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भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हैं दिल्ली सरकार का रजिस्टार कार्यालय- महापौर

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने महापौर कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया. इस दौरान स्थायी समिति के अध्यक्ष बीर सिंह पंवार और पूर्व स्थायी समिति के अध्यक्ष संदीप कपूर भी मौजूद रहे.

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Published : May 26, 2022, 11:14 AM IST

नई दिल्ली: पूपूर्वी दिल्ली के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने महापौर कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया. इस दौरान स्थायी समिति के अध्यक्ष बीर सिंह पंवार और पूर्व स्थायी समिति के अध्यक्ष संदीप कपूर भी मौजूद रहे.

प्रेस वार्ता के दौरान महापौर ने कहा कि "दिल्ली सरकार के सभी कार्यालय भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुए हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण रजिस्ट्रार कार्यालय है. जहाँ रजिस्ट्रार की नियुक्ति डिवीजनल कमिश्नर के माध्यम से दलाल करवाते हैं. सारा काम दलाल करवाते हैं रजिस्ट्रार तो सिर्फ मुखौटा बनकर रहता है, जिसके बदले में रजिस्ट्रार को कुछ प्रतिशत मिलता है. प्रत्येक रजिस्ट्रार कार्यालय की अलग-अलग कीमत तय होती है, जिस कार्यालय में जितना ज्यादा काम उस कार्यालय की कीमत उतनी ज्यादा, यह सभी कार्य दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री के अन्तर्गत आते हैं. प्रमुख भूमिका दलाल की होती है सभी अवैध कार्य दिल्ली सरकार का मंत्रालय डिविजनल कमिश्नर दलाल के माध्यम से मिलकर अपने चहेतों को रजिस्ट्रार कार्यालय में लगवाते हैं. पहले ही सूची तैयार कर ली जाती है, किस काम के कितने पैसे लगेंगे ? सरकारी भूमि की रजिस्ट्री के कितने पैसे, निगम द्वारा सील/बुक प्रॉपर्टी के कितने पैसे, चौथी-पांचवी-छठी मंजिल के कितने पैसे, इसी प्रकार अन्य अवैध कार्यों के पैसे लिए जाते हैं. जितना बड़ा अवैध कार्य उतने ज्यादा पैसे, काम कितना भी गलत हो सब संभव है, बस कीमत लगेगी."

भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हैं दिल्ली सरकार का रजिस्टार कार्यालय- महापौर

मेयर ने कहा कि "पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा हर महीने एक सूची जारी की जाती है और जिन संपत्तियों को बुक किया जाता है और सील किया जाता है उसकी सूची रजिस्ट्रार कार्यालय को भेज दी जाती है ताकि इनकी रजिस्ट्री किसी भी कीमत पर न हों. लेकिन बिल्डिंग माफियाओं से मिलकर रजिस्ट्रार कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी बिना जांच किए किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री कर देते हैं, चाहे वह सरकारी जमीन ही क्यों न हो. इसका हिस्सा दिल्ली सरकार के मंत्री व विधायकों में बंट जाता है. कायदे से रजिस्ट्रार कार्यालयों को निगम से प्राप्त सूची के अनुसार बुक व सील की गयी संपत्तियों की रजिस्ट्री नहीं करनी चाहिए या लाल निशान लगा देना चाहिए और इनकी रजिस्ट्री नहीं करनी चाहिए. जो लोग ऐसी संपत्तियों को खरीदते हैं और रिश्वत देकर रजिस्ट्री करवाते हैं उन्हें बाद में पछताना पड़ता है क्योंकि इनमें बिजली का मीटर व पानी का कनेक्शन नहीं लग पाता. सीलिंग की तलवार उनपर जीवनभर लटकी रहती है. उनके जीवन भर की कमाई लाखों, करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी खरीदने के बाद जब उन्हें जानकारी मिलती है कि उनकी संपत्ति पर बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं मिल सकता या प्रॉपर्टी नहीं बिक सकती तो वे अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं.

मेयर ने पूर्वी दिल्ली क्षेत्र के निवासियों से अपील करते हुए कहा यदि कोई भी व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी खरीदना चाहता हैं तो पहले एमसीडी से जांच करा ले कि प्रॉपर्टी बुक या सील तो नहीं है ताकि उन्हें कोई नुकसान न हो, उनका पैसा व्यर्थ न जाए.

