जाते हैं. सुबह सबेरे जॉगिंग या रनिंग करने से उन लोगों को बचना चाहिए, जो किसी भी तरह की हार्ट से संबंधित बीमारी से जूझ रहे हैं. सर्दियों में हार्ट से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे लोगों की दवाइयों में बदलाव किया जाता है. कई लोग लापरवाही के चलते डॉक्टर से परामर्श नहीं लेते, जिससे दवाई में बदलाव संभव नहीं हो पाता. ऐसे में हार्ट के मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है. ठंड के मौसम में हार्ट के मरीजों की संख्या 10 से 15% बढ़ जाती है.
स्पाइनल इंजरी हॉस्पिटल वसंत कुंज के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आशिम ढल के मुताबिक, ठंड बढ़ने के बाद अस्पताल में हर दिन हार्ट अटैक के एक दो केस आ रहे हैं. साथ ही सांस फूलने के मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. हार्ट अटैक के मरीज सामने आ रहे हैं. उनकी एंजियोग्राफी करने पर हार्ट में ब्लॉकेज देखने को मिल रहा है. रविवार रात अस्पताल में हार्ट अटैक के दो मरीज भर्ती हुए थे, जिनकी आज एंजियोग्राफी की गई है.
हार्ट में पहले से मौजूद ब्लॉकेज ठंड में हार्ट अटैक पैदा करते हैं. मरीज रूटीन चेकअप कराने में लापरवाही बरतते हैं. इसकी वजह से हार्ट की ब्लॉकेज समय रहते पता नहीं चल पाती. फिलहाल अस्पताल में हार्ट के जो मरीज सामने आ रहे हैं, उनमें अधिकतर मरीज 60 वर्ष की उम्र से अधिक के हैं. ठंड शुरू होने के बाद हार्ट के मरीजों की संख्या में तकरीबन 25% का इजाफा हुआ है.
यशोदा अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ परमजीत सिंह के मुताबिक, ठंड में छोटी खून की नसें सिकुड़ जाती हैं. जबकि, गर्मी के मौसम में या वर्जिश करने के दौरान खून की नसें खुल जाती हैं. ठंड के मौसम में शाम और सुबह में तापमान सबसे कम होता है. कम तापमान में नसें सिकुड़ जाती हैं. जिन लोगों के हार्ट में ब्लॉकेज हैं उन्हें ठंड के दौरान हार्ट संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ठंड के मौसम में कई बार लोग बीच रात में पेशाब करने के लिए नहीं उठते. ऐसे में शरीर में प्रेशर बढ़ जाता है. जिसकी वजह से हार्ट रेट बढ़ जाता है. हार्ट रेट बढ़ जाना, सांस और हार्ट की नसों में सिकुड़न होने से हार्ट की छुपी हुई, बीमारियां उभर कर आने लगती हैं.
डॉ सिंह बताते हैं कि अधिकतर लोग स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों को नजरअंदाज करते हैं. जो लोग 40 साल के उम्र के पड़ाव को पार कर चुके हैं. उन्हें हर पांच वर्ष में हार्ट चेकअप जरूर कराना चाहिए, जिससे बीमारी के शुरुआती दौर में उसका इलाज किया जा सके. हार्ट की जांच नहीं करवाने से प्री एक्जिस्टिंग बीमारियों का पता नहीं चल पाता. जब हार्ट अटैक हो जाता है तब लोग अस्पताल का रुख करते हैं.
डॉ परमजीत सिंह बताते हैं कि जो लोग पहले से दिल से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे हैं, उन्हें अपने स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करनी बहुत जरूरी है. ब्लड प्रेशर और पल्स की रोज मॉनिटरिंग करनी चाहिए. ठंड में पसीना आता है, दिल की धड़कन बढ़ती है तो उसे नजरअंदाज न करें. तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और आवश्यक जांच कराएं. विंटर सीजन को होस्ट का सीजन कहा जाता है, क्योंकि ठंड के मौसम में हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर के मामले बढ़ जाते हैं. इस साल ठंड का मौसम शुरू होने के बाद हार्ट के मरीजों में लगभग डेढ़ गुना का इजाफा हुआ है.
हिंडन मोक्ष स्थली के प्रभारी आचार्य मनीष पंडित के मुताबिक, 1 जनवरी से 9 जनवरी के बीच लगभग 200 लोगों का अंतिम संस्कार कराया गया है. इनमें 40 मृतकों की आयु 30-40 वर्ष के बीच थी. जबकि 160 की आयु 60 साल से अधिक थी. करीब 28 मृतकों के परिजन ने मौत का कारण हार्ट अटैक बताया. कुछ ने बताया कि रात को सही सोए, लेकिन सुबह को उठे नहीं.
हृदय के रोग से कैसे रहे निरोग
० खानपान का रखें ध्यान. ज्यादा पका हुआ, तला-भुना खाना और जंक फूड से बचें.
० कम से कम घी, तेल और मक्खन का इस्तेमाल करें. खाने में पचास परसेंट सब्जियों व फल का इस्तेमाल करें. हाई फाइबर वाली चीजें ज्यादा ग्रहण करें.
० रात 10 बजे तक सो जाएं. सुबह सूर्योदय से पहले उठें. साथ ही उठने के दो-तीन घंटे के भीतर ब्रेकफास्ट कर लें. दोपहर में सही समय देखकर लंच करें. वहीं रात 8 बजे तक डिनर कर लें और पानी हमेशा खाने के 1 घंटे बाद ही पिएं.
० रोज सुबह योग और व्यायाम करें. रोजाना सुबह 30 मिनट योग और व्यायाम करने से स्वस्थ व तंदुरुस्त रहेंगे और बीमारियां भी शरीर के इर्द-गिर्द नहीं भटकेंगी.
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