नई दिल्ली/गाजियाबाद: दुनिया भर में जनवरी के महीने का धूम धाम से इस्तकबाल किया जाता है. जनवरी का महीना नए साल के साथ नई उम्मीदें लेकर आता है. लेकिन कश्मीरी पंडितों के लिए यह महीना दुख और निराशा की यादें लेकर आता है. 19 जनवरी का दिन उनके लिए त्रासदी का प्रतीक बन चुका है. इस दिन कश्मीरी पंडितों के साथ कश्मीर में 1990 में नरसंहार हुआ. उस हादसे के बाद बहुत सारे कश्मीरी पंडित गाजियाबाद आ गए.
गाजियाबाद में उनके करीब ढाई हजार परिवार रहते हैं. उस खौफनाक रात के बाद कश्मीरी पंडितों के परिवार सब कुछ कश्मीर में ही छोड़ आए थे, लेकिन अपनी संस्कृति और परंपरा अपने साथ संभाल कर ले आए. गाजियाबाद के शालीमार गार्डन इलाके में माता खीर भवानी का मंदिर है. मंदिर के मुख्य द्वार पर लिखा है, माता खीर भवानी मंदिर, तुलामुल्ला. जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले के तुलामुल्ला गांव में यह मूल मंदिर स्थित है. तुलामुल्ला स्थित माता खीर भवानी के मंदिर के हू-ब-हू शालीमार गार्डन में मंदिर को बनाया गया है.
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शालीमार गार्डन स्थित खीर भवानी माता के मंदिर में बुधवार को कश्मीरी पंडित और उनके बच्चे कश्मीरी भाषा में ही एक दूसरे से बात करते हुए नजर आते हैं. कश्मीरी पंडितों के लिए माता खीर भवानी की बहुत अधिक मान्यता है. कश्मीरी पंडित सभा शालीमार गार्डन के अध्यक्ष विनोद बट्ट माता खीर भवानी मंदिर की देखरेख की जिम्मेदारी संभालते हैं. वह बताते हैं कि मंदिर का 2003 में निर्माण हुआ था और फिलहाल इसकी गोल्ड प्लेटिंग की जा रही है. एनसीआर समेत आसपास के इलाकों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों के साथ-साथ अन्य लोग भी यहां आते हैं. साथ ही साल में कई बड़े कार्यक्रम होते हैं जब कश्मीरी पंडित एक साथ होते हैं.
उन्होंने कहा कि कि जन्माष्टमी, खीर भवानी का मेला समेत कई प्रमुख त्योहारों पर मंदिर में विशेष आयोजन किए जाते हैं. नई पीढ़ियां भी कश्मीरी संस्कृति और सभ्यता से जागरूक हो रही हैं. प्रमुख दिनों पर मंदिर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में युवा अहम भूमिका निभाते हैं.
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बता दें कि भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अपने दुर्लभ चमत्कारों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक है माता खीर भवानी मंदिर. मान्यताओं के मुताबिक माता खीर भवानी मंदिर दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण है. इस मंदिर की जड़ें रामायण काल से जुड़ी हुई हैं. मान्यता के अनुसार जब भी कश्मीर पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तब माता खीर भवानी आपदा के आने का संदेश देती है. माता खीर भवानी मंदिर में स्थित कुंड का पानी रंग बदलने लगता है. श्रद्धालु यहां दूर-दूर से दर्शन करने आते हैं. मान्यता है कि माता को खीर का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं. इसलिए खीर का भोग लगाया जाता है. साथ ही भक्तों को भी प्रसाद के रूप में खीर ही दिया जाता है.