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नई दिल्ली: पूपूर्वी दिल्ली के महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने महापौर कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित किया. इस दौरान स्थायी समिति के अध्यक्ष बीर सिंह पंवार और पूर्व स्थायी समिति के अध्यक्ष संदीप कपूर भी मौजूद रहे.

प्रेस वार्ता के दौरान महापौर ने कहा कि "दिल्ली सरकार के सभी कार्यालय भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबे हुए हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण रजिस्ट्रार कार्यालय है. जहाँ रजिस्ट्रार की नियुक्ति डिवीजनल कमिश्नर के माध्यम से दलाल करवाते हैं. सारा काम दलाल करवाते हैं रजिस्ट्रार तो सिर्फ मुखौटा बनकर रहता है, जिसके बदले में रजिस्ट्रार को कुछ प्रतिशत मिलता है. प्रत्येक रजिस्ट्रार कार्यालय की अलग-अलग कीमत तय होती है, जिस कार्यालय में जितना ज्यादा काम उस कार्यालय की कीमत उतनी ज्यादा, यह सभी कार्य दिल्ली सरकार के राजस्व मंत्री के अन्तर्गत आते हैं. प्रमुख भूमिका दलाल की होती है सभी अवैध कार्य दिल्ली सरकार का मंत्रालय डिविजनल कमिश्नर दलाल के माध्यम से मिलकर अपने चहेतों को रजिस्ट्रार कार्यालय में लगवाते हैं. पहले ही सूची तैयार कर ली जाती है, किस काम के कितने पैसे लगेंगे ? सरकारी भूमि की रजिस्ट्री के कितने पैसे, निगम द्वारा सील/बुक प्रॉपर्टी के कितने पैसे, चौथी-पांचवी-छठी मंजिल के कितने पैसे, इसी प्रकार अन्य अवैध कार्यों के पैसे लिए जाते हैं. जितना बड़ा अवैध कार्य उतने ज्यादा पैसे, काम कितना भी गलत हो सब संभव है, बस कीमत लगेगी."

भ्रष्टाचार के आकंठ में डूबा हैं दिल्ली सरकार का रजिस्टार कार्यालय- महापौर

मेयर ने कहा कि "पूर्वी दिल्ली नगर निगम द्वारा हर महीने एक सूची जारी की जाती है और जिन संपत्तियों को बुक किया जाता है और सील किया जाता है उसकी सूची रजिस्ट्रार कार्यालय को भेज दी जाती है ताकि इनकी रजिस्ट्री किसी भी कीमत पर न हों. लेकिन बिल्डिंग माफियाओं से मिलकर रजिस्ट्रार कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी बिना जांच किए किसी भी संपत्ति की रजिस्ट्री कर देते हैं, चाहे वह सरकारी जमीन ही क्यों न हो. इसका हिस्सा दिल्ली सरकार के मंत्री व विधायकों में बंट जाता है. कायदे से रजिस्ट्रार कार्यालयों को निगम से प्राप्त सूची के अनुसार बुक व सील की गयी संपत्तियों की रजिस्ट्री नहीं करनी चाहिए या लाल निशान लगा देना चाहिए और इनकी रजिस्ट्री नहीं करनी चाहिए. जो लोग ऐसी संपत्तियों को खरीदते हैं और रिश्वत देकर रजिस्ट्री करवाते हैं उन्हें बाद में पछताना पड़ता है क्योंकि इनमें बिजली का मीटर व पानी का कनेक्शन नहीं लग पाता. सीलिंग की तलवार उनपर जीवनभर लटकी रहती है. उनके जीवन भर की कमाई लाखों, करोड़ों रुपये की प्रॉपर्टी खरीदने के बाद जब उन्हें जानकारी मिलती है कि उनकी संपत्ति पर बिजली और पानी का कनेक्शन नहीं मिल सकता या प्रॉपर्टी नहीं बिक सकती तो वे अपने आप को ठगा हुआ महसूस करते हैं.

मेयर ने पूर्वी दिल्ली क्षेत्र के निवासियों से अपील करते हुए कहा यदि कोई भी व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी खरीदना चाहता हैं तो पहले एमसीडी से जांच करा ले कि प्रॉपर्टी बुक या सील तो नहीं है ताकि उन्हें कोई नुकसान न हो, उनका पैसा व्यर्थ न जाए.

